क्या यही प्यार है?

(Kya Yahi Pyar Hai?)

सलीम अली 2019-03-11 Comments

दोस्तो, मैं अंतर्वासना का पुराना पाठक हूँ और इस साइट की कहानियाँ पढ़ता रहता हूँ. यहाँ पर मुझे मज़े के साथ-साथ बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है. इसलिए आज मैं आप सब को अपनी रीयल लाइफ स्टोरी बताने जा रहा हूँ. इस कहानी में मैंने लड़की का नाम नहीं बताया है. फिर भी कहानी का किरदार पूरा करने के लिए मैं उसका नाम प्रीति रख देता हूँ. कहानी के पात्र को एक पहचान देना जरूरी होता है. मगर यह उसका असली नाम नहीं है. चलिए अब कहानी की शुरूआत करते हैं.

यह बात उन दिनों की जब मैं जवानी में कदम रख रहा था. मेरी उम्र लगभग 19 या 20 साल के करीब थी उस वक्त. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि उस उम्र में मूड स्विंग होते रहते हैं यानि की कभी इंसान खुद ब खुद खुश हो जाता है या फिर बिना कारण के ही उदास हो जाता है. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था.
जवानी के साथ ही मेरे अंदर सेक्स करने की इच्छा भी तेजी से बढ़ रही थी. एक दिन की बात है जब मैं अपने घर की तरफ जा रहा था. मैं बाइक पर था और अपने ही ख्यालों में डूबा हुआ था.
अचानक से मेरी आंखों पर सामने से आ रही बस की लाइट पड़ी और मेरी तंद्रा भंग हो गई. मैं सेकेण्ड के अंतराल से संभला और रोड पर एक तरफ हो गया. उस दिन तो बस के साथ मेरी टक्कर होते-होते बची.
शाम के वक्त अंधेरा हो चुका था और मैं अपने घर पहुंचने ही वाला था. तभी अचानक से मेरे मोबाइल की रिंग बजी. मैंने बाइक रोक कर फोन उठाया और दूसरी तरफ से लड़की की आवाज सुनकर मैं हैरान रह गया. मगर साथ ही वासना का उफान आना भी शुरू हो गया.

लड़की ने पूछा- आप का नाम साहिल है?
मैंने कहा- हाँ.
उसने कहा- क्या आप मुझसे मिल सकते हैं? आपसे कुछ काम है।
ये बात सुन कर मैं घबरा गया. मैं अभी तक उसके बारे में कुछ नहीं जानता था कि वह कौन है और मुझसे क्या चाहती है. फिर मैंने सोचा कि आवाज से तो सब ठीक ही लग रहा है.
मैंने कुछ पल सोचने के बाद उससे कहा- ठीक है, कहाँ पर मिलना है?
उसने कहा- वह सब मैं आपको फोन करके बता दूंगी.

इतना कहकर उसने फोन कट कर दिया. कुछ देर तो मेरे दिमाग में चलता रहा कि कौन है ये और मुझसे क्या चाहती है. मगर जल्दी ही मेरे दिमाग में हवस का शैतान जाग गया. मैंने सोचा कि जो कोई भी है, अगर इसकी चूत मारने को मिल जाए तो कैसा रहे?
बस फिर क्या था, मैं उसको चोदने के सपने देखने लगा. उस दिन रात को बार-बार उसी के ख्याल आ रहे थे और मेरा लंड मेरी पैंट में बार-बार खड़ा हो जाता था. आखिरकार मुझे उस अन्जान लड़की के बारे में सोचकर मुट्ठ मारनी पड़ी और तब जाकर मुझे नींद आई. इससे पहले मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़कर मुट्ठ मार लेता था मगर आज तो साक्षात चूत मुझे अपने पास बुलाने का न्यौता दे रही थी. इसलिए कंट्रोल करना कुछ ज्यादा ही मुश्किल हो रहा था.

अगले दिन जब उसका फोन आया तो उसने मुझे अपने घर का पता बता दिया और मैं उससे मिलने के लिए निकल पड़ा. जब उसके द्वारा बताए गए पते पर पहुंचा तो मैंने वहाँ पहुंच कर दरवाजे की बेल बजाई और एक 21-22 साल की लड़की ने दरवाजा खोला. उसका रंग गोरा था और हाइट पांच फीट और सात इंच के करीब थी. उसकी ब्रा का साइज लगभग 34 के आस-पास का रहा होगा. उसने लाल रंग का सूट पहना हुआ था और मस्त माल लग रही थी. मैंने पहली नजर में उसके पूरे बदन को स्कैन कर लिया.
मैं तो उसको वहीं पर चोदने के लिए बेताब हो उठा. मगर अभी मुझे सब्र करना पड़ा क्योंकि पहले पता करना था कि वह कौन है और मुझसे क्या चाहती है. उसने मुझे अंदर बुलाकर बैठने के लिए कहा और किचन में चली गई. कुछ देर के बाद वह हाथ में चाय लेकर आई और मेरे पास बैठ गई.
उसने बताया कि उसके मम्मी-पापा शादी में गए हुए हैं और वह घर पर अकेली है इसलिए उसने मुझे बुलाया है.

वह बोली- साहिल, क्या आप मेरी एक मदद कर सकते हैं?
मैंने कहा- हां, क्यों नहीं, मैं तो आपकी हर तरह से मदद करने के लिए तैयार हूँ. आप एक बार कह कर तो देखिए.
मेरा मन तो कर रहा था कि उसको अभी नंगी करके चोद दूँ, मगर मैंने किसी तरह से खुद पर कंट्रोल किया.
वह बोली- पहले आप मुझसे एक वादा करो कि आप इस बारे में किसी से कुछ भी नहीं बताएंगे. यह मेरी जिंदगी का सवाल है.

उसकी बातें सुनकर तो मेरा लंड बार-बार खड़ा हो जाता था. वह ऐसी गोल-मोल बातें कर रही थी और लग रहा था जैसे घूम फिर कर सेक्स पर आना चाहती है.
मैंने कहा- आप फिक्र न करो. मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा. आप मुझ पर पूरा भरोसा कर सकती हैं.
मेरी बात सुनकर वह मुस्कराने लगी.
मैंने सोचा कि चूत जल्दी ही पट जाएगी. उसके बदन की खुशबू तो मुझे पागल कर रही थी.
इससे पहले वह कुछ और कहती, मैंने उससे कहा- मैं भी आपसे कुछ कहना चाहता हूँ.
वह बोली- क्या कहना चाहते हो?
मैंने कहा- मैं ऐसे नहीं बताऊंगा. आप मेरे थोड़ा पास में आइये, मैं आपके कान में कहना चाहता हूँ यह बात.

वह सरक कर मेरे करीब आ गई.
मैंने धीरे से अपना मुंह उसके कान के पास ले जाकर कहा- आप बहुत सुंदर हैं. मैंने आज तक आप के जैसा कोई नहीं देखा.
मेरे मुंह की गर्म हवा उसके कानों पर लग रही थी और वह भी थोड़ी सी बहकने लगी थी.
अब मुझसे और कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और मैं उसके होंठों के रस को पीने लगा. मैं तो मदहोश होने लगा. मैंने पहली बार किसी लड़की के होंठों को किस किया था. मेरे बदन में आग लग चुकी थी.

मेरी बांहें उसको अपने आगोश में लेने के लिए मचल उठीं. मगर मेरे हाथ कब उठकर उसकी चूचियों पर जा पहुंचे मुझे तो इसका अंदाजा भी नहीं लगा. मैं हवस के सुरूर में भरा हुआ सा उसकी चूचियों को सहलाने लगा और अगले ही पल उसके कमीज को उठाकर उसके निप्पल्स पर अपने होंठ रख दिए. मैं उसके निप्पलों को चूसने लगा और मेरा लंड मानो मेरी पैंट को फाड़ कर बाहर निकल जाएगा. झटके दे देकर लंड में दर्द होना शुरू हो गया था.
मैंने उसकी मखमली ब्रा को भी ऊपर उठा दिया था. उसके निप्पलों की नुकीली चोंच को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. कभी एक निप्पल को मुंह में ले लेता तो दूसरे को हाथों से मसल देता. कभी दूसरे निप्पल पर होंठ रख देता और फिर पहले वाले को उंगली में दबाकर मसल देता था.

वह भी गर्म हो गई और मेरे सिर को अपने सीने में दबाने लगी. उसके मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगीं. आह्ह् … स्स्स … उईई … आहा … अम्म … बस … ओह … करती हुई वह मेरे बालों को नोंचने लगी.
मगर मैं काबू से बाहर हो चुका था. मैं उसके चूचों को और ज्यादा जोर से काटने लगा और बच्चे की तरह पीने लगा. अचानक ही उसके शरीर में कम्पन होने लगा और वह एकदम से मुझसे लिपट गई. वह बुरी तरह से कांपने लगी. फिर जोर से चीखी और शांत हो गई. मैंने देखा कि उसकी चूत से तरल पदार्थ बहने लगा और उसके पजामे को गीला करता हुआ नीचे की तरफ जाने लगा था. वह अभी भी मुझसे लिपटी हुई थी.

फिर पता नहीं अचानक उसे क्या हुआ कि उसने मुझे पीछे धक्का देकर हटा दिया.
वह बोली- ये सब गलत है. मैं तुम्हारे साथ ये सब नहीं कर सकती. मैं किसी और से प्यार करती हूँ.
मैं उसकी बात सुनकर चौंक गया.

इससे पहले मैं कुछ कह पाता वह बोली- मैं तुम्हारे दोस्त से प्यार करती हूँ. मैंने इसीलिए तुमको घर पर बुलाया था ताकि मैं तुमसे उसके बारे में बात कर सकूँ. क्या तुम अपने दोस्त से मेरी बात करवा सकते हो?
उसके मुंह से यह बात सुनकर मैं तो सन्न रह गया. यह लड़की क्या बोल रही है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

मैंने बात को संभालते हुए कहा- ठीक है, मगर तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ये सब?
वह बोली- मैं तुमसे यही बात करना चाहती थी लेकिन तुमने मुझे बताने का मौका ही नहीं दिया.
मैं दुविधा में फंस गया था.
मैंने कहा- देखो यार, ये प्यार-व्यार कुछ नहीं होता है. ये सब फालतू की बातें हैं. अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मैं तुमको हर बार ऐसा ही मजा दे सकता हूँ जैसा मैंने तुमको अभी थोड़ी देर पहले दिया है.

वह बोली- कौन सा मजा? मुझे कोई मजा नहीं करना. अगर तुम अपने दोस्त के साथ मेरी बात करवा सकते हो तो बताओ?
मुझे इस वक्त उसके साथ बहस करना ठीक नहीं लगा. मैंने दिमाग से काम लिया और सोच-समझकर उसकी बात का जवाब दिया.
मैं बोला- ठीक है, मैं कोशिश करता हूँ.

इतना कहकर मैं वहाँ से चला आया. मैं सोच में पड़ गया था. कुछ देर पहले तो वह इतनी गर्म हो गई थी और फिर अचानक से उसको क्या हो गया.
मगर फिर मैंने सोचा कि कोई बात नहीं, अब उसको मेरी याद बार-बार आएगी. आज जो मैंने उसके साथ किया है उसको याद करके वह भी बार-बार मुझसे बात करने की कोशिश करेगी. मुझे अपने तजुरबे पर काफी यकीन था. मगर साथ ही इस बात का दुख भी था कि आज मेरा पहला सेक्स होते-होते रह गया. मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया. उस रात भी घर जाकर मुझे अपने लंड की मुट्ठ मारनी पड़ी.

अगली सुबह जब मैं उठा तो जल्दी ही उसका कॉल आ गया. मैं समझ गया कि यह रात भर मेरे बारे में ही सोचती रही होगी.
उसने कहा- तुम अपने दोस्त से मेरी बात कब करवा रहे हो?
मैंने कह दिया- मेरा दोस्त अभी कहीं बाहर गया हुआ है. जब वह वहाँ से वापस आ जायेगा तो मैं तुम्हारी बात उससे करवा दूंगा.

मेरे इतना कहते ही उसने फोन रख दिया. मैं सोचने लगा कि इसको पटाऊं तो कैसे पटाऊं. यह तो मेरे दोस्त के साथ चुदने के लिए मचल रही है. मेरे दिमाग में एक प्लान आ गया.
मैंने दो घंटे के बाद उसको फोन किया और उससे कहा कि मेरा दोस्त अभी तीन या चार दिन के बाद आएगा. मेरी उससे बात हो गई है.
वह बोली- तब तक तो मेरे मम्मी-पापा वापस आ जायेंगे. उसके बाद मैं उससे कैसे मिलूंगी?
मैंने कहा- ठीक है, मैं आज शाम को तुम्हारे पास आ जाता हूँ और उसके बाद हम इस बारे में बैठ कर बात कर लेंगे.

मेरी यह बात सुनकर पहले तो वह कुछ ना-नुकर करने लगी मगर उसके बाद फिर मान गई. मैं भी पूरा प्लान बना चुका था कि उसको कैसे पटाना है.
शाम को मैं उसके घर पर पहुंच गया और उसने दरवाजा खोला तो मेरी नजर उससे हट ही नहीं पाई. उसने एक नाइटी पहनी हुई थी. नाइटी के अंदर उसकी चूचियों की झलक साफ देखी जा सकती थी. देखते ही मेरा लंड टाइट हो गया.
वह बोली- अंदर आ जाओ.

मैं अंदर गया और सोफे पर जाकर बैठ गया. वह मेरे सामने दूसरी तरफ बैठी हुई थी.
उसने कहा- देखो साहिल, कल हमारे बीच में जो भी कुछ हुआ तुम उसको दिमाग से उतार दो. मैं तुम्हारे दोस्त से प्यार करती हूँ. इस लिए तुम मुझे उससे मिलवा दो प्लीज!
मैंने कहा- ठीक है. मगर अभी वह बाहर गया हुआ है. जब वापस आएगा तो मैं तुमको उससे मिलवा दूंगा. उसके बाद तुम दोनों आराम से प्यार कर लेना.

वह मेरी बात सुनकर थोड़ी शरमा गयी.
मैंने कहा- तुमने पहले कभी सेक्स किया है?
वह बोली- यह कैसा सवाल है?
मैंने कहा- मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था. अगर तुम नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं. मैंने बस इस लिए पूछ लिया कि मेरा दोस्त तो कई बार सेक्स कर चुका है. मैंने सोचा कि शायद उसने तुम्हारे साथ ही सेक्स किया हो.

वह बोली- मैंने किसी के साथ कुछ नहीं किया. मैं तो बस तुम्हारे दोस्त से प्यार करती हूँ. इसीलिए उससे मिलना चाहती हूँ.
मैंने कहा- क्या तुम सच बोल रही हो कि तुमने कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया?
वह बोली- हाँ, सच में मैंने कभी सेक्स नहीं किया.
मैं बोला- तो फिर कल तुम इतनी गर्म कैसे हो गई थी?
वह शरमाती हुई बोली- वो तो बस तुमने मुझे अपने करीब लाकर किस कर दिया इसलिए मैं थोड़ी सी बहक गई थी.

“एक बात कहूँ?” मैंने उससे पूछा।
वो बोली- हाँ कहो.
“मैंने भी कभी सेक्स नहीं किया है. मैं भी सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानता.” मैंने उसको हवस भरी नजर से देखते हुए कहा.
वह बोली- मगर मैंने तो सुना है कि लड़के पॉर्न मूवीज़ बहुत देखते हैं.
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मैंने तो कभी वह भी नहीं देखी. अच्छा एक बात बताओ. कल जब मैं तुम्हें प्यार कर रहा था तो तुम्हें मजा नहीं आया क्या?
वह बोली- हाँ, आया तो था.
मैंने कहा- तो फिर क्या तुम वह मजा दोबारा नहीं लेना चाहती हो?

मेरी बात सुनकर वह थोड़ा शरमा गयी.
मैंने कहा- देखो, ऐसा करने में कोई दिक्कत नहीं है. मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा. बस हम उतना ही करेंगे जितना हमने कल किया था. उसके आगे कुछ नहीं करेंगे.
वह बोली- ठीक है, मगर पहले मैं खाना बना देती हूँ. तुम तब तक टीवी देख लो. कहकर वह किचन में चली गई.
मैंने घड़ी की तरफ देखा तो रात के नौ बजे का समय हो गया था. मैंने अपने घर पर कॉल करके बोल दिया कि मैं आज रात अपने दोस्त के घर पर ही रुकूंगा.

मैं चुपके से उठकर किचन की तरफ गया. उसकी गांड मेरी तरफ थी. मैंने चुपके से उसको पीछे से जाकर अपनी बांहों में भर लिया.
वह डर कर बोली- क्या कर रहे हो साहिल?
मैंने कहा- कुछ नहीं, मैं तो वहाँ बैठ कर बोर हो रहा था. तुम अपना काम करती रहो तब तक मैं तुमको यहीं किचन में ही थोड़ा मजा दे देता हूँ.

उसकी गांड से टच होते ही मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया और तन कर सात इंच लम्बा होकर सीधा खड़ा होने की कोशिश करता हुआ पैंट में अंदर ही मुड़ गया. वह मेरी तरफ पलटना चाहती थी मगर मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ रखा था.
मैंने पीछे से ही उसके बूब्स को अपने हाथों में पकड़ लिया और उनको दबाना शुरू कर दिया.
वह एक बार तो कसमसा कर छूटने की कोशिश करने लगी मगर कुछ पल के बाद फिर से अपने काम में लग गई. मैं पीछे से अपना लंड उसकी गांड में रगड़ रहा था. वह मेरे लंड की छुअन से गर्म होने लगी थी. नीचे से मेरा लंड उसकी गांड को गर्मी दे रहा था और ऊपर से मेरे हाथ उसके चूचों को दबाते हुए उनमें गर्मी भर रहे थे.

वह एकदम से पीछे की तरफ पलट गई और पैंट में तने हुए मेरे लंड को देख कर बोली- तुम्हारा तो बहुत ही लंबा है. ऐसा तो मूवी में होता है. इससे तो बहुत दर्द होता होगा न?
मैंने कहा- नहीं, दर्द नहीं होता है. बस शुरू में हल्का सा फील होता है उसके बाद बहुत मजा आता है.

इतना कहकर मैंने उसकी नाइटी को पीछे से ऊपर उठा दिया और उसकी गांड मेरे सामने दिखाई देने लगी. ओह्ह … क्या गांड थी उसकी. उसकी गांड को देखकर तो ऐसा लगा कि मेरा वीर्य अभी निकल जाएगा. मैं थोड़ा सा पीछे होकर उसकी गांड को अच्छे तरीके से देखने लगा.
उसने पिंक कलर की पैंटी पहनी हुई थी. उसकी पैंटी गीली-गीली सी महसूस हो रही थी. शायद उसकी चूत ने पानी निकालना शुरू कर दिया था मेरे लंड की रगड़ से गर्म होकर.
मैंने पीछे से उसकी गांड के बीच में हाथ ले जाकर उसकी गांड की दरार को हथेली से सहलाया तो उसकी टांगें खुल गईं और उसकी गीली पैंटी के अंदर उसकी चूत भी मेरे हाथ से छूने लगी. वह एकदम से पीछे घूम गई और मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों को चूसने लगी.

मगर आज मैं संभल कर कदम आगे बढ़ा रहा था. मैं जानता था कि अगर पहले दिन की तरह इसकी चूत ने पानी छोड़ दिया तो आज भी मेरे खड़े लंड के साथ धोखा हो जाएगा.
मैं धीरे से उसके जिस्म से अलग हो गया.
वह बोली- क्या हुआ साहिल?
मैंने कहा- कुछ नहीं. तुम अपना काम करती रहो. मैं तुम्हें पीछे से ही मजा दे दूंगा.
वह बोली- ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो.
यह कहकर वह दोबारा सामने की तरफ घूम गई और अपना काम करने लगी.
मैंने पूछा- क्या मैं तुम्हारी पैंटी को उतार दूँ?

उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने उसकी पैंटी को नीचे उतार दिया और उसकी चूत नंगी हो गई. आह्ह … क्या गुलाबी चूत थी साली की!
मैंने उसकी टांगों को थोड़ी सी खोल कर देखा तो उसकी चूत का मुंह खुल गया जिसमें से गीला पदार्थ बाहर आ रहा था.
मैंने धीरे से अपनी पैंट को खोल लिया और नंगा हो गया. मेरा लंड बाहर आ गया. मैंने चुपके से उसकी चूत पर लंड को लगा दिया और उसको बांहों में भर लिया.

वह हटने लगी तो मैंने कहा- बस मैं ज्यादा कुछ नहीं करूंगा, सिर्फ ऊपर से ही चूत पर रगड़ दूंगा.
वह बोली- ठीक है, मगर वादा करो कि अंदर नहीं डालोगे?
मैंने कहा- नहीं, अंदर नहीं डालूंगा.
मैं धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा और उसको जल्दी ही मजा आने लगा. मैं तो जैसे पागल सा होने लगा. उसकी चूत लगातार गीला पदार्थ छोड़ रही थी.

गीली चूत पर मैंने अपने लंड को थोड़ा सा दबाया तो वह उसकी चूत में थोड़ा अंदर चला गया. वह कसमसा कर छूटने लगी. मगर मैं वहीं पर रुक गया. मैंने उसके चूचों को दबा दिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा. वह किचन का स्लैब पकड़ कर थोड़ी सी नीचे झुक गई और उसकी चूत अब पहले से ज्यादा खुल गई. मेरा लंड अभी भी वहीं पर फंसा हुआ था.
उसके बाद उसने पीछे की तरफ हल्का सा धक्का दिया और मेरा लंड उसकी चूत में अंदर तक जा धंसा.
वह चिल्ला उठी मगर मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- बस, एक पल के लिए दर्द होगा उसके बाद सब ठीक हो जायेगा.

कुछ पल का विराम देकर मैंने दूसरा धक्का दिया तो पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. उसकी चूत की झिल्ली फट गई थी और खून उसकी जांघों से बहता हुआ नीचे आने लगा. मैंने उसकी गर्दन को चूमना जारी रखा. जब दो मिनट के बाद उसकी चूत का दर्द कम हो गया तो मैंने उसको ढीला छोड़ दिया.
मैंने धीरे से उसकी चूत में लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया और वह अपनी गांड को पीछे धकेलने लगी. उसको अब मजा आने लगा था.
मैंने पांच मिनट के बाद अपनी पूरी स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही धक्कों के बाद उसके पैर कांपने लगे. वह झड़ गई.

वह अपनी फटी चूत के साथ वहीं स्लैब पर गिर गई. उसकी चूत से पानी रिस रहा था. कुछ देर के बाद मैंने उसको गोद में उठा लिया और उसको बेडरूम तक लेकर गया. मैंने धीरे से उसको बेड पर लेटा दिया.
मैं उसके सिर पर हाथ फिराने लगा. कुछ देर तक वह चुपचाप लेटी रही और फिर बोली- साहिल, मेरे पास आ जाओ.
मैं भी उसके बदन के साथ चिपक कर लेट गया. उसके बालों को सहलाने लगा. वह मेरी तरफ मुड़ी और बोली- साहिल, आइ लव यू.
उसने मेरे गालों पर किस कर दिया. फिर उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने पूछा- जान, तुमको ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ?
वह बोली- नहीं, शुरू में हुआ था मगर उसके बाद मजा आया. मगर मैंने तुमसे अंदर डालने के लिए मना किया था साहिल.
मैंने कहा- मगर मेरा तो अभी तक माल निकला ही नहीं है और अगर मैं अंदर नहीं डालता तो तुमको इतना मजा कैसे आता? अब मैं अपने इस औजार को कैसे शांत करूँ?

उसने मेरे लंड की तरफ देखा तो वह तना हुआ था. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और बोली- इसको मैं शांत कर देती हूँ.
उसके बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया. वह तेजी से लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. मैंने पहली बार किसी लड़की के मुंह में लंड को दिया था और मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया था. मुझे बहुत मजा आ रहा था. आह्ह् … ओह्ह … मेरे मुंह से सिसकारियां बाहर आने लगीं.

वह लगातार मेरे लंड को चूसती ही जा रही थी, शायद उसका मूड भी दोबारा बन गया था. मैंने उसको लेटा दिया और कहा- यह ऐसे शांत नहीं होगा. मैं तुम्हारी चूत को चाटूंगा और तुम इसको मुंह में लेकर चूसती रहो. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. वह मेरे लंड को चूसने लगी और मैं उसकी चूत को चाटने लगा.

उसके कुछ पल बाद ही मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकाल कर उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और एक झटका दिया तो लंड सट्ट से चूत में जा घुसा.
वह बोली- धीरे से करो … दर्द हो रहा है.
मैं उसके ऊपर लेट गया और पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. उसको दर्द होने लगा तो मैंने तुरंत उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. कुछ देर के बाद उसका दर्द छू मंतर हो गया और मैंने उसके होंठों से होंठ हटाए तो वह सिसकारी ले रही थी.
अब मैंने पूरी स्पीड में उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. वह बार-बार आइ लव यू कह कर अपना प्यार जता रही थी. मैं उसकी चूत को पेलने में लगा हुआ था. वह भी अपनी गांड को उठाकर मेरा भरपूर साथ देती हुई चुदाई का मजा ले रही थी.
कुछ ही धक्कों के बाद उसकी चूत ने फिर से झड़ना शुरू कर दिया. अब मेरा भी पानी निकलने वाला था मगर मैं उसकी चूत के अंदर नहीं झड़ना चाहता था. मैंने अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसके मुंह में डाल दिया तो वह फिर से मजा लेकर उसको चूसने लगी.

मैंने कहा- आराम से करो जानू … मेरा निकलने ही वाला है. इतनी जोर से मत चूसा मैं झड़ जाऊंगा. तुम्हारे मुंह में ही निकल जाएगा मेरा माल!
वह बोली- अगर तुम चूत में निकालोगे तो दिक्कत हो जाएगी. इसलिए तुम मेरे मुंह में ही निकाल दो साहिल … आह्ह् … उम्म … करती हुई वह और जोर से मेरे लंड को चूसने लगी.
मैंने कुछ ही पल के बाद उसके मुंह में वीर्य की पिचकारी मारनी शुरू कर दी. कुछ वीर्य उसके मुंह में निकल गया. उसने एकदम से मेरा लंड बाहर निकाला तो दो-तीन पिचकारी उसके होंठों और उसके चूचों पर भी जा लगी.
वह बोली- तुम्हारी पिचकारी तो बहुत दूर तक जाती है. मुझे तो तुमने पूरा नहला दिया साहिल! मुझे तो तुमसे प्यार ही हो गया है मेरे जानू!
मैं उसको देखा और स्माइल करने लगा.
मैं सोचने लगा कि कल तक तो इसे मेरे दोस्त से प्यार था. आज इसको मुझसे प्यार हो गया है.

क्या इसी को प्यार कहते हैं?
हम दोनों काफी थक चुके थे और एक दूसरे के साथ काफी देर तक लिपटे रहे. हमें वहीं पर पड़े-पड़े नींद आ गई. हम दोनों भूखे ही सो गए थे. सुबह जब आंख खुली तो देखा कि वह मेरे बदन से लिपटी हुई थी. मैं उसके बालों को सहलाने लगा. उसकी नींद खुल गई और उसने मेरे गाल पर एक किस किया और फिर से मुझे बांहों में लेकर अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैं भी काफी देर तक लेटा रहा. फिर घड़ी पर नजर गई तो देखा कि सुबह के नौ बज गए थे. मैं तुरंत उठा और कपड़े पहनने लगा. वह मेरे साथ ही उठ गई और मेरे बदन से लिपटने लगी.

वह बोली- मत जाओ ना …
मैंने कहा- पागल, मुझे देर हो जाएगी. जब तुम बुलाओगी तो मैं दोबारा आ जाऊंगा.
यह सुनकर उसकी आंखें नम हो गईं.
वह मरे मन से मुझे दरवाजे तक छोड़ने आई.

मैंने उसको हग करते हुए कहा- जान, बस एक-दो घंटे में वापस आ जाऊंगा. मैं यह कहकर वहां से निकल गया.
रास्ते में बाइक लेकर घर जाते हुए सोचने लगा कि क्या यही प्यार होता है?

बस मैं सोचता ही रहा और सोचते-सोचते मेरा घर आ गया. उसके बाद आगे क्या हुआ वह सब मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा.

अगर आपको मेरी यह कहानी पसंद आई हो तो मुझे जरूर बताना. मैं आप सब के मैसेज का इंतजार करूंगा.
आपकी प्रतिक्रिया से मुझे आगे की कहानी लिखने की प्रेरणा मिलेगी.
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