कमसिन कुंवारी चूत की कामवासना-3

(Kamsin Kunwari Chut Ki Kamvasna- Part 3)

This story is part of a series:

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैंने सोनू को सेक्स के लिए तैयार कर लिया था. मगर अभी वह चूत चुदवाने के लिए नखरे कर रही थी. फिर उसने बताया कि वह कई बार अपने मम्मी और पापा को सेक्स करते हुए देखती है और अपनी चूत की गर्मी को उंगली से शांत करने की कोशिश करती है.

सोनू अपनी रात वाली कहानी बताते हुए कहने लगी- जब उनका काम खत्म हो जाता था तो मैं बेड पर भाई के साथ आ कर लेट जाती थी और भाई से चिपकने की कोशिश करती थी. एक दिन मैंने मेरे भाई के लोअर में हाथ डाला और भाई के लंड को सहलाने लगी लेकिन भाई का लंड पापा से भी बहुत छोटा और पतला था. मेरा भाई गहरी नींद में सोता है. एक रोज मैंने अपना कमरा अंदर से बंद किया और भाई का लोअर नीचे करके उसके लंड को सहलाने लगी. भाई की लुल्ली खड़ी हो गई.
मैं हाथ से ही उसके लंड को ऊपर-नीचे करती रही. मैंने अपनी पेंटी निकाली और जिस तरह से मम्मी पापा के ऊपर बैठी थी, उसी तरह से भाई के लंड पर बैठने की कोशिश की. मैंने अपने घुटनों को भाई के दायें बायें करके अपनी चूत में उसके लंड को पकड़कर रगड़ती रही.

जब भी मैं भाई के लंड को अंदर लेने की कोशिश करती तो भाई हिलने लग जाता था.
एक बार मुझे दर्द भी हुआ. मैं अपनी चूत की आग अपनी उंगली और भाई के पतले लंड से रगड़ कर शांत कर लेती थी. एक बार तो मैंने भाई के लंड और अपनी चूत के अंदर थोड़ा तेल लगा कर किया तो लंड चूत में आधे के करीब घुस गया था. मुझे लगा ऐसा करने से भाई को भी मज़ा आने लगा था. लेकिन मैं डरती थी कि कभी भाई की आँख न खुल जाए.

सोनू बोलती रही मैं सुनता रहा.

सोनू कहने लगी- मम्मी और पापा की चुदाई को देख-देख कर मेरा भी चुदने को मन करता था, परंतु मैं क्या करती?
मैंने सोनू से कहा- फिर अब क्यों डर रही हो?
सोनू कहने लगी- मेरे इस छोटे से छेद में जब भाई के लंड से मुझे दर्द हुआ था तो आपके इस लंड से तो मेरी जान ही निकल जाएगी.

मैंने सोनू को समझाया कि तुम अब पूरी जवान हो चुकी हो, औरत की चूत में भगवान ने इतनी जगह बनाई है कि वह बड़े से बड़ा लंड भी ले सकती है. मैंने सोनू को अपना लंड हाथ में पकड़ने के लिए बोला और उसको अपने लंड का सुपारा उसकी उंगलियों से दबाने के लिए बोला.
सोनू पहले तो झिझकी लेकिन फिर उसने सुपारे को अपने हाथ में लेकर दबाया.

मैंने सोनू से कहा- अब लंड को बीच से दबाओ.
उसने लंड को बीच से दबाया.

मैंने अंतर पूछा तो सोनू कहने लगी- लंड का आगे का हिस्सा बड़ा नर्म और सॉफ्ट है जबकि बीच का और पीछे का हिस्सा बहुत सख्त है.
मैंने सोनू को समझाया कि भगवान ने लंड का सुपारा सॉफ्ट इसलिए बनाया है कि पहली चुदाई में या बाद की चुदाई में लड़की की चूत को कोई नुकसान न हो. मैंने सोनू को समझाया कि चूत के अंदर एक पतली सी झिल्ली होती है जो पहली बार संभोग करने से फट जाती है और उससे थोड़ा सा खून निकलता है, जो लगभग 10-15 बूंदों के समान होता है और कुछ नहीं होता.

मैंने सोनू से पूछा- तुमने अपने मम्मी पापा को करते हुए लास्ट टाइम कब देखा था?
सोनू ने बताया- आज रात को ही देखा था.

उसने बताया कि कल शाम को जब पापा आए तब भी बारिश शुरू हो गई थी और सोते वक्त पापा ने मम्मी को कहा आज तो बारिश ने बड़ा सेक्सी मौसम बना दिया है. मम्मी कहने लगी आज तो मेरा भी बहुत दिल कर रहा है, वैसे भी तीन-चार दिन हो गए हैं और बच्चे भी सो गए हैं. मुझे तब समझ में आया की बारिश के मौसम में लोग सेक्स करते हैं.

मैंने सोनू से पूछा- फिर तुम्हारा दिल किया था करवाने को?
सोनू ने बताया- कल तक तो आपसे मिलकर मैंने यह सोचा था कि मैं यह काम नहीं करूंगी, परंतु रात को जब मैंने मम्मी पापा को देखा तो मेरा फिर दिल किया और मैंने उंगली से करके अपनी प्यास बुझाई और मन में सोचा कि कल अगर आप कुछ करेंगे तो मैं मना नहीं करूंगी.

मैंने अपने दोनों कपड़े निकाल दिए. मुझे पता था कि मुझे सोनू को चोदना है, तो दिन में ही मैं केमिस्ट से एक वाटर जैल ट्यूब ले आया था. मैंने सोनू को अलमारी में से जैल निकाल कर दिखाई और कहा कि यह जैल कुंवारी लड़की के साथ जब पहली बार किया जाता है तो लगाई जाती है और इससे लंड अंदर करने में कोई दिक्कत नहीं होती.

उसको समझाया कि वह चिंता न करे और मेरा साथ दे.
सोनू ने अपनी गर्दन और नजरें नीची कर ली.

मैंने सोनू को बेड पर नीचे टांगे लटका कर बैठने को कहा और अपना खड़ा लंड उसको पकड़ाया. सोनू मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों की उंगलियों से आगे पीछे करती रही और मेरी नजरों में देखती रही.
मैंने कहा- चिंता मत करो, जब तुम कहोगी, मैं यह काम बंद कर दूंगा.
सोनू ने कहा- बहुत बड़ा है.
मैंने कहा- जब भी तुम्हें दर्द हो मना कर देना, पहले लण्ड के साथ दिल लगाकर खेलो.

अपने लंड को मैंने सोनू की दोनों चूचियों के बीच में रखा, सोनू की दोनों चूचियां मेरी जांघों में लग गई और हाथ से उसकी चूचियों को इकट्ठा करके उस में लंड चलाना शुरु कर दिया.
मैंने सोनू से कहा- लंड को मुंह में लो.

सोनू ने धीरे-धीरे अपने होंठों को लंड के ऊपर रखा और उसके ऊपर होंठ रगड़ने लगी. सोनू की धीरे-धीरे अब झिझक खुल रही थी और वह मेरा साथ देने लगी थी. उसने मेरे लंड को चूसना शुरू किया. ऐसा लग रहा था जैसे सोनू को लंड चूसने का एक्सपीरियंस था. इसका कारण यह था कि वह अपनी मम्मी को पापा का लंड चूसते हुए देख चुकी थी. वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में मुश्किल से भर रही थी.

कुछ देर के बाद मैंने सोनू को बेड पर लिटाया और उसकी टांगों को ऊपर करके उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ टिकाई. जीभ टिकते ही सोनू कसमसाने लगी. मैंने सोनू की पूरी चूत को अपने मुंह में भरकर एक जोर का चुस्का मारा. मेरे मुंह में सोनू की चूत की दोनों फांकें और उसका क्लिटोरिस आ गया था और मैं उन्हें खाए जा रहा था. सोनू बार-बार मेरे मुंह को अपनी जांघों में भींचने लगी और कहने लगी- बस करो … बस करो!

मैंने सोनू से पूछा- सोनू बताओ लंड अंदर लेना है या नहीं?
सोनू कहने लगी कि लंड तो मैं बहुत समय से लेना चाहती हूँ, आपने जो करना है करो.

उसके बाद मैंने बेड पर रखी जैल उठाई और उसको सोनू की चूत के छेद और आसपास लगाया और काफी सारी क्रीम अपने लंड पर लगाई. मैंने सोनू की टांगें पूरी चौड़ी कर दी और पहले सोनू की चूत में अपने बीच वाली बड़ी उंगली डाली. उंगली को चला कर मैंने जैल को अंदर तक पहुंचा दिया. सोनू आहें भरती रही. उसके बाद मैंने सोनू की सील तोड़ने के लिए अपने लण्ड का सुपारा छेद पर लगा दिया. सोनू शी …शी … करती रही, मुझसे कहने लगी- बहुत दर्द नहीं करना, नहीं तो मैं चीख पडूँगी.

फिर मैंने सोनू से कहा- सोनू, यदि मजा लेना है तो थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा और अगर चीखना है तो तुम अभी उठो, अपने कपड़े पहनो और अपने घर जाओ.
सोनू ने मेरी ओर देखा और बोली- ठीक है करो.

कुछ देर तक मैं सोनू के नंगे शरीर के ऊपर लेट गया उसके दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर उसके होंठों पर प्यार किया. उसकी चूचियों को हाथ से मसला और उसकी दोनों टांगों को थोड़ा चौड़ा करके अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर लगाया. उसके ऊपर लेटे लेटे मिशनरी पोजीशन में ही थोड़ा अपने चूतड़ों का दबाव डाला, तो लण्ड अंदर जाने लगा.
मैंने अपने होंठों को सोनू के होंठों से जोड़े रखा और दबाव बढ़ाता गया. सोनू आंखें बंद करके मेरा लंड अंदर लेती रही.

मैं धीरे-धीरे सोनू से पूछता रहा- दर्द हो रहा है?
सोनू ने कहा- नहीं.

मैंने थोड़ा और दबाव दिया, लंड का सुपारा चूत के छेद को पकड़ चुका था. मैंने सुपारे को वहीं पर रोक दिया और कुछ देर तक उसको वहीं रखा.
मैंने सोनू से पूछा- दर्द हो रहा है?
सोनू ने कहा- दर्द तो नहीं हो रहा है लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे मेरी चूत में कोई मोटा डंडा अड़ा हुआ है.
मैंने कहा- यही डंडा तुम्हें जिंदगी का असली मजा देगा.

अपनी दोनों कुहनियों से मैंने सोनू को अपने शरीर के नीचे साइडों से दबाया और लंड पर थोड़ा दबाव और डाला. लंड जैसे ही आगे सरका सोनू आई … आई … करने लगी.
मैंने सोनू से कहा- बस थोड़ी हिम्मत रखो, अभी सब कुछ ठीक हो जाएगा.
मैंने सोनू के मुंह को अपने हाथ से दबाकर, एक जोर का झटका दिया और सोनू की चीख को उसके मुंह में ही दबा दिया और अपने लंड की हरकत को जारी रखते हुए एक और जोरदार झटके से आधा लंड अंदर घुसेड़ दिया.

सोनू छटपटाने लगी और कहने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… छोड़ दो … छोड़ दो …
मैंने सोनू से कहा- जो कुछ होना था वो हो गया है, झिल्ली फट चुकी है, अब आगे इससे ज्यादा दर्द नहीं होगा. इसको थोड़ा सहन करो.
सोनू कहने लगी- एक बार निकाल लो, फिर डाल लेना.
मैंने कहा- दोबारा फिर दर्द होगा.

मैंने सोनू के मुंह को अपने हाथ से जोर से दबा कर, एक झटके में सोनू की नई और कुंवारी चूत में अपना 8 इंच का लौड़ा ठोक दिया. सोनू अपने हाथ-पांव मारने लगी. मैंने उसके सिर पर हाथ फिराया और कहा- हो गया है, अब सारी उम्र तुम्हें इस काम में केवल मजा ही मजा आएगा.
सोनू की आंखों से आंसू निकल आए थे. वह कहती रही कि एक बार निकालो, मेरी जान निकल रही है, बहुत जलन हो रही है, ऐसा लगता है जैसे चूत के अंदर सबकुछ फट गया है.
मैंने कहा- कुछ नहीं फटा है, हर लड़की की ऐसे ही फटती है.

फिर मैंने लंड को एक दो बार आगे पीछे किया. सोनू की आंखों से आंसू निकल रहे थे और वह दर्द से बिलबिला रही थी. जब मैंने लंड को ऊपर नीचे किया तो ऐसा लग रहा था जैसे सोनू की चूत का छल्ला मेरे लंड के साथ चिपक कर बाहर आ रहा था. मैंने नीचे चूत की ओर देखा, मेरे लंड के ऊपर और सोनू की चूत पर खून लगा था. मैं उसे सोनू को नहीं दिखाना चाहता था. मैंने पास पड़े हैंड टावल से चूत और लंड के ऊपर लगे खून को साफ किया.

सोनू कहने लगी- प्लीज एक बार निकालो.
मुझे उस पर दया आ गई और मैंने धीरे-धीरे करके लंड बाहर निकाला और सोनू के देखे बगैर उसको फिर कपड़े से साफ किया और साथ ही चूत पर अपना हैंकी रख दिया. सोनू नीचे लेटी रही, उसकी चूत से जितना भी ब्लड निकला, मैंने अपने हैंकी से सोख लिया और चुपके से उसे बेड के नीचे डाल दिया.

उसका बुरा हाल था, उसने कहा बस और नहीं करना मुझे, अब जाना है.
मैंने कहा- सारा काम बीच में ही छोड़ कर जा रही हो?
सोनू कहने लगी- कोई बात नहीं, फिर कर लेना.
मैंने सोनू को छोड़ दिया और उससे कहा जब तुम्हारा दिल करे उस दिन फिर आ जाना, परंतु आज तो मेरे लंड से पानी निकाल दो.

सोनू कहने लगी कि उसे बाथरूम जाना है. सोनू मुश्किल से बेड से उतरी और दीवार पकड़ती हुई बाथरूम में गई. मैं भी उसके साथ बाथरूम में गया. उसने अपनी चूत को देखा उस पर थोड़ा लाल-लाल ब्लड लगा था. सोनू ने उसको धोया और टॉवल से पोंछ कर बाहर आ गई.

जैसे ही वह कपड़े पहनने लगी तो मैंने सोनू से कहा- सोनू, अभी कपड़े मत पहनो, तुम मेरा तो काम पूरा कर दो.
सोनू कहने लगी- आज नहीं करना.
मैंने कहा- मेरा लंड खड़ा है, अपने हाथ से पानी निकाल दो.
सोनू मेरी आंखों की तरफ देखने लगी और एक बार मुस्कराई.

मैंने उससे पूछा- मुस्कुरा क्यों रही हो?
वह कहने लगी- जो मम्मी की चूत में से निकलता है, वह निकालना है?
मैंने कहा- हां, वह तुम्हारी मम्मी की चूत में से नहीं निकलता, वह तुम्हारे पापा के लंड से निकला हुआ माल होता है, जो तुम्हारी मम्मी की चूत में भर जाता है. अब तुम मेरे लंड को हिलाओ इसको अपनी चूचियों पर लगाओ और देखो कि इसमें से कैसे पानी निकलता है.
मैंने पूछा- वैसे तुम कैसा फील कर रही हो?
सोनू ने कहा- नीचे चूत में जलन हो रही है.
मैंने कहा- एक दिन में ठीक हो जाएगी, चिंता मत करो.

यह कहकर मैंने उसे बैड पर बिठा दिया और उससे कहा कि मेरे लंड को हाथ से हिला कर, अपनी चूचियों पर लगा कर, इसका रस अपने ऊपर डाले. सोनू अपने हाथों से मेरे लंड को हिलाने लगी. मैं सोनू की दोनों चूचियों से खेलता रहा. धीरे-धीरे उसके निप्पल अपने अंगूठे और उंगली से रगड़ने लगा.
सोनू बोली- मुझे कुछ होने लगा है.
मैंने कहा- यही तो जिंदगी का असली मजा है, अब तुम नहीं लेती तो बात दूसरी है. अब जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ.

सोनू अपने हाथों से फटाफट मेरी मुट्ठ मारने लगी, लंड अकड़ता गया और कुछ ही देर में जैसे ही मेरे लंड ने पिचकारियां मारनी शुरू की वैसे ही मैंने सोनू को एकदम धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और अपने लंड की पिचकारियां उसके मुंह, चूचियों, पेट और उसकी चूत पर छोड़ना शुरू कर दिया.
मेरे लंड की पिचकारियों ने सोनू की चूत, उसके पेट, चूचियों और मुंह को तर कर दिया.

सोनू ने जब यह देखा तो कहने लगी- यह क्या है? ऐसा तो मैंने पापा का नहीं देखा था.
मैंने कहा- तुम्हारे पापा की एज बहुत बड़ी है और उनका लंड भी बहुत छोटा है इसलिए उनका कम डिस्चार्ज होता है. सोनू वीर्य को अपने ऊपर गिरा हुआ देखकर मस्त हो गई.

बारिश रुक चुकी थी और वह जाने के लिए तैयार हो गई.
मैंने सोनू से पूछा- सोनू सच बताओ, आज तुम्हें अच्छा लगा या बुरा लगा?
सोनू कहने लगी- बाकी तो सब अच्छा लगा, लेकिन दर्द बहुत हुआ.
मैंने कहा- अगर दो दिन बाद करोगी तो बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा और बहुत मजा आएगा.
सोनू ने कहा- ठीक है मैं दो दिन बाद आऊंगी.
मैंने कहा- प्रॉमिस!
तो उसने कहा- प्रॉमिस!
और वह चली गई.

अगले दिन सुबह जब मैं यूनिवर्सिटी जाने लगा तो मुझे नीचे भाभी दिखाई दी.
उन्होंने तुरंत मुझसे पूछा- दो दिन से सोनू तुम्हारे पास आ रही है, तुमने उससे बात की?
मैंने भाभी को बताया कि आप मस्त रहो वह कभी भी यह नहीं बताएगी कि हम पिक्चर देखने गए थे, मैंने शॉर्ट में भाभी को बता दिया कि मैंने उसकी चूत में लंड डाल दिया है.
भाभी मुस्कुराई और बोली- देवर जी, मुझे मत भूल जाना.
मैंने कहा- भाभी जो मजा आप में है, वह सोनू में नहीं है.
भाभी कहने लगी- हर किसी को मक्खन लगाने लगे हो.

पूरे तीन दिन तक सोनू नहीं आई. मैं बार-बार उसके घर के पिछले आंगन की तरफ देखता रहता था, लेकिन वहां भी दिखाई नहीं दी. चौथे दिन फिर बारिश का मौसम था. सुबह से ही बारिश होने लगी थी. मैं यूनिवर्सिटी जाने के लिए तैयार हो ही रहा था कि मेरे दरवाजे पर दस्तखत हुई. मैंने दरवाजा खोला तो देखा, अपने इंस्टिट्यूट की यूनिफॉर्म में सोनू दरवाजे पर खड़ी थी. उसके हाथ में एक पर्स और किताबें थीं. मैंने झट से उसका हाथ पकड़ा और अंदर कर लिया.

मैंने पूछा- तुम इस वक्त यहां कैसे आ गई?
वह कहने लगी- जैसे ही घर से निकली बारिश होने लगी, सबसे नजदीक आपका ही कमरा था. मैंने झट से दरवाजे की कुंडी लगाई और सोनू को बांहों में भर लिया. दरअसल उस यूनिफार्म में सोनू बहुत ही सेक्सी लगती थी. उसकी व्हाइट शर्ट में से उसके चूचे शर्ट के बटन तोड़ने को उतावले रहते थे.

मैंने सोनू से पूछा- अब तबीयत कैसी है?
वह इठलाकर बोली- मेरी तबीयत को क्या हुआ था? बिल्कुल ठीक है.
मैं समझ गया कि यह आज चुदने आई है.
मैंने पूछा- रात को ठीक से सोई थी या मम्मी पापा का कुछ देखा था?
सोनू कहने लगी- गई रात, कई दिन बाद मम्मी पापा ने फिर से किया और मैंने बड़े ध्यान से उनके सारे खेल को देखा.

रात को मैंने पापा का लंड बहुत ही ध्यान से देखा था, उनका तो बिल्कुल छोटा सा है, मम्मी को क्या मजा आता होगा?
मैंने कहा- अपनी मम्मी से फ्रेंडशिप करवा दो?
सोनू कहने लगी- शर्म नहीं आती, आपकी मां के बराबर हैं.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मां है तो नहीं.
मैंने सोनू से कहा- सोनू वैसे मैं एक बात बिल्कुल सही बोल रहा हूं कि तुम्हारी मम्मी इस लोकैलिटी में सबसे सेक्सी लेडी है.

सोनू कहने लगी- वह तो है ही, तभी तो मेरे पापा मम्मी के ऊपर चढ़े रहते हैं.
मैंने कहा- अच्छा यह बताओ, तुम्हारी मम्मी की चूत कैसी है?
सोनू कहने लगी- एकदम सुंदर, चिकनी और गोरी, अंदर से पिंक कलर की है.
सोनू मुझसे पूछने लगी- लेकिन मेरी चूत तो इतनी मोटी नहीं है जितनी मम्मी की है?

मैंने सोनू से कहा- जब बच्चा हो जाता है तो औरत का शरीर और ज्यादा कामुक और मलाईदार हो जाता है और उसको चोदने में बहुत मजा आता है.
सोनू कहने लगी- मुझे आज इंस्टिट्यूट नहीं जाना है और मैं यही तुम्हारे साथ ही रहूंगी.
उसके मुंह से यह सुनकर मेरे लंड ने मुझे सलामी दे दी.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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