बहन का लौड़ा -32

(Bahan Ka Lauda-32)

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अब तक आपने पढ़ा..

ममता- आह.. आई.. सस्स..र्र राजा एक मिनट के लिए निकाल लो.. आह.. सच्ची चूत में जलन हो रही है..
राधे ने लौड़ा बाहर निकाल लिया.. उस पर ममता के रज के साथ जरा सा खून भी लगा था।
ममता- आई.. देखो सील तो मेरे पति ने तोड़ी थी.. आज तुम्हारे लौड़े ने आगे तक चूत में जगह बनाई है.. ये खून इसी लिए निकला है.. तभी जलन हो रही है.. आह..
राधे- ऐसे डरेगी.. तो माँ कैसे बनेगी.. चल अब मेरे लौड़े पर बैठ कर चुद.. मज़ा आएगा..

राधे सीधा हो गया.. और ममता को लौड़े पर बैठा कर कुदाने लगा।

ममता- आई.. आह.. मज़ा आ गया.. आज तो आह.. चोदो मेरे राजा.. आह.. मेरी चूत.. आह.. फिर से उफान पर है.. आह.. आई…
राधे ने ममता को हटाया और जल्दी से नीचे लेटा कर लौड़ा चूत में घुसा दिया और स्पीड से चोदने लगा। दोनों का पानी एक साथ निकला.. ममता को बड़ा सुकून मिला.. जब राधे का पानी उसकी चूत की मुँह में गिरा।

ममता- आह आईईइ मज़ा आ गया.. आह.. भर दो मेरी चूत को.. आह.. अपने पानी से आह.. उईईइ..

अब दोनों शान्त हो गए थे और एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।

अब आगे..

काफ़ी देर तक दोनों वैसे ही पड़े रहे।

राधे- क्यों ममता.. मज़ा आया ना.. आज असली मर्द से चुदवाकर..
ममता- हाँ राजा जी.. कसम से आज पता चला कि चुदाई क्या होती है.. मैं तो धन्य हो गई आपसे चुद कर.. मेरी चूत में आपका बीज पड़ जाए.. बस यही भगवान से प्रार्थना करूँगी..
राधे- अरे पड़ जाएगा.. चिंता मत कर दिन में दो बार चुदवा मेरे लौड़े से.. पक्का तेरी मुराद पूरी हो जाएगी.. चल अब ऐसा कर.. जरा चाय बना कर ला.. उसके बाद मैं तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा.. तब देखना कैसा मज़ा आता है..

ममता- हाँ राजा जी.. जैसे चाहो चोद लेना.. मुझे बस माँ बना दो.. मैं आपकी गुलामी जिंदगी भर करूँगी।
राधे- अरे गुलामी की क्या बात है.. अब जा और हाँ नंगी ही जाना.. कपड़े पहनने में समय मत खराब करना.. आकर तेरे को फिर से चुदवाना भी है..

ममता हँसती हुई पहले बाथरूम गई.. उसको जोरों की पेशाब आई थी।

दोस्तो.. अब बस भी करो.. चुदाई हो गई ना.. अब बाथरूम भी ममता के साथ जाओगे क्या.. जाओ अपने बाथरूम में जाओ.. हा हा हा हा हा.. सॉरी फ्रेंड्स, मैं आपको डिस्टर्ब करने नहीं आई.. इनको चाय पीने दो.. हम रोमा को देखते हैं.. वो आज क्या करेगी स्कूल से तो भाग गई.. अब कहाँ है.. खुद देख लो..

रोमा ने नीरज को फ़ोन कर दिया था.. वो तो इसी मौके की तलाश में था.. फ़ौरन उसको लेने आ गया था।
अब वो दोनों वहीं थे.. जहाँ कल दोनों ने चुदाई लीला की थी।

नीरज- हाँ तो जानेमन.. अब कहो क्या इरादा है?
रोमा- कुछ नहीं.. बस आपसे मिलने आई हूँ.. रात को अपने कसम जो दे दी थी।
नीरज- अच्छा मेरी जान.. अपने नीरज की कसम के लिए आई है.. तो मैंने कुछ करने को भी कहा था.. वो किया या नहीं?

रोमा थोड़ा शर्मा गई.. उसको नीरज की बात समझ आ गई थी कि वो चूत के बाल साफ करने की बात पूछ रहा है।
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रोमा- ऐसा हो सकता है क्या.. कि आप कुछ कहो और मैं ना करूँ।
नीरज- अरे वाह.. मेरी बुलबुल.. तू तो बहुत समझदार है।
रोमा- अब आपके लिए स्कूल से भाग कर आई हूँ.. दोबारा कसम मत देना.. ऐसे रोज नहीं आ पाऊँगी।

नीरज- अच्छा नहीं दूँगा कसम.. बस अब बात को घुमाओ मत.. जरा मुझे भी दिखाओ.. कैसे साफ की है अपनी चूत को..
रोमा- आप बहुत बेशर्म हो.. बस आते ही यही बात करने लगे..
नीरज- अच्छा तो तुम बताओ.. क्या बात करूँ.. हम न्यू कपल हैं प्यार की बात नहीं करेंगे.. तो क्या समाज में क्या चल रहा है.. महंगाई कितनी हो गई है.. ये सब बात करेंगे..
रोमा- आपसे जीतना मुश्किल है.. आप बहुत तेज हो..

नीरज- मेरी जान.. ये उमर प्यार करने की है.. तुम ऐसे दूर बैठी रहोगी.. तो मैं प्यार कैसे कर पाऊँगा.. यहाँ बिस्तर पर आ जाओ.. आराम से बातें करेंगे।
रोमा- नहीं.. बिस्तर पर आऊँगी.. तो आप बदमाशी करोगे.. और मेरी स्कूल ड्रेस खराब हो जाएगी।
नीरज- अरे कुछ नहीं करूँगा.. आओ तो और स्कूल ड्रेस खराब होने का डर है तो निकाल कर आ जाओ..
रोमा- देखो आ गए ना.. उसी बात पर.. जाओ मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी..

नीरज खड़ा हुआ और रोमा के पास जाकर उसको बाँहों में भर लिया.. उसके होंठों को चूसने लगा।

रोमा भी शायद यही चाहती थी.. मगर वो झूटा नाटक कर रही थी। नीरज को धक्का मारने लगी।
रोमा- जाओ आप बहुत गंदे हो.. मेरे मना करने पर भी नहीं मानते.. मैं जा रही हूँ।

नीरज ने रोमा को बाँहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया।

नीरज- मेरी जान मुझे पता है.. तुम्हारा हाल भी मेरे जैसा ही है.. क्यों नाटक कर रही हो.. ऐसे करते रहे.. तो समय निकल जाएगा.. बाद में तुम पछताओगी कि काश थोड़ा समय और मिल जाता प्यार करने के लिए..
रोमा- मैं कहाँ नाटक कर रही हूँ.. हटो मेरे ऊपर से.. मेरे कपड़े खराब हो जाएँगे।
नीरज- अरे जान.. तो निकाल दो ना.. कपड़ों को.. क्यों बार-बार डिस्टर्ब कर रही हो।
रोमा- देखना आपको है.. मैं क्यों निकालूँ.. हा हा हा..

रोमा के मन की बात नीरज समझ गया.. उसने जल्दी से रोमा की ड्रेस खोलनी शुरू कर दी.. रोमा बस लेटे हुए ड्रेस निकलवा रही थी। आज रोमा ने काली ब्रा और पैन्टी का सैट पहना था.. इसमें वो बहुत मादक लग रही थी।

रोमा- बस ये रहने दो.. पहले मेरे ड्रेस को सही रखो.. पहन कर वापस भी जाना है।

नीरज खड़ा हुआ ड्रेस को अच्छी तरह रखा.. और खुद नंगा होने लगा.. जिसे देख कर रोमा थोड़ी घबरा गई।

रोमा- य..ये आप क्या कर रहे हो.. कपड़े क्यों निकाल रहे हो?
नीरज- अरे मेरी जान.. डरो मत.. हम बस प्यार करेंगे.. अब दोनों नंगे होंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा..

रोमा के दिल के किसी कोने से आवाज़ आई कि तू यहाँ चूत चटवाने आई है.. मगर लगता है आज तेरी चूत चुदने वाली है.
रोमा मन ही मन कहने लगी.. नहीं कुछ भी हो.. सेक्स नहीं करेगी.. बस ऐसे ही मज़ा लेकर चली जाएगी।

नीरज बस अंडरवियर में था और उसके होंठों पर एक मुस्कान थी.. जो साफ बता रही थी कि आज का मौका वो किसी हाल में नहीं जाने देगा। उसका लंड भी तनाव खाने लगा था।

नीरज जब बिस्तर पर आया तो रोमा ने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया।

नीरज- वाह मेरी जान.. पूरी जवानी खोल कर चेहरा छुपा रही हो..
रोमा- मुझे शर्म आ रही है।
नीरज- अभी कुछ देर की बात है.. तुम्हें इतना मज़ा दूँगा कि तुम बेशर्म बन जाओगी।

इतना कहकर नीरज उसके बगल में लेट गया और धीरे-धीरे उसके मम्मों को सहलाने लगा।

नीरज बहुत तेज था.. वो बस मम्मों को हल्के से सहला रहा था.. जिससे रोमा की उत्तेजना बढ़ने लगी थी। वो चाहती थी नीरज ज़ोर से दबाए.. मगर वो ऐसा नहीं कर रहा था।

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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