रेलवे लाइन के किनारे चाय वाले के लम्बे लंड से चुदी

(Hindi Chudai Kahani: Railway Line Ke Kinare Chai Wale Ke Lambe Lund Se Chudi)

हैलो मेरे लौड़ो… फिर हाज़िर हूँ आपकी चुदक्कड़ कुतिया अंजलि अरोड़ा, जिसका बदन मस्त जवानी से आज भी भरपूर है. मैं मेरी 36″ की चुचियाँ और 38″ की गोरी चिट्टी गांड लेकर आपके लंड के सामने हाजिर हूँ. मुझे नए लंडों से चुदना, गैर मर्दो की रांड बनना, बेरहमी से चुत चटवाना और तगड़े लौड़ों की गुलामी करना पसंद है.
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मैं अपने दोस्तों का शुक्रिया करती हूँ और अपनी नई हिन्दी चुदाई कहानी की तरफ बढ़ती हूँ. यह कहानी अभी हाल ही कुछ महीने पहले की है.

हुआ यूं कि मुझे अपने मायके जाना था और मैंने करीब 5 दिन पहले रिज़र्वेशन करवा दिया था. मैंने सारी तैयारियाँ भी कर ली थीं. ट्रेन रात 11 बजे की थी और मैं ठीक 10:30 के लगभग प्लॅटफॉर्म पर पहुँच गई थी. वहां एक सीट पर जाकर ट्रेन का इन्तजार करने लगी.
चूंकि रात भर का सफ़र था तो मैंने सिर्फ एक वाइट ब्रा और वाइट टी-शर्ट और बिना पैंटी के ब्लैक ट्राउज़र पहना था. मेरे कपड़े बिल्कुल लूज और कंफर्टबल थे.

तभी अनाउंस हुआ कि ट्रेन 12 बजे आएगी और मैं फिर परेशान हो गई, मगर सिर्फ़ इन्तजार करने के अलावा करती भी क्या.

प्लॅटफॉर्म पर धीरे-धीरे सन्नाटा सा छा गया.. बस कुछ खाने-पीने की दुकानें खुली थीं. मैंने सोचा सामान कहीं रख कर कुछ खा लेती हूँ. तो मैंने सामान एक चाय वाले की शॉप पर रखा और वहीं चाय बनवाने लगी. मैंने कुछ बिस्किट के लिए भी बोल दिया.

चाय वाला फटे से कपड़ों में था.. वो बिल्कुल और पतला सा था. लेकिन उसकी कद-काठी कसी हुई दिख रही थी. उसकी उम्र करीबन 20 की रही होगी. वो चाय बनाते हुए चोर निगाहों से मेरी तरफ देखने लगा और मैं भी एक तरफ साइड से बिस्किट खाते हुए उसे देख लेती. बीच-बीच में उससे आँखें मिलतीं तो वो हटाने की बजाए और घूरता.

मुझे गुस्सा आने लगा और मैंने एक और बिस्किट उठा लिया तो उसका सामान सा गिर गया. मैं सॉरी करते-करते उठाने लगी, जैसे ही मैं झुकी, तभी नीचे की जगह से मेरी नज़र पड़ी तो हिल गई. उसने तो अपना लंड बाहर निकाल रखा था और उसका लंड बिल्कुल खड़ा था. उसका लाल सुपारा और आगे से मोटा लंड देख कर तो मैं धक्क रह गई और लंड में खो गई.

तभी अनाउंस हुआ कि ट्रेन 1:30 बजे निश्चित रूप से आ जाएगी. मैं होश में आई, ऊपर को उठी तो उसकी शकल देखी.. जैसे मुझे खा जाएगा.

मुझे दुकान के बाहर से पता नहीं चल रहा था. उसका सिर्फ़ आधा पेट तक का हिस्सा दिख रहा था.. मगर नीचे का सीन देख कर तो मेरी जैसे चुत में अब सुरसुरी दौड़ने लगी. मेरा मन किया कि अब इसके लंड को खा ही लूँ.

उसने मुझे चाय दी तो मैंने पूछा- तुम्हारा क्या नाम है.. क्या करते हो तुम?
तो बोला- मेरा नाम शिव है.. मैं बस यही काम करता हूँ और पढ़ता भी हूँ.

वो 12 वीं कर रहा था. मेरा मन उसका लंड देखने का फिर हुआ तो मैंने जानबूझ कर अपना एक बिस्किट गिरा दिया और झुकी तो अब मैं देखती रही. उसने तो अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था. जो बिल्कुल मेरे मुँह के आगे था.

मुझे नीचे झुके हुए देखते-देखते काफ़ी देर हो गई, तो इतने में उसने दुकान से बाहर देखा और बोला- क्या मेमसाब… क्या देख रही हो?
मैं एकदम से हड़बड़ा गई, बोली- कुछ नहीं…
बोला- क्या कर रही हो नीचे?
तो मैं ऐसे ही बोली- जरा नस चढ़ गई.

वो दुकान से एकदम बाहर आया और बोला- मैं आपकी कुछ मदद करूँ?
अब उसका लंड पजामे के अन्दर था जो बाहर से बिल्कुल तना हुआ दिख रहा था.
मैं भी ड्रामा सा करते हुए बोली- हाँ कुछ करो.. कमर की नस बहुत तेज़ चढ़ गई है.

उसने मेरा हाथ मेरी इजाज़त लेकर पकड़ा और मुझे उठाने लगा. मैंने उठते वक्त जानबूझ कर दूसरे हाथ से उसके लंड को ही पकड़ लिया. लंड पर मेरे हाथ को पाते ही वो सहम गया और उसने लंड छुड़ा लिया. मैं जब उठी तो उसकी तरफ देख कर मैंने कटीली सी हंसी बिखेरी और बोली- कितने ठरकी हो तुम?
वो बोला- नहीं मेमसाब, माफ़ करना.
मैं बोली- नहीं नहीं.. इस उम्र में तो ये सब होता ही है.
तो बोला- हाँ क्या करूँ?

तो मैंने बिल्कुल बेशर्मी से उसके लंड की तरफ देखा और बोली- मगर इतनी जल्दी कैसे?
तो बोलता है कि क्या करूँ मैं.. अब मेरा ये नहीं मान रहा है.
तो मैं हंसते हुए बोली- अच्छा जी कैसे मानेगा.. अब इसे क्या चाहिए?
वो भी समझ चुका था कि मैं भी लंड को लेना चाहती हूँ.

वो बोला- ये एकांत में समझता है.
मैं बोली- मुझे समझना है, समझाओ ना.. आज तो मेरे पास समझने के लिए भी काफ़ी वक़्त है.
उसने ये सुनते ही सीधा लंड बाहर निकाल दिया. तो मैं बोली- कहीं और चलो.. यहाँ नहीं.
वो बोला- ठीक है.. फिर आओ मेरे साथ..

हम दोनों स्टेशन से थोड़ी दूर पटरियों पर चलते चले गए. सुनसान जगह रात का माहौल.. एकदम सन्नाटा था.

उसने एक जगह घास देख अपने सारे कपड़े उतार फेंके. अब मुझे जकड़ कर बुरी तरह से चूमने लगा और मेरी गांड मसलने लगा. मैं भी उसकी बांहों में समाई जा रही थी. फिर उसने मेरा लोवर उतारा और बोला- चलो पैर फैलाकर लेट जाओ.

मैं बोली- एक साथ ही करोगे.. यार प्लीज़ पहले मुझे रगड़ो ना.. मगर उसने बस चुत पर थूका और लंड घुसेड़ मारा.

तभी मैं एकदम से उछल पड़ी और वो बहुत तेज़-तेज़ झटके मारने लगा. मुझे मस्ती चढ़ने लगी और मैंने भी नीचे से अपनी गांड उठा कर कमर से पैरों को जकड़ कर चुत में लंड ठुकवा रही थी.

उसने लगातार धक्के देते हुए मुझे कुछ देर दनादन चोदा. वो हर झटके में मेरी चुत को मजा देता रहा. फिर एकदम से झड़ गया, उसका वीर्य इतना सारा निकला कि मैंने उठ कर देखा तो बाहर आ रहा था.

मैं ट्राउज़र पहनने लगी तो बोला- जान एक बार और चोदने दे प्लीज़.. बहुत मन है. ये तो मैंने जानबूझ कर जल्दी माल निकाला था.. मजा तो तुझे मैं अब दूँगा.

मैं भी तैयार हो गई और उसे चूमने लगी. अब वो वाकयी मुझे मजा दे रहा था. उसने अब मेरे टॉप को भी उतार फेंका और एक-एक करके मेरे दोनों मम्मों को चूसने लगा. मैं भी दुबारा गरम हो गई थी और मेरी चुत से लगातार पानी आने लगा था. उधर वो पागलों की तरह मेरी चुत में उंगली करे जा रहा था.
मैं पूरा वक़्त ‘आहें..’ ही भरे जा रही थी. अब तो वाकयी वो मुझे रगड़ रहा था.

उसने मेरी चुत पर अपना मुँह रखा. तो हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए थे. वो मुझे बहुत पागल कर रहा था. मेरी गांड में उंगली देते हुए मेरी चुत चाट रहा था. मैं भी गपागप लंड को चूसे जा रही थी.
वो बोला- आह.. साली क्या लंड चूसती है.. माफ़ करना, मैंने गाली दी.
अब मैं भी अपने मूड में आ गई. सीधी हुई और बोली- साले मादरचोद गाली ही दे मुझे.. साले कुत्ते तेरा इतना तगड़ा लंड है.. तू सच्चा मर्द है तू साले.. और मैं तेरी रांड हूँ.. आजा चोद डाल भोसड़ी के.. आज जी भरके इतना चोद कि मजा आ जाए..

उसने वहीं बैठे हुए अपने लंड को मेरी चुत में पेल दिया. अब मैं उसके लंड पर कूदने लगी और उसके हाथ पकड़ कर बोली- भेनचोद चुचे कौन दबाएगा साले.. आअहह रगड़ इन्हें मादरचोद.. आह मसल.. नोच डाल भैन के लंड..

वो जोश में आता गया और वो नीचे से अपने लंड को तेज़-तेज़ ऐसे पेलने लगा, जैसे मेरी चुत में हंटर मार रहा हो. मैं तेज़ मस्ती में ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ के साथ चुदती रही.

अब उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से सीधा झटका मारते हुए लंड पेल दिया. फिर मेरी गांड पर ‘धे धे.. सटाक सटाक..’ झापड़ मारते हुए मुझे ठोकने लगा. वो मेरे झूलते हुए चुचे दबाता हुआ एक से एक तगड़े झटके मारने लगा. मैं बहुत पागल हुए जा रही थी और गांड थिरका-थिरका कर चुत चुदवा रही थी.

थोड़ी ही देर में हम दोनों झड़ गए और उसने फिर से मेरी चुत में अपना गरम माल भर दिया. मैंने देखा कि अभी ट्रेन आने में टाइम था, मगर हम दोनों ही वहां आ गए और बातें करने लगे.

थोड़ी देर में ट्रेन आ गई, मैंने उसे गुडबाय कहा और आ गई.

तो दोस्तो, यह थी मेरी एक चाय वाले से हिन्दी चुदाई कहानी रेलवे लाइन के किनारे… इसके बाद एक मस्त हिंदी चुदाई स्टोरी अगली बार लिखूंगी तब तक लंड हिलाते रहिए.. अलविदा दोस्तो
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