रैगिंग ने रंडी बना दिया-45

(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 45)

पिंकी सेन 2017-10-12 Comments

This story is part of a series:

अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि सुमन के पिता गुलशन जी ने उसे अपने साथ चलने को कहा तो वो कुछ कन्फ्यूज सी हो गई।
अब आगे..

हेमा तो जानती थी कि वो उसे कहाँ लेकर जा रहे हैं मगर सुमन इस बात से अनजान थी तो उसने पूछ ही लिया- पापा इस वक़्त आप मुझे कहाँ लेकर जा रहे हो?
गुलशन- तू सवाल बहुत करती है, बस तू जल्दी से तैयार हो जा, देर मत कर!

सुमन बेचारी क्या बोलती, वो अपने कमरे में गई और जल्दी से तैयार होकर बाहर आ गई। अब गुलशन जी उसे लेकर सीधे एक बड़े से शॉपिंग मॉल में ले गए। सुमन के मन में बहुत से सवाल उठ रहे थे मगर उसने सोचा वो अपने पापा से पूछेगी तो वो फिर नाराज़ हो जाएँगे बस यही सोच कर वो चुप रही।

मॉल में हर चीज के लिए अलग-अलग एरिया बने हुए थे तो गुलशन जी सुमन को एक मॉर्डन ड्रेस वाले एरिया में ले गए।
गुलशन- बेटा तुझे मेरी हेल्प करनी है इसी लिए मैं तुझे यहाँ लाया हूँ।
सुमन- मैं कुछ समझी नहीं पापा.. कैसी हेल्प चाहिए आपको?

गुलशन- अरे वो मेरे कपड़ा व्यापार के एक बहुत बड़े सेठ हैं, उनकी बेटी लन्दन से आई हुई है.. अब यही आगे की पढ़ाई करेगी, तो उसके पापा उसको सरप्राइज देना चाहते हैं। बस उन्होंने मुझे ये काम सौंप दिया और मैं तुझे यहाँ ले आया हूँ।
सुमन- पापा मेरी तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा, आपके दोस्त की बेटी लन्दन से यहाँ आई तो मेरा उसमें क्या काम?

गुलशन- अरे मेरी भोली सुमन.. उस लड़की की उम्र, हाईट, बॉडी सब तेरे से मिलती है, उसके लिए कुछ मॉर्डन कपड़े लेने हैं। अब भाई तुम लड़कियों को क्या पसंद आता है.. ये मुझे कैसे मालूम होगा? तो तू ही उसके लिए अच्छे कपड़े पसंद कर दे।

गुलशन जी की बात सुनकर एक बार तो सुमन को गुस्सा आया कि उसको तो पहनने नहीं देते और दूसरों के लिए उसी से शॉपिंग करवा रहे हैं। फिर उसने सोचा चलो इसी बहाने वो भी मॉर्डन कपड़े पहन कर देख तो लेगी कि उस पर जमते हैं या नहीं।

सुमन- ठीक है पापा.. मगर उम्र और हाईट से कुछ नहीं होता, पसंद सबकी अलग होती है और वो इतनी दूर से आई है तो क्या अपने कपड़े नहीं लाई होगी?
गुलशन- अरे तू तेरी पसंद के ले.. देखना उसको भी पसंद आ जाएँगे और दूसरी बात उसका बैग एयरपोर्ट पर खो गया इसी लिए ये सब करना पड़ रहा है। समझी.. अब कोई सवाल नहीं, चल कपड़े देख जल्दी.. मुझे वापस दुकान पर भी जाना है।

सुमन ने एक ब्लैक जींस और लाइट पिंक टी-शर्ट ली, फिर उसको ट्रायल रूम में चैक किया। वो उस पर बिल्कुल फिट बैठी और उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। इन कपड़ों में वो एक सेक्स बम लग रही थी। वो बाहर आई और गुलशन जी ने उसे देखा तो उनकी तो आँखें ही चुंधिया गईं। सुमन को उस ड्रेस में देखकर वो बस देखते जा रहे थे।

सुमन- क्या हुआ पापा.. सही नहीं है क्या?
गुलशन- अरे नहीं.. बहुत अच्छा है तू इसमें बहुत सुन्दर लग रही है।
सुमन- थैंक्स पापा.. अब कुछ और ट्राइ करूँ?
गुलशन- देख तू ट्राई कर ले, मुझे मत दिखा.. तुझे पसंद आए बस वो ले ले।

बस फिर क्या था, उसने और भी कपड़े ट्राई किए, कुछ स्कर्ट्स भी लिए। सुमन के दिमाग़ में लन्दन की लड़की की इमेज थी तो उसने कुछ सेक्सी शॉर्ट स्कर्ट्स और टॉप भी ले लिए।

गुलशन जी बस इधर-उधर घूम रहे थे, उनको नहीं पता था कि सुमन क्या-क्या ले रही है। जब काफ़ी देर हो गई तो वो सुमन के पास गए और उससे पूछा- कितना टाइम लगेगा?
सुमन- बस हो गया पापा.. दस ड्रेस मैंने पसंद किए हैं, एक बार आप देख लो उसमें से कितने लेने हैं?
गुलशन- अरे कितने क्या.. सारे लेने हैं। चल कुछ अच्छे जूते और सेंडिल भी ले लेते हैं।

सुमन को क्या ऐतराज होना था, वो दूसरे साइड में चली गई और वहाँ से कुछ अच्छे जूते भी ले लिए। फिर उसको सामने ब्रा-पेंटी का बहुत बड़ा डिपार्टमेंट दिखा। सुमन को जब उसके बाहर शो केस में एक बहुत ही फैन्सी ब्रा टंगी दिखी तो वो सोचने लगी कि उस लड़की के पास ब्रा-पेंटी भी तो नहीं होगी, मगर ये बात पापा को कैसे बताए। दूसरी बात ये कि उसने खुद आज तक ये चीजें नहीं खरीदी थीं.. बस इसी सोच में वो उधर देखती हुई उस एरिया से बाहर निकली। मगर उसको ये नहीं पता था कि उसके पापा उसको देख रहे हैं और उसकी नज़र का पीछा करके वो समझ गए हैं कि उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है। मगर हिम्मत उनकी भी नहीं थी कि वो सुमन को बोल पाते।

तभी वहाँ एक 22 साल की लड़की आ गई, उसकी हाईट काफ़ी अच्छी थी, वो दिखने में एकदम गोरी और बिल्कुल कैटरीना कैफ़ जैसी थी। उसका 34-30-34 का फिगर भी मस्त था।

वो गुलशन जी के पास से गुज़री और जैसे ही गुलशन जी की नज़र उस पर पड़ी।
गुलशन- अनीता, तुम यहाँ क्या कर रही हो?
अनीता- वो मैं कुछ कपड़े लेने आई थी।
सुमन- हो गई पापा पूरी शॉपिंग.. अब घर चलें या कुछ और भी लेना है?

सुमन की आवाज़ सुनकर दोनों ही झेंप गए।
अनीता- उह तो ये है आपकी बेटी सुमन..! ये तो बहुत खूबसूरत है।

गुलशन जी कुछ बोल पाते, तब तक अनीता ने सुमन से ही हैलो कर लिया।
सुमन- सॉरी, मैंने आपको पहचाना नहीं!
अनीता- आप बताओगे सुमन को.. या मैं बताऊं कि मैं कौन हूँ।
गुलशन- ये व्व..वो मेरे एक दोस्त की बेटी है अनीता.. अच्छा सुमन सब हो गया या कुछ और भी लेना है?
सुमन- मुझे क्या पता पापा.. आप मुझे यहाँ लाए हो, अब जिसके लिए ये सब लिया है ये तो उसी को पता होगा ना।
अनीता- किसके लिए शॉपिंग हो रही है.. मैं कुछ समझी नहीं?

गुलशन जी कुछ बोलते इससे पहले सुमन ने सारी कहानी बता दी।

अनीता- उह अच्छा.. ये बात है तो ड्रेस और चप्पल से क्या होगा, उसको और कुछ भी चाहिए होगा ना!

अनीता ने ये बात सामने अंडरगार्मेंट्स के डिपार्टमेंट को देख कर कही थी, जिसे बाप और बेटी दोनों समझ गए।

गुलशन- सुमन एक काम करो ये बहुत सामान हो गया है, ये सब बैग मुझे दो और मेरे लिए एक पानी की बोतल ले आओ.. बड़ी प्यास लगी है।
सुमन- पापा पानी तो शायद नीचे मिलेगा, यहाँ तो सिर्फ़ गारमेंट्स और शूज ही हैं।
अनीता- अरे तो नीचे से ले आओ, जाओ मुझे भी बहुत प्यास लगी है।

सुमन अब आगे क्या बोलती, वो पानी लाने नीचे चली गई।

गुलशन- ये क्या है अनीता.. ज़रा भी शर्म नहीं करती हो, उधर देख कर क्या बोल रही थी तुम?
अनीता- रिलॅक्स.. ऐसा क्या बोला मैंने? अब उसको इन सबकी भी तो जरूरत होगी ना.. खाली कपड़ों और जूतों से क्या होगा?
गुलशन- ऐसा कुछ नहीं है, कोई लड़की नहीं है.. ये सब सुमन के लिए ही है, बस मैं उसको सरप्राइज दे रहा हूँ।
अनीता- वाउ… आपकी आदत गई नहीं सरप्राइज देने की.. गुड मगर ये सब लिया तो अंडरगार्मेंट्स भी दिला दो ना। उसकी भी इच्छा होगी ना, मगर आप को किसी की इच्छा से क्या लेना-देना है।
गुलशन- अनीता, तुम ज़्यादा बोल रही हो, मैंने कब तुम्हारी इच्छा को दबाया बोलो? आज जो तुम ये मॉर्डन कपड़े पहन कर घूम रही हो, ऐश कर रही हो.. सब मेरी वजह से, समझी! नहीं तो पता नहीं इस वक़्त कहाँ होती।
अनीता- बस बस मेरा मुँह मत खुलवाओ.. आप कोई सुनेगा तो हँसेगा।

गुलशन- ओके बंद करो ये बकवास.. सुमन आ रही है वो सुन लेगी।
अनीता- हाँ मेरी बातें तो आपको बकवास ही लगेंगी ना, अच्छा मैं चलती हूँ, मुझे तो नई ब्रा लेनी है, आप जाओ अपनी प्यारी बेटी के साथ।
गुलशन- रूको तुम सही कह रही हो, सुमन को भी नई ब्रा-पेंटी ले लेनी चाहिए। मैं पानी लेकर वहाँ खड़ा हो जाऊंगा, तुम उसको साथ ले जाना और जो चाहिए उसको दिला देना।
अनीता- ये हुई ना बात.. अब बने आप उसके असली पापा।
गुलशन- फिर बकवास की तुमने.. असली का क्या मतलब है तुम्हारा? हाँ?
अनीता- अरे कुछ नहीं.. अब सौतेली बेटी और असली बेटी में इतना फ़र्क तो होता ही है।
गुलशन- अनीता, तुम हद पर कर रही हो, अब वो आ गई, उसके साथ अगर कोई भी ऐसी-वैसी बात की ना.. तो सोच लेना तेरी माँ की तरह तू भी उसी जगह पहुँच जाएगी।

अनीता कुछ जवाब देती, तब तक सुमन उनके बिल्कुल पास आ गई थी।

गुलशन जी ने सुमन से पानी की बोतल ली और कहा- तुम अनीता के साथ जाकर कुछ और शॉपिंग कर आओ, मैं तब तक वहाँ आराम करता हूँ।

सुमन- लेकिन अब क्या बाकी रह गया? मैंने तो सब ले लिया।
अनीता- अरे तुम आओ तो मेरे साथ.. आप जाइए, उधर जाकर थोड़ा रुकिए, हम दोनों अभी आते हैं।

सुमन को तो कुछ समझ ही नहीं आया और अनीता भी उसके लिए अनजान थी। बस वो उसके पीछे चली गई, जब वो उस जगह पहुँची, तब उसको समझ आया कि माजरा क्या है, मगर अनीता के सामने उसको बहुत शर्म आई।

अनीता- सुमन शरमाओ मत, अपना साइज़ बताओ, उसी हिसाब से मैं तुम्हें कुछ अच्छे सैट दिलवा दूँगी।

सुमन ने शर्माते हुए अपना साइज़ बता दिया, फिर क्या था अनीता ने एक से बढ़कर एक सैट उसको दिलवाए, जिसे देख कर सुमन भी खुश हो गई। फिर उसको ख्याल आया कि ये तो किसी और के लिए हैं.. बस फिर क्या था उसका मूड खराब हो गया।

सुमन- बस बहुत ले लिया, अब चलो यहाँ से चलते हैं.. मुझे घर जाकर पढ़ाई भी करनी है।
अनीता- अरे रूको, एक-दो नाइटी भी ले लो ना।

सुमन का मन नहीं था मगर अनीता ने ज़बरदस्ती उसको 2 सेक्सी नाइटी दिलवा दीं।

सारा सामान लेकर वो दोनों गुलशन जी के पास आ गए, फिर अनीता ने बहाना बना कर उनसे विदा ली और चली गई।

गुलशन- क्यों बेटा हो गई शॉपिंग.. अब घर चले या कुछ और लेना है?
सुमन- अब जो लेना था ले लिया, बाकी उसको कुछ चाहिए होगा तो वो खुद ले लेगी।

सुमन को बहुत गुस्सा आ रहा था कि उसके पापा ने एक बार भी उसको ये नहीं कहा कि तुम भी अपने लिए कुछ ले लो।

गुलशन- ठीक कहा तुमने, कुछ रह गया होगा तो वो खुद ही लेने आ जाएगी, चलो नीचे बिल करवा लेते हैं.. फिर मुझे भी वापस दुकान जाना है।

मेरे प्रिय पाठको, आप मुझे मेरी इस सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.. पर आपसे आग्रह है कि आप मर्यादित भाषा में ही कमेंट्स करें.

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कहानी जारी है।

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