नई जवानी की बुर की चुदाई-2

(Nai Jawani Ki Bur Ki Chudai- Part 2)

This story is part of a series:

मैं यह साफ महसूस कर सकता था कि प्रिया मुझसे कुछ कहना चाहती है, पर कह नहीं पा रही है।

इसी बीच लंच का समय हो गया और मैं बाकी स्टाफ के साथ लंच लेने चला गया। जब मैं लंच लेकर वापस केबिन में लौटा तो प्रिया वहाँ नहीं थी, चपरासी ने मुझे बताया कि प्रिया घर जा चुकी है। मैं अपनी कुर्सी पर बैठा था कि तभी मेरी नजर एक छोटी सी पर्ची पर पड़ी, जो मॉनीटर से दबी हुई थी। उसमें लिखा था कि क्या आज तुम ऑफिस के बाद मेरे घर आ सकते हो?

मेरी तो खुशी का ठिकाना न रहा।
मैं अब समय को किसी तरह से बिता रहा था और बार-बार मेरी नजर घड़ी पर जा रही थी।

किसी तरह ऑफिस खत्म होने को आया, मैं तुरन्त ही अपनी गाड़ी उठा कर प्रिया के घर की तरफ चल दिया, उसके घर पहुंचकर जब मैंने घंटी बजाई तो तुरन्त ही दरवाजा खुल गया, मुझे भी उसके अन्दर एक बैचेनी सी नजर आई, उसने मुझे बैठाया और चाय, नाशता और पानी को टेबिल पर रखकर बैठ गई.

मैं और प्रिया चुपचाप बैठे चाय पी रहे थे कि तभी मेरी नजर प्रिया के पैरों की तरफ गई, वो अपने अंगूठे से जमीन को खुरचने का प्रयास कर रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो कुछ कहना चाह रही हो, लेकिन कह नहीं पा रही.
मैंने ही शुरूआत करने की सोची, मैंने उसकी तंद्रा को भंग करते हुए पूछा- प्रिया, आपने मुझे क्यों बुलाया?
उसने एकदम से चौंक कर मेरी तरफ देखा और फिर नजरें झुका कर बोली- शक्ति, मेरे घर में आज से तीन दिन तक कोई नहीं है। क्या तुम मेरे साथ रह सकते हो?
‘पर क्यों?’ मैंने पूछा।

वो थोड़ी देर तक चुप रही, मैंने एक बार फिर पूछा- आखिर तीन दिन तक मुझे तुम्हारे साथ क्यों रूकना है?
वो मेरे आँखों में आँखें डाल कर बोली- मुझे एक बार फिर से तुम्हें नंगा देखना है।
इतना कहकर वो चुप हो गई।

मेरे मन में एक अलग सी खुशी छा रही थी, जो लड़की किसी को अपने पुट्ठे पर हाथ नहीं रखने देती थी, वो मुझे खुद इनवाईट कर रही थी।

इत्तेफाक था कि इन दिनों मेरा घर भी खाली पड़ा हुआ था और अगले 10 दिन तक कोई वापस भी नहीं आने वाला था, इसलिये मैंने प्रिया से पूछा कि क्या वो मेरे साथ मेरे घर चलेगी?
वो राजी भी हो गई।
उसने मुझे चौराहे पर वेट करने के लिये कहा, मैं चौराहे पर आकर उसका इंतजार करने लगा।

थोड़ी ही देर बाद प्रिया अपने हाथ में एक छोटी अटैची लेकर आ गई। मैं प्रिया को लेकर अपने घर आ गया।

थोड़ी देर तक वो चुपचाप मेरे घर को देख रही थी और मैं चाय बना रहा था, मैंने उसे चाय सर्व की और उसके बाद मैं खाना बनाने की तैयारी करने लगा.
इस बीच प्रिया ने मुझसे कोई बात नहीं की, बस मेरे साथ खाना बनाने में मेरी मदद कर रही थी।

उसके बाद हम दोनों ने साथ खाना खाया और फिर हम दोनों मेरे कमरे में आ गये।
बहुत देर की चुप्पी को मैंने तोड़ते हुए प्रिया से पूछा- अब क्या करना है?
वो बोली- जो मैंने तुमसे कहा था, वही करना है!
उसके अन्दर अभी भी एक झिझक थी।

मैंने कहा- ठीक है, लेकिन तुम्हें भी नंगी होना होगा।
इस पर वो बोली- मैं भी नंगी हो जाऊँगी, पर पहले तुम्हें नंगा होना होगा।
‘ठीक है!’ यह कहते हुए मैंने अपने कपड़े उतारना शुरू किया, जब मैं पूर्ण नंगा हो गया तो प्रिया मेरे पास आई और मेरे नंगे जिस्म पर अपने हाथ फेरने लगी। वो अपनी उंगलियों को मेरी एक-एक नाजुक जगह पर चला रही थी, कभी मेरे निप्पल पर तो कभी मेरी नाभि पर… तो कभी जांघ और अंडे पर या फिर लंड पर…
फिर मेरे पीछे आती और मेरे चूतड़ को सहलाती और एक उंगली चूतड़ के दरार में डालती।

बड़ी देर तक मैं यूं ही खड़ा रहा और वो मेरे बदन से खेलती रही।
फिर उसने अपने चुम्बनों की बौछार सी कर दी, मैं बुत की तरह खड़ा था और वो कभी मुझसे कस कर लिपट जाये तो कभी मेरे सभी अंगों को बेइन्तहा चूमे।
तब वो मुझसे अलग हुई और अपने चेहरे को हाथों में छुपाकर बिस्तर के कोने में जा कर दुबक गई।

मैं उसके इस व्यवहार को समझ नहीं पाया, मैं उसके पास गया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसको पुचकारा, मैं बोला- प्रिया यह तो अनफेयर है। तुमने भी मेरे सामने नंगी होने का वायदा किया था, अब तुम्हारी बारी है।
वो मेरी तरफ घूमी, उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने उसके आंसू पोंछते हुए कहा- कोई बात नहीं, अगर तुम नंगी नहीं होना चाहती तो कोई बात नहीं, कोई जबरदस्ती नहीं है.

इतना कहकर मैं उठने लगा, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आज पहली बार अपनी इच्छा से अपने लिये कुछ कर रही हूँ और मेरे परिवार में किसी को कुछ नहीं मालूम है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगर तुम वापस जाना चाहो तो मैं तुम्हें ले चलने के लिये तैयार हूँ।
‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। आज मैं अपने सुख का अहसास करना चाहती हूँ।’ वो पलंग पर ही खड़ी हो गई और अपने जिस्म से अपने कपड़े अलग करने लगी।

जब उसने अपने पूरे कपड़े उतार लिये तो मैं उसे गौर से देखने लगा तो वो फिर शर्मा गई और अपने चेहरे को छुपा लिया।
क्या अंग थे उसके… दोनों जांघें आपस में चिपकी हुई थी, ऐसा लग रहा था कि दोनों जांघें मिलकर प्रिया की योनि को मुझसे छिपाने का अथक असफल प्रयास कर रही थी।
हालांकि उसकी योनि को बालों ने भी छिपा रखा था, बड़े-बड़े बाल उगे हुए थे।

धीरे-धीरे मेरी नजर ऊपर की तरफ जा रही थी, उसकी गहरी बड़ी सी नाभि भी बहुत ही आकर्षक लग रही थी। पेट उसका अन्दर की तरफ था।
मैंने धीरे से अपने होंठ नाभि के पास रख दिए और एक हल्का सा चुम्बन दे डाला।

अब मेरी नजर उसके उठे हुए स्तनों पर थी, जिनके बीच में काले रंग की छोटी बिन्दी जैसी निप्पल था। मेरे हाथ उन निप्पल को छूने लगे, मेरे दोनों चुटकी में उसके निप्पल फंस चुके थे।
प्रिया ने अभी भी अपना चेहरा छुपा रखा था, बीच बीच में वो अपनी उंगलियों के बीच से मुझे खेलते हुए देख लेती थी और जब मेरी नजर उस पर पड़ती थी तो वो फिर से अपने चेहरे को छुपा लेती थी।

इसी बीच मेरे हाथ उसके चूतड़ के उभारों पर टिक गये। उसके उभारों में बड़ा कसाव था, दबाने में बड़ा ही मजा आ रहा था, बीच-बीच में मेरे उंगली जैसे ही उसकी दरार के बीच घुस कर उस छेद के अन्दर जाने की कोशिश करती, वैसे ही वो आह बोल देती और मेरी उंगली बाहर निकल आती।
मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और लेकर गोल-गोल चक्कर काटने लगा, उसकी हंसी छूट पड़ी।
प्रिया के स्तन मेरे होंठों से छू रहे थे, मैं अपनी जीभ निकालकर उसके स्तनों के बीचों बीच लटके हुए काले अंगूर पर लगा देता। मैं बारी-बारी से दोनों निप्पल को चटकारे लेकर टच करता, मेरी इस अदा पर प्रिया ने अपने होंठों को गोल किया और मुझे फ्लाईंग किस दी.
जवाब में मैंने भी उसे फ्लाईंग किस दी।

प्रिया की टांगें मेरे लिंग से लड़ रही थी। उसकी कांख में भी बाल थे और पसीने की गंध मेरे नथूनों में धंसी जा रही थी, लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

फिर मैंने उसको अपनी गोद से उतारा और पलंग पर लेटाकर उसकी बगल में लेट गया और उसके ऊपर अपनी टांग चढ़ा दी।
मेरा लिंग उसके योनि से टच कर रहा था और इससे ही मुझे उसके अन्दर से निकलती हुई गर्मी का अहसास हो रहा था। मेरे लिये उसके कांख में बाल होने या उसके योनि के ऊपर बाल होने का कोई मतलब नहीं था।

मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उसके सर के ऊपर ले जाकर सीधा कर दिया और अपनी नाक उसकी कांख से निकलती हुई गंध को सूंघने के लिये लगा दी।
मैं धीरे-धीरे उसके शरीर के हर हिस्से को अपने अन्दर महसूस करना चाहता था, मैंने प्रिया को सीधा लेटाया और उसके ऊपर अपनी टांग को एक बार फिर चढ़ाया और उसके गर्दन पर अपने होंठ रख दिये, उसके बाद मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया, वो भी मेरे होंठ को चूस रही थी।

उसके बाद मैं उसके दोनों स्तनों को बारी-बारी से अपने मुंह के अन्दर लिया, फिर प्रिया के पेट पर अपनी जीभ चलाते हुए उसके गहरी नाभि के पास पहुंच गया और अपनी जीभ मैंने उसकी नाभि के अन्दर घुसेड़ दी।
वो इधर-उधर उछलने लगी, बोली- शक्ति, प्लीज अपनी जीभ निकालो, मुझे गुदगुदी हो रही है।

मैंने अपनी जीभ निकाली और एक गहर चुम्बन जड़ दिया, मैं और नीचे उतरा योनि के पास पहुंचा और जांघों को चूमने लगा, हालांकि उसकी जांघ के आस पास भी बालों का जंगल था और वो टूट कर मेरे मुंह के अन्दर आ रहे थे, पर जैसे ही मैंने उसकी योनि पर अपने मुंह को रखा, उसने तुरन्त ही मेरे सर को धक्का देकर अलग कर दिया और अपने हाथ से उस जगह को ढक लिया और बोली- इस जगह को रहने दो, मुझे यह पसन्द नहीं है।

मैंने धीरे से उसके हाथ को हटाया और बोला- तुम्हारे लिये यह जगह अच्छी नहीं है, पर मेरे लिये तो बहुत ही अच्छी जगह है।
इतना कहने के साथ ही जैसे मैंने एक बार फिर योनि के बीचों बीच चुम्बन जड़ने का प्रयास किया, प्रिया ने एक बार फिर अपने हाथ उस जगह पर रख लिया।
मैंने उसके हाथ को फिर से हटाया और खुद पलंग से नीचे उतरा और प्रिया की कमर को पकड़ कर नीचे की तरफ खींचा और उसके दोनों पैरों को पैताने पर टिका दिया और प्रिया से बोला- मुझे दो मिनट का समय दो, अगर तुम्हें पसंद न आये तो फिर मैं नहीं करूंगा।
‘ठीक है!’ वो बोली.

मैंने उसकी जांघों को पकड़ा और उसके योनि के मुहाने पर अपने होंठ रख दिए, योनि के मुहाने से गर्म हवा निकल रही थी, मैंने अपनी जीभ निकाली और बस टच ही की थी कि प्रिया का जिस्म अकड़ने लगा और उसका पानी निकल गया, वो बस इतना ही बोल पाई थी- शक्ति, प्लीज अपना मुंह वहाँ से हटा लो, मेरे अन्दर से कुछ बाहर आ रहा है!

लेकिन तब तक उसके रस का स्वाद मेरे जीभ को टच कर चुका था। मैंने अपना मुंह हटाया और देखा तो सफेद तरह पदार्थ निकल रहा था।
मैंने उसके रस को एक उंगली में लिया और उसके पास पहुंचा और उसको दिखाते हुए बोला- प्रिया देखो, यह तुम्हारे अन्दर से निकला है.
उसने अपनी आँखें खोली, बोली- क्या है यह?
मैं बोला- तुम्हारा वीर्य है ये, लो इसे चखो!
‘छीः मैं नहीं चखती!’
‘क्यों?’ मैंने पूछा.
तो बोली- जहाँ से पेशाब निकलती है, वहीं से यह भी निकला है। मैं चखूँगी तो मुझे उल्टी हो जायेगी।

‘मुझे तो नहीं हुई, तुम्हारा रस मेरे जीभ को टच कर चुका है.’ कहते हुए मैं उसके बगल में लेट गया।
‘तो ठीक है, तो तुम्ही इसे चख लो।’
‘ओ.के.’ कहते हुए मैंने उस उंगली को अपने मुंह के अन्दर किया- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

‘छीः’ कहते हुए पल्टी और मेरे ऊपर अपनी टांग को चढ़ाकर बोली- यह तुमने क्या किया?
‘तुम्ही तो बोली थी।’
‘मैंने मजाक किया था.’
‘सेक्स में मजाक नहीं, मजा आना चाहिये। अभी जब तुम्हारी बुर चाट रहा था…’

‘बुर…’ मेरी बात को काटते हुए बोली।
‘हाँ बुर, मैंने अपनी हथेली उसकी बुर को सहलाते हुए बोला- इसी को बुर कहते हैं।
प्रिया ने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे समझने का प्रयास कर रही हो, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि जो लड़की ऑफिस को डील कर रही हो उसे जिस्म के नाम न मालूम हो। फिर भी मैंने सोचा ‘हो सकता हो, कभी इसने ध्यान नहीं दिया हो।’

फिर मैंने अपनी बात को आगे बढ़ाया और उससे बोला- जब मैं तुम्हारी बुर चाट रहा था तो कैसा लगा?
एक बार फिर वो चुप हो गई और कुछ देर बाद बोली- शुरू में तो मजा नहीं आया लेकिन फिर बहुत मजा आ रहा था।
अभी तक उसके हाथ मेरे सीने के बालों से खेल रहे थे।

फिर वो मेरे ऊपर फ्लैट लेट गई और मेरा लंड उसकी चूत के पास जांघों के बीच फंसा हुआ था। मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे। फिर मेरा हाथ उसके पुट्ठे पर गया और उसको दबाते हुए बोला- तुम्हारा पुट्ठा बहुत टाईट है।
वो थोड़ा मुस्कुराई और मेरे गालों पर पप्पी ले ली, मैंने उसकी गांड के अन्दर उंगली डालते हुए कहा- जानेमन गाल पर पप्पी मत दो, मेरे होंठों को चूसो।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और खींचते हुए बोली- अपनी उंगली पीछे से निकालो।
मैं हँसते हुए बोला- पीछे से नहीं, गांड बोलो गांड!
‘धत्त…’

मैंने उसके चेहरे को अपनी तरफ करते हुए कहा- देखो, अगर सेक्स का मजा लेना हो तो, खुल कर लो।
प्रिया मेरी तरफ अभी भी प्रश्न भरी निगाहों से देख रही थी।

मैंने उसकी लटों को एक तरफ करते हुए कहा- अच्छा अब तुम भी मुझे वैसे ही प्यार करो जैसे मैंने तुम्हें किया।
मेरी इस बात को सुनते ही वो तुरन्त ही मेरे होंठों को चूमने लगी, फिर नीचे उतरते हुए मेरे निप्पल को अपने होंठों का मजा देने लगी, फिर मेरी नाभि की तरफ ठीक उसी तरह कर रही थी, जैसे मैंने किया.
मेरा लंड हिचकोले खा रहा था।

जांघ के अगल बगल तक उसने अपनी जीभ चलाई और फिर नीचे पैरों की तरफ उतरने लगी, तब मैंने उसे टोकते हुए कहा- प्रिया यह फेयर नहीं है, मैंने तुम्हारी बुर को भी प्यार किया था, तो अब तुमको भी मेरे लंड को प्यार करना होगा!
उसने मेरी तरफ देखा और फिर अपने काम पर शुरू हो गई.

बुर की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैंने दो बार उससे प्लीज कहा तो वो बड़ी मुश्किल वो मेरे लिंग के अग्र भाग को अपने मुंह के अन्दर ले पाई थी। हाँ ये अलग बात थी कि वो मेरे बाल रहित लंड के आसपास की जगहों को बड़े ही प्यार से सहलाती और उन जगहों को चूम लेती थी.

इसी बीच मैंने सुपारे के खोल को नीचे किया और प्रिया से उस पर अपनी जीभ चलाने को कहा.
थोड़ा न नुकुर करने के बाद उसने अपनी जीभ चलाना शुरू की, मेरा लंड प्रिया के मुंह की चपेट में आने से तड़प सा गया था और वैसे भी काफी समय से बर्दाशत भी कर रहा था। इसलिये जैसे ही प्रिया ने जीभ चलाई मेरी रस मलाई फड़फड़ाते हुए निकल गई जो प्रिया के जीभ को टच करते हुए उसके मुंह के अन्दर और चेहरे पर गिर गई.

‘छीईईई ईईईई…’ कहकर वो बाथरूम की तरफ भागी, मैं भी उसके पीछे-पीछे बाथरूम की तरफ भागा और मेरा रस भी मेरे भागने के कारण यहाँ वहाँ गिर रहा था।

मैं बाथरूम के अन्दर पहुंचा तो प्रिया उल्टी करने का प्रयत्न कर रही थी, मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा- परेशान मत हो, उल्टी नहीं होगी!
लेकिन वो मुंह के अन्दर उंगली डाल कर उल्टी करने का प्रयास कर रही थी.

बेसिन से झुके होने के कारण उसका गुदा (गांड) द्वार थोड़ा सा खुल गया था और मैंने प्रिया के दोनों कूल्हों को कस कर दबा दिया.
‘उईईई ईईई…’ करके एकदम से पल्टी और मेरे मुंह पर एक झापड़ रसीद कर दिया उसने!
मैं अपना गाल मलता रह गया और वो भाग के बिस्तर पर पेट के बल लेट गई।

मैं भी अपने गाल को सहलाते हुए पीछे पीछे कमरे में आ गया, वो दोनों हाथों के अन्दर अपना मुंह छुपा कर लेटी हुई थी, मैं उसकी पीठ सहलाने लगा लेकिन वो कोई रिस्पॉन्स नहीं दे रही थी।

मैं एक जवान बुर की चुदाई कर भी पाऊँगा या नहीं?
अगले भाग में देखें कि मेरे भाग्य में क्या है।
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