गांव वाली विधवा भाभी की चुदाई की कहानी-2

(Gaanv Vali Bhabhi Ki Chudai Ki Kahani- Part 2)

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अब तक आपने पढ़ा..
मुझे पापा के कहने पर गाँव जाना पड़ा, गाँव में मेरे पड़ोसी चाचा की विधवा बहू को देख कर मेरा उन पर दिल आ गया।
अब आगे..

रेखा भाभी के इतने पास होने के कारण मेरे दिल में एक अजीब गुदगुदी सी हो रही थी.. मगर कुछ करने कि मुझमें हिम्मत नहीं थी। मैं पिछली रात को ठीक से नहीं सोया था इसलिए पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और सुबह भी मैं देर तक सोता रहा।

सुबह जब रेखा भाभी कमरे की सफाई करने के लिए आईं तो उन्होंने ही मुझे जगाया। मैं उठा.. तब तक चाचा-चाची खेत में जा चुके थे और सुमन भी कॉलेज चली गई थी।

घर में बस मैं और रेखा भाभी ही थे.. मेरा दिल तो कर रहा था कि रेखा भाभी को पकड़ लूँ.. मगर इतनी हिम्मत मुझमें कहाँ थी। इसलिए मैं उठकर जल्दी से खेत में जाने के लिए तैयार हो गया।

मैं काफी देर से उठा था तब तक दोपहर के खाने का भी समय हो गया था.. इसलिए खेत में जाते समय रेखा भाभी ने मुझे दोपहर का खाना भी बनाकर दे दिया।

इसके बाद खेत से मैं शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।

सुबह मैं देर से उठता था इसलिए रोजाना की मेरी यही दिनचर्या बन गई कि मैं दोपहर का खाना लेकर ही खेत में जाता और शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से वापस आता। मगर जब भी घर में रहता तो किसी ना किसी बहाने से रेखा भाभी के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता रहता और रेखा भाभी को पटाने की कुछ ना कुछ तरकीब बनाता रहता।

मगर रेखा भाभी ने मुझमे कोई रूचि नहीं दिखाई और भाभी के प्रति मेरी वासना बढ़ती ही जा रही थी।

एक सुबह नींद खुलने के बाद भी मैं ऐसे ही चारपाई पर लेटा हुआ ऊंघ रहा था कि तभी मेरे दिमाग में एक योजना आई। मुझे पता था कि रेखा भाभी मुझे जगाने के लिए नहीं.. तो कमरे में सफाई करने के लिए तो जरूर ही आएंगी और घर में मेरे व रेखा भाभी के अलावा कोई है भी नहीं, इसलिए मुझे इस वक्त किसी का डर भी नहीं था।

सुबह-सुबह पेशाब के ज्वर के कारण मेरा लिंग उत्तेजित तो था ही.. ऊपर से रेखा भाभी के बारे में सोचने पर मेरा लिंग बिल्कुल लोहे सा सख्त हो गया।

मैंने अपने अण्डरवियर व पायजामे को थोड़ा सा नीचे खिसका कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और इस तरह से व्यवस्थित कर लिया कि रेखा भाभी जब कमरे में आएं.. तो उन्हें मेरा उत्तेजित लिंग आसानी से नजर आ जाए। फिर मैं सोने का बहाना करके भाभी के कमरे में आने का इन्तजार करने लगा।

मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा क्योंकि कुछ देर बाद ही रेखा भाभी कमरे में आ गईं।
भाभी के आते ही मैं जल्दी से आँखें बन्द करके सोने का नाटक करने लगा। भाभी मुझे जगाने के लिए मेरी चारपाई की तरफ बढ़ ही रही थीं कि वो वहीं पर रुक गईं और फिर जल्दी से वापस बाहर चली गईं।

मैं सोच रहा था कि रेखा भाभी मेरे उत्तेजित लिंग को देखकर शायद खुद ही मेरे पास आ जाएं.. मगर ऐसा कुछ तो नहीं हुआ। ऊपर से रेखा भाभी के ऐसे चले जाने के कारण मुझे डर लगने लगा कि कहीं भाभी मेरी शिकायत ना कर दें।

रेखा भाभी के जाने के बाद मैं काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा क्योंकि मैं चाहता था कि भाभी को ऐसा लगे कि मैं सही में ही सो रहा हूँ। मगर भाभी को शायद शक हो गया था कि मैंने जानबूझ कर ऐसा किया है क्योंकि जब तक मैं खुद ही उठकर बाहर नहीं गया तब तक भाभी दोबारा कमरे में नहीं आईं और ना ही मुझे जगाने की कोशिश की।

जब मैं खुद ही उठकर बाहर गया तब भी रेखा भाभी मुझसे ठीक से बात नहीं कर रही थीं.. इसलिए मैं खेत में जाने के लिए तैयार हो गया और इस दौरान भाभी ने मुझसे बस एक-दो बार ही बात की होगी।

इसके बाद रोजाना की तरह ही मैं दोपहर का खाना लेकर खेत में चला गया और शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।

शाम को जब मैं घर आया तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं रेखा भाभी सुबह वाली बात चाचा-चाची को ना बता दें मगर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।

इसके बाद तो मेरी भी दोबारा ऐसी कुछ हरकत करने की कभी हिम्मत नहीं हुई। अब रेखा भाभी को पता चल गया था कि मेरी नियत उनके प्रति क्या है.. इसलिए उन्होंने मुझसे बातें करना बहुत ही कम कर दिया और मुझसे दूर ही रहने की कोशिश करने लगीं।
सुबह भी जब तक मैं सोता रहता.. तब तक वो कमरे में नहीं आती थीं।

इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया और इस हफ्ते भर में मैंने रेखा भाभी को याद करके काफी बार हस्तमैथुन किया.. मगर उनके साथ कुछ करने की मैं हिम्मत नहीं कर सका।

एक बार रात को सोते हुए ऐसे ही मेरी नींद खुल गई। मैंने सोचा कि सुबह हो गई.. मगर जब मैंने बाहर देखा तो बाहर बिल्कुल अन्धेरा था। फिर मैंने रेखा भाभी व सुमन की तरफ देखा, वो दोनों सो रही थीं।

मगर जब मेरा ध्यान रेखा भाभी पर गया तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं, क्योंकि रेखा भाभी के कपड़े अस्त-व्यस्त थे। उनकी साड़ी व पेटीकोट उनके घुटनों के ऊपर तक हो रखे थे।

कमरे में अन्धेरा था। बस खिड़की से चाँद की थोड़ी सी रोशनी आ रही थी.. जिसमें रेखा भाभी के संगमरमर सी सफेद गोरी पिण्डलियाँ ऐसे दमक रही थीं जैसे कि उन्हीं में से ही रोशनी फूट रही हो।

भाभी के घुटनों तक के दूधिया सफेद नंगे पैरों को देखकर मेरा लिंग अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया और मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो गया।

मुझे डर लग रहा था मगर फिर भी मैं अपने आपको रोक नहीं सका और धीरे से अपना एक हाथ रेखा भाभी के नंगे घुटने पर रख दिया और कुछ देर तक मैं बिना कोई हरकत किए ऐसे ही लेटा रहा, ताकि अगर रेखा भाभी जाग भी जाएं तो उन्हें लगे कि मैं नींद में हूँ।

कुछ देर इन्तजार करने के बाद जब रेखा भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो मैं धीरे-धीरे अपने हाथ को रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ाने लगा।

मैं रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ते हुए धीरे-धीरे उनकी साड़ी व पेटीकोट को भी ऊपर की तरफ खिसका रहा था। जितना मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ता रेखा भाभी की संगमरमरी सफेद जाँघें भी उतनी ही नंगी हो रही थीं।

जैसे-जैसे भाभी की जांघें नंगी हो रही थीं.. वैसे वैसे ही मानो कमरे में उजाला सा हो रहा था। क्योंकि उनकी जाँघें इतनी गोरी थीं कि अन्धेरे में भी दमक रही थीं।

धीरे-धीरे मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी मखमल सी नर्म मुलायम माँसल व भरी हुई जाँघों पर पहुँच गया जो कि इतनी नर्म मुलायम व चिकनी थी कि अपने आप ही मेरा हाथ फिसल रहा था।

मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी जाँघों पर पहुँच गया था.. मगर रेखा भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही थी, शायद वो गहरी नींद में थीं।

इससे मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और मैं अपने हाथ को रेखा भाभी की दोनों जाँघों के बीच धीरे-धीरे अन्दर की तरफ ऊपर बढ़ाने लगा।

थोड़ा सा ऊपर बढ़ते ही डर व घबराहट के कारण मेरा पूरा शरीर काँपने लगा। क्योंकि अब मेरा हाथ रेखा भाभी के जाँघों के जोड़ पर पहुँच गया था। उन्होंने साड़ी व पेटीकोट के नीचे पेंटी पहन रखी थी।

अन्धेरे के कारण मैं ये तो नहीं देख पा रहा था कि उनकी पेंटी कैसे रंग की है.. मगर हाँ वो जरूर किसी गहरे रंग की थी। मैंने धीरे से, बहुत ही धीरे से हाथ को उनकी पेंटी के ऊपर रख दिया और पेंटी के ऊपर से ही उनकी योनि का मुआयना करने लगा।
उनकी योनि बालों से भरी हुई थी जो कि पेंटी के ऊपर से ही मुझे महसूस हो रहे थे।

मैं धीरे-धीरे उनकी योनि को सहला ही रहा था कि तभी अचानक से रेखा भाभी जाग गईं.. उन्होंने मेरा हाथ झटक कर दूर कर दिया और जल्दी से उठकर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करने लगीं।

ये सभी काम उन्होंने एक साथ और बिजली की सी रफ्तार से किए। डर के मारे मेरी तो साँस ही अटक गई, मैं जल्दी से सोने का नाटक करने लगा मगर भाभी को पता चल गया था कि मैं जाग रहा हूँ।

मैंने थोड़ी सी आँख खोलकर देखा तो रेखा भाभी अपने कपड़े सही करके बैठी हुई थीं और मेरी ही तरफ देख रही थीं।

मैं डर रहा था कि कहीं रेखा भाभी शोर मचाकर सबको बता ना दें। डर के मारे मेरा दिल इतनी जोरों से धड़क रहा था कि मैं खुद ही अपने दिल की धड़कन सुन पा रहा था। मगर फिर कुछ देर बाद रेखा भाभी सुमन की तरफ करवट बदल कर फिर से सो गईं।

मैं सोने का नाटक कर रहा था मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी। अभी जो कुछ हुआ मैं उसी के बारे में सोच रहा था।

मैं सोच रहा था कि अगर रेखा भाभी को शोर मचाना होता और मेरी शिकायत करनी होती तो अभी तक वो कर देतीं। शायद वो भी बदनामी से डर रही हैं और वैसे भी रेखा भाभी बहुत शरीफ हैं। शायद इसलिए उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। ये बात मेरे दिमाग में आते ही मुझमें हिम्मत आ गई और एक बार फिर मैंने धीरे से रेखा भाभी की जाँघ पर हाथ रख दिया।

आगे क्या होता है इसका वर्णन विस्तार से लिखूँगा, आप मुझे ईमेल जरूर कीजिये।
[email protected]
भाभी की चुदाई की कहानी जारी है।

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