पलक और अंकित के बाद

लेखक : सन्दीप शर्मा

दोस्तो,

उम्मीद है आप सभी मजे में होंगे मेरी पिछली कहानी पलक की चाहत और मुंबई के सफर का मुझे शानदार जवाब मिला है दोस्तों और उसके लिए आप सभी का धन्यवाद।

इस कहानी का पूरा आनन्द लेने के लिए “पलक की चाहत के सारे भाग ” एवं “पलक और अंकित” पढ़ें।

जैसा आपने पिछली कहानी “पलक और अंकित” में पढ़ा कि मैं कार में था, पलक ने कार स्टार्ट की और बिल्डिंग से बाहर निकल आई।

मैंने उससे पूछा- इतनी जल्दी आ गई?

तो बोली- बाद में बात करते हैं !

उसके बाद उसने कार को घर की तरफ मोड़ने के बजाय नवलखा की तरफ मोड़ लिया, मैंने पूछा- हम कहाँ जा रहे हैं?

तो बोली- कभी चुप भी रह लिया कर ! कितना बोलता है।

उसके यह कहने के बाद कुछ बोलने को बचता ही नहीं था। और थोड़ी देर में हम लोग सरिता के फ़्लैट पर पहुँच चुके थे, हम लोग पहले भी वहाँ कई बार मिले थे शराब पीने के लिए, तो जगह मुझे पहले ही पता थी।

पलक ने गाड़ी पार्क की और मुझसे बोली- चल !

मुझे लगा कि शनिवार का दिन है, इसका पीने का मन होगा और मेरा भी मूड अलग ही था तो मेरा भी मन था पीने का !

मैंने कहा- चल ठीक है।

जब फ़्लैट पर पहुँचे तो ताला लगा हुआ था, चाभी पलक के पास थी ही तो उसने ताला खोला, खुद अंदर चली गई और मुझसे बोली- अब अंदर भी आ जा !

मैं जैसे ही अंदर गया, उसने दरवाजा बंद किया और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया, मैंने भी उसका साथ देते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया और उसे अपनी बाँहों में उठा लिया।

उस वक्त तो वो वो फूल जैसी हल्की लग रही थी, सरिता के फ़्लैट में कोई भी फर्नीचर नहीं था पर हाल में ही एक गद्दा पड़ा हुआ था तो मैंने पलक को उठा कर उस गद्दे पर ही लिटा दिया और खुद उसको ऊपर आकर लेट गया।

उसके गाल को चूमते हुए मैंने कहा- क्या हुआ यार? तू तो अंकित के साथ थी? वहाँ से आकर सीधे मुझ पर टूट पड़ी? क्या हुआ? अंकित के साथ कुछ नहीं हुआ क्या?

तो पलक बोली- जितना अंकित को मिलना चाहिए था उसे उससे ज्यादा मिल चुका है, और अब मैं तड़प रही हूँ तो प्लीज बोल मत, कुछ कर !

इन शब्दों के कहते हुए उसकी आँखों में एक अजीब सा दर्द दिखा, उसकी बात सुन कर मैंने उसकी जींस उतार दी, जींस के साथ ही उसकी पैंटी भी उतार दी और मैंने खुद की जींस और अंडरवियर भी उतार दी।

अब हम दोनों ही टीशर्ट में थे !

मैंने मेरे हाथों के अंगूठों से पलक चूत को फैलाया और मेरे लण्ड को उसकी गीली हो चुकी चूत पर रख दिया। जब मैंने पलक की चूत पर हाथ लगाया था तभी समझ में आ गया था की पलक और अंकित के बीच चाहे कुछ भी हुआ हो पर सम्भोग नहीं हुआ है क्योंकि पलक की चूत काफी कसी हुई लग रही थी।

मेरा मन पलक को थोड़ा सा तड़पाने का था उस वक्त तो मैं उसी हालत में पलक के ऊपर आ गया और उसके गालों को चूमने लगा और उसके बालों से खेलने लगा।

मेरी इस हरकत पर पलक गुस्सा दिखाते हुए बोली- अब तू भी मेरी फ़िक्र नहीं करेगा क्या, तू भी मुझे तड़पाना चाहता है क्या ? अब कर ना !

उसकी यह बात सुन कर मैं रुक नहीं सकता था तो रुका भी नहीं, मैं जानता था कि एक हफ्ते में वो वापस से इतना टाईट हो चुकी है कि अगर धक्का लगाऊँगा तो कुछ सेकंड तो इसको दर्द उठेगा ही।

तो मैंने एक हाथ उसकी कमर के नीचे रखा और दूसरे हाथ कोई उसके कंधे के नीचे से ले जाकर उसके सर को सहारा देते हुए उसके बाल सहलाने लगा और पलक के होंठों को अपने होंठों से बंद करके मैंने एक जोरदार धक्का मार दिया।

मेरे इस धक्के से मेरा पूरा लण्ड पलक की चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर तक चला गया और पलक के मुँह से एक घुटी हुई चीख निकली अगर मैंने उसके होंठों को मेरे होंठों से बंद ना कर रखा होता तो यह चीख बहुत तेज ही होती।

मेरे धक्के पर पलक दर्द के कारण पूरी तरह से एक पल के लिए अकड़ गई उसकी आँखें बाहर की तरफ आ गई और आँखों पलकों के किनारे भीग भी गए थे।

उसे सामान्य होने में कुछ सेकंड लगे उसके बाद मुझसे बोली- तू मेरी जान लेना चाहता है क्या? आराम से नहीं कर सकता क्या?

मैंने कहा- तूने ही तो कहा था कि जल्दी कर, तो मैंने जल्दी की, और तू ही बता तुझे इस दर्द में मजा नहीं आया क्या?

पलक ने कुछ जवाब नहीं दिया और मैंने भी जवाब का इन्तजार किए बिना उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया। जवाब में पलक ने भी मेरा पूरा साथ दिया और मेरे होंठों को चूमने लगी।

जब हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे तो उसी वक्त पलक का फोन बजा, मैंने फोन उठाने के लिए अलग होने की कोशिश की तो पलक बोली- रहने दे ! सरिता का फोन होगा, मैं बाद निपट लूँगी उससे।

“अरे वो मुझ पर गुस्सा करेगी यार !” मैंने कहा।

मेरी बात सुन कर पलक बोली- नहीं करेगी, इस बार उसके इरादे नेक नहीं हैं !

मैंने पूछा- क्या मतलब?

तो पलक बोली- कितना बोलता है तू !

और उसने मेरी गर्दन को हाथों से लपेट कर मेरे होंठों को फिर से चूमना शुरू कर दिया।

हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं नीचे से धक्के मार रहा था।

इसी बीच मेरे हाथ उसके स्तनों पर चलना शुरू हो चुके थे लेकिन मुझे कपड़ों के साथ एक अजीब सा व्यवधान लग रहा था तो मैंने खुद को घुटने के बल बैठ कर पलक को उसी हालत में उठा कर मेरी जांघों पर बैठा लिया, मैंने मेरे एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और उसने अपनी टांगों से मेरी कमर को लपेट लिया, बोली- मत परेशान कर ना !

मैंने कहा- शोना, टीशर्ट उतारना है, मजा नहीं आ रहा है।

मेरी बात सुन कर उसने मेरी टीशर्ट बनियान के साथ पकड़ी और उतारने लगी। मैंने भी उसकी कमर छोड़ी, उसका साथ देने के लिए मेरे दोनों हाथ ऊपर उठा दिए और पलक ने एक झटके में मेरी टीशर्ट बनियान समेत उतार कर अलग फैंक दी।

मैं भी कहाँ रुकने वाला था, मैंने भी पलक की टीशर्ट पकड़ी और एक झटके में उसे उतार दिया। अब पलक मेरी बाहों में थी सिर्फ एक ब्रा में, मैंने उस ब्रा को भी उतारने में देर नहीं की और उसके बाद पलक उसी हालत में मेरे लण्ड पर झूमने लगी।

उसके बाद मैंने उसके बालों में लगा हुआ रबर खोल दिया और उसके लंबे रेशमी बाल उसके झूमने के साथ हवा मे लहरा रहे थे।

फिर मैंने पलक के स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और पलक ने मेरे सर को उसके सीने पर जोर से दबा लिया, इस बीच वो लगातार झटके मारती जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और मेरे चेहरे को उसके बालों से पूरी तरह से ढक लिया।

हम दोनों फिर से एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे और मेरा कोई एक हाथ पलक को कमर से सहारा देता था और दूसरा उसके स्तनों से खेलता रहता था।

पलक को होंठ चूमना बहुत पंसद थे और मुझे भी, तो हम दोनों की हर बार की चुदाई में एक दूसरे के होंठों को चूमना लगातार होता ही रहता था।

इसी हालत में हम थोड़ी देर एक दूसरे के साथ आनन्द लेते रहे, फिर पलक बोली- संदीप, मेरा होने वाला है, मुझे नीचे लेटा कर धक्के मार !

मैंने कहा- जो हुकुम मेरे आका !

मैंने पलक को बिस्तर पर लेटा दिया और लेटते ही पलक ने दोनों टांगें हवा में उठा ली और मेरे कंधों पर हाथ रख लिया। मैंने उसे तेज तेज धक्के मारना शुरू कर दिया। मैंने कुछ ही धक्के मारे होंगे कि पलक झड़ना शुरू हो गई और कुछ सेकंड तक मेरे कंधे कस के पकड़ कर झड़ती रही और उस चरमसुख का मजा लेती रही।

उसके झड़ने पर उसके चेहरे पर जो सुकून था, जो संतुष्टि थी वो शब्दों में ब्यान करना नामुमकिन है दोस्तो !

मैं भी उसके झड़ने का मजा लेता रहा और अंदर तक लण्ड डाल कर बिना हिले उसके ऊपर ही पड़ा रहा और उसे देखता रहा।

कुछ सेकंड या शायद एक मिनट के बाद पलक थोड़ी सी होश में आई तो बोली- अब ऐसे ही देखते रहेगा या कुछ करेगा भी? आज पहली बार की तरह तुझे बाथरूम जाने के लिए सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी रे !

उसकी बात सुन कर मैंने उसके माथे पर एक बार चूमा और उसे धक्के मारने शुरू कर दिए। वो मेरा साथ तो पूरा दे रही थी लेकिन उसे तकलीफ हो रही थी। यह उसके चेहरे से पता चल रहा था, मैं रुकना चाहता था पर मैं रुकने की हालत में नहीं था क्योंकि मेरा भी बस होने ही वाला था, मैंने पलक से कहा- मैं भी होने वाला हूँ।

तो बोली- अंदर मत करना, बाहर निकाल ले प्लीज !

और मैंने उसी वक्त लण्ड बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ लिया यह सोच कर कि अब बाकी मूठ मार कर कर लूँगा लेकिन पलक ने कुछ और ही सोचा हुआ था, लण्ड निकालते ही उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक दिया और मुझे नीचे लेटा दिया, पास में से मेरी बनियान उठा कर मेरा लण्ड पौंछ कर उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

चूंकि मैं झड़ने वाला था तो मैंने पलक से कहा- शोना, मेरा होने वाला है, तेरे मुँह में ही छूट जाऊँगा।

तो पलक लण्ड पर से मुँह हटा कर बोली- तो छूट जा ना ! मैंने तुझे रोका है क्या?

और फिर से उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। पलक ने कुछ सेकंड ही चूसा होगा कि मैं भी झड़ना शुरू हो गया और दस बारह झटके मार कर मेरा सारा वीर्य मैंने पलक के मुँह में गिरा दिया।

और जब तक मैं झटके मारता रहा तब तक पलक मेरे लण्ड को चूसती रही और थोड़ा बहुत वीर्य उसके होंठों से बाहर भी बह कर आ गया था।

जब मैं पूरी तरह से झड़ गया तब पलक ने मेरे लण्ड पर से मुँह हटाया और जो भी उसके मुँह में था वो सब मेरी बनियान पर ही थूक दिया।

मैं कुछ कहता उसके पहले ही पलक का फोन जो पहले ही तीन बार बज कर बंद हो चुका था एक बार और बज गया।

इस बार पलक ने फोन उठाया और सीधे बोली- तुझे सब पता है तो इन्तजार नहीं कर सकती क्या? नीचे जा कर कॉफी पी लेती, पैसे में दे देती।

मैं समझ गया कि दूसरी तरफ़ सरिता ही थी।

आगे क्या हुआ वो अगली कहानी में !

तब तक के लिए आप लोगो से इजाजत चाहूँगा !

अपनी राय भेजने के लिए मुझे मेल कीजिए।

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