मेरी आत्मकथा-३

हेल्लो दोस्तों !

मैं एक बार फिर हाज़िर हूं आपकी सेवा में अपनी कहानी ले कर !

उम्मीद है कि आपको मज़ा आएगा। अगर कोई सुझाव हो तो वो अवश्य दें।

यार लड़कियाँ क्यों इतना शरमाती हैं मेल करने में?

कहानी पढ़ने में तो मज़ा आता होगा। बहुत सी तो अपनी चूत में कहानी पढ़ते-पढ़ते सचमुच में ऊँगली कर लेंगी लेकिन अगर कोई उन्हें अपना लण्ड देना चाहे तो वो इतने नखरे करेंगी कि उनका मन ही नहीं है चुदाई का !

मेरी आज की कहानी में भी कुछ इसी बात का ज़िक्र है।

हाँ तो दोस्तो ! जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया कि मैंने अपनी गर्लफ़्रेन्ड और उसकी सहेली की चुदाई की और मज़े किए। उसके बाद तो बस मुझे बस चुदाई का नशा ही छा गया था। छुट्टी के बाद स्कूल में मैंने सुधा जो कि मेरी गर्लफ़्रेन्ड है उससे मिलने के लिए कहा तो उसने कहा कि करिश्मा (जो कि उसकी दोस्त है) से पूछ के बताएगी।

उसने बताया कि करिश्मा की मम्मी अभी घर पे है और वो कही बाहर ही नहीं जाने वाले हैं, इसलिए जगह का इन्तजाम भी नहीं हो पा रहा है। करिश्मा का भी चुदाई का बहुत मूड था तो अब कमरे का इन्तजाम करने की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ पड़ी थी।

मेरा एक दोस्त, जिसका नाम रवि था, वो जम्मू का रहने वाला था और कमरा ले कर अकेले रहता था। मैंने उससे अपने चुदाई के किस्से बताये थे और उसका भी दोनों को चोदने का बहुत मन था, उससे कमरे के लिए कहा तो वो दोनों को अपने कमरे पे लाने के लिए कहने लगा।

हम लोग की परीक्षा भी करीब थी। लेकिन चुदाई का नशा भी ऐसा है कि बस और कुछ सूझता ही नहीं।

फिर मैंने सुधा से बताया कि कमरे का इन्तज़ाम हो गया है तो उसने पूछा- कहाँ?

तो मैंने उससे बता दिया कि रवि के कमरे पे. तब उसने वहाँ जाने से मना कर दिया और कहा कि नहीं मुझे नहीं जाना वहाँ ! वो बहुत रिस्की है ! और ना-नुकर करने लगी। लेकिन बाद में वो मान गई।

रविवार को मिलने का प्रोग्राम बना।

मैंने रवि से उसके कमरे की चाबी ले ले थी। सुधा ने घर पर ट्यूशन जाने का बहाना किया, हम लोग एक जगह मिले और रवि के कमरे पर आ गए। उसके कमरे पे कोई नहीं था। हम कमरे के अन्दर थे और आते ही सुधा मुझे पकड़कर चूमने लगी।

क्या मस्ती चढ़ी थी साली पर !

आज उसने जींस टॉप पहना था और कसम से क्या माल लग रही थी !

उसकी चुचियाँ अभी छोटी थी लेकिन अब मैं था ना उनको बड़ा करने के लिए !

साली चुचियो को जैसे ही छुआ, मुझको करंट लग गया। तनी, कड़ी और नुकीली चुचियों का मज़ा आ गया। हमने पहले आपस में खूब फ़ोर-प्ले किया। मैंने उसको खूब चूसा, चाटा और खूब उसका दूध पिया। मैंने उससे अपने लण्ड को चूसने के लिए कहा फिर हम ६९ पोसिशन में हो गए और मैंने उसका पानी निकल दिया। सुधा तड़प रही थी और उसको तड़पाने में मुझको मज़ा आ रहा था।

वो बार बार मेरे लण्ड को अपनी बुर में डालने के लिए कह रही थी। फिर मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा और उसकी चूत चोदने लगा।

वो अह्ह्ह्ह्ह् ! ह्ह्छ उ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्छ ! जैसी मस्त सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकल रही थी। फिर मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई। अब उसने मेरे लण्ड को पूरा अपनी बुर में ले लिया और कूदने लगी।

आह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह् ! कितना मज़ा आ रहा था ! लग रहा था कि अन्दर लण्ड से कुछ टकरा रहा है। लण्ड पूरा अन्दर तक चला गया था। वो भी ऊह आह करके खूब उछल रही थी। तभी मैंने उसे नीचे उतार दिया और ऊपर मैं आ गया और २०-२५ धक्के लगाने के बाद में झड़ गया, लण्ड उसकी चूत के ही अन्दर था।

क्योंकि मैंने कंडोम पहना था ही। फिर हम वही लेट गए, तब वो कहने लगी कि आते समय उसने करिश्मा को बता दिया था कि वो मुझसे मिलने आ रही है तो वो भी जिद्द कर रही थी। तो मैंने उससे कहा कि मैं वहाँ पहुँच के कॉल करुँगी। फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसे बुला लूँ?

मुझे और क्या चाहिए था !

मैंने कहा- बुला लो उसे !

मैं जाता हूँ और जहाँ मैं तुम्हें मिला था वहीं से उससे ले आता हूँ क्योकि उसने यह कमरा नहीं देखा है।

उसने कहा- ठीक है। फिर उसने करिश्मा को कॉल किया तो करिश्मा ने आधे घंटे में आने के लिए कहा।

तो मैंने उससे कहा- कह दो कि राहुल तुम्हें लेने जा रहा है।

तब तक मैंने सोचा कि अब सुधा की गाण्ड मार ली जाए !

फिर मैंने सुधा से कहा- तुमने मुझसे गाण्ड मरवाने का वादा किया था !

तो उसने कहा कि करिश्मा आ जाए तो उसकी भी साथ में मार लेना !

मैंने कहा- वो भी हो जाएगा ! लेकिन पहले तुम्हारी गाण्ड तो जरूर मारूंगा !

और मैंने उसको कुतिया स्टाइल में कर दिया, कमरे में पड़ी कोल्ड क्रीम उसके छेद पे और अपने लण्ड पे लगा दी और उससे कहा- थोड़ा दर्द होगा ! रोना नहीं ! बाद में मज़ा आ जाएगा !

और उसके छेद पर अपना लण्ड रख कर घुसाने लगा। लण्ड जैसे ही थोड़ा अन्दर गया वो दर्द से चिल्लाने लगी और गाण्ड मराने से मना करने लगी।

पर अब मैं कहाँ रुकने वाला था ! थोड़ा और अन्दर डाल दिया तो वो खूब जोर जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मैं डर गया कि कोई आ ना जाए ! और तुंरत अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया।

फिर क्या ! उसने मुझसे गाण्ड नहीं मरवाई। मैं उसको चुप कराने लगा और कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हुआ। फिर उसने जा कर करिश्मा को लाने के लिए कहा। मैं करिश्मा को लेने चला गया। जब मैं और करिश्मा आए तो दरवाज़ा बंद था तो मैं उसको खुलवाने के लिए आगे बढ़ा तो अन्दर से चूमने-चाटने की आवाज़ आ रही थी।

मैं चौंक गया !

शेष आगे के भाग में….

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