शादी समारोह से पहली चुदाई तक की कहानी

(Shadi Samaroh Se Pahli Chudai Tak Ki Kahani)

नीर 2017-06-18 Comments

यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर!
मेरा नाम नीर है, मैं २४ साल का पुणे में रहने वाला लड़का हूँ, पेशे से इंजीनियर हूँ। यहाँ मैं अकेला रहता हूँ अपने घर से दूर!
दिखने में बुरा नहीं हूँ और कद काठी भी भगवान ने अच्छी दी है।

उस वक़्त मेरी उम्र 21 साल थी। मेरे बुआ के लड़के की शादी मेरी दूर के एक मामा की बहन के साथ तय हो गई। वो लड़की मेरे भाई को बहुत चाहती थी और अक्सर मुझसे कहती रहती थी कि मेरी शादी इनसे करवा दो।
मैंने भी सबको राजी करके यह शादी तय करवा दी।

शादी का दिन भी आ गया। मैं वहाँ 3 दिन पहले ही पहुंच गया। वहाँ जल्दी जाने का कारण था मेरी मामी… वो मुझे बचपन से अच्छी लगती थी। उनकी उम्र उस वक़्त 31 साल थी, दिखने में बहुत ही सुन्दर और स्वाभाव से बहुंत ही चंचल है। उनकी शादी मेरे मामा से 18 साल की उम्र में ही हो गई थी। उनकी कोई संतान नहीं थी और कृत्रिम गर्भाधान के लिए इलाज चल रहा था।

पूरे शादी के समारोह में मैं उनके आगे पीछे घूमता रहा और उन्होंने भी इस बात का गौर किया। मैंने अपनी पूरी कोशिश की कि उनको पटा सकूँ पर अधिक मेहमान होने के कारण वो भी व्यस्त थी और मैं भी कोई खतरा नहीं लेना चाहता था।
धूमधाम से शादी हो गई और मुझे लगने लगा कि अब मुझे कभी मौका नहीं मिलेगा इतने दिन इनके पास रहने का!

परन्तु नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था। उसी शादी के 3 दिन बाद ही मेरे एक नजदीकी रिश्तेदार की शादी थी जो मेरे घर के पास रहते थे और उसमें शरीक होने वो मामी भी आ रही थी और इस बार मौका भी था क्योंकि इस बार वो हमारे घर ही रुकने वाली थी और इस बार वो व्यस्त भी नहीं होगी।

शादी वाले दिन वो आ गई। घर में मम्मी और मेहमानों की वजह से ज्यादा वक़्त नहीं मिल पा रहा था पर मैं भी मौका छोड़ना नहीं चाहता था।
अगले दिन सुबह बारात जाने वाली थी और मैंने सोच लिए था के इस बार इन्हें पटा कर रहूँगा।

अगले दिन जैसे ही बारात जाने के लिए वो बस में चढ़ी, मैं भी उनके पीछे पीछे हो लिया और उनकी पास वाली सीट पर जाकर बैठ गया।
सबने इस बात को नजरअंदाज किया क्योंकि वो मेरी मामी लगती थी और उम्र में भी मुझसे बड़ी थी। मैंने उनसे बाते करनी शुरू की और कुछ ही देर में वो मुझसे खुल गई।

मैंने सीधा उनको पूछा कि उनके अब तक बच्चा क्यों नहीं हुआ।
उन्होंने मेरी तरफ देखा और पर कोई जवाब नहीं दिया।
मेरे दोबारा पूछने पर वो बोली कि वो इस बारे में बात नहीं करना चाहती है।
मुझे भी लगा कि ज्यादा जोर देने से बात बिगड़ सकती है और हम लोग शादी स्थल पर पहुंच कर व्यस्त हो गए।

शादी के समारोह वाले दिन वो मेरे पास आई और बोली- थोड़ी देर बाहर टहलने चलोगे?
मैंने मन में सोचा नेकी और पूछ पूछ… मैंने तुरंत हां कर दी।
हम दोनों टहलने निकल पड़े।

चलते चलते उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया, मेरे पूरे शरीर में तो एक करंट दौड़ गया। मैंने उनकी तरफ देखा पर उनके चेहरे पर शून्य भाव थे या शायद वो दिखाना नहीं चाहती थी।
वो बोलने लगी- शादी के इतने सालों में कभी भी मुझे संतुष्टि नहीं मिली, मैंने अपनी किस्मत समझ के इसे स्वीकार कर लिया। मेरे पति मुझे शारीरिक संतुष्टि देने में असमर्थ हैं पर जब मुझे पता चला कि वो मुझे संतान भी नहीं दे सकते, तब मैं अंदर से टूट गई और उसके लिए हर संभव इलाज ले रही हूँ।
और मेरी तरफ देखने लगी.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे तो बस उनके शरीर से आकर्षण था और किसी भी तरह उनको चोदना चाहता था। मैं कुछ कहता उस से पहले ही वो मेरा हाथ छोड़ कर अन्दर समरोह में चली गई।
बारात निकलने वाले दिन मैं फिर से उनके पास जाकर बैठ गया। बस रवाना होते ही मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और हिम्मत करके उनसे पूछ बैठा कि अगर वो चाहें तो मैं उनकी मदद कर सकता हूँ।
अंदर से तो मेरी फटी पड़ी थी, अगर उन्होंने मामा को या मेरे पापा को बोल दिया तब तो मैं गया काम से!
पर उन्होंने इस बार भी कुछ नहीं बोला और अपना पर्स हाथ में लेकर उसमें से कुछ निकालने लगी।

स्त्री की सुंदरता कोई नहीं समझ सकता और जब उसके चहरे पर शून्य भाव हो तो उसके मन को समझना असंभव हो जाता है।
मेरे जैसे इंसान के लिए जिसके मन में सिर्फ सेक्स भरा था उसके लिए तो यह समझना एक पहेली हो गया था कि आखिर उनके मन में चल क्या रहा है।

उन्होंने पर्स से अपना हाथ निकला और छुपा के मुझे कुछ दिया, वो एक गुलाब का फूल था।
मैं फिर से उनकी तरफ देखने लगा तो वो बस मुस्कुरा दी।

मैंने भी उसे सहमति समझते हुए नीचे झुक कर सबकी नजरों से बचते हुए उनके हाथ पर एक चुम्बन कर दिया। उन्होंने अपनी आँखे बंद कर दी।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था जिसे मैं बचपन से अपने सपनों की रानी की तरह देखता था, आज वो मेरे हाथ में है।

मैं सीधा बैठ गया और अपना एक हाथ उनके साड़ी के पल्लू में डाल कर उनके मुलायम पेट पर घुमाने लगा। उनके चेहरे पे बेचैनी छाने लगी और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और धीरे से मेरे कान में बोली- तुम्हारे हाथ लगाने से ही मेरी चूत पूरी गीली हो गई!
मैं तो अवाक् सा उनकी तरफ देखता रह गया… सीधा चूत शब्द का प्रयोग उनके मुख से मेरे लिए खुला आमंत्रण था।

शाम का अँधेरा हो चला था और सभी लोग थकान के कारण सुस्त थे। मैं मौके का फायदा उठाते हुए अपना एक हाथ उनके साड़ी में डाल कर उनकी चूत को पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा। उनकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मेरे लिए यह पहली बार किसी की चूत का स्पर्श था।
उन्होंने भी अपनी टाँगें फैला दी, मैंने एक उंगली उनकी चूत के अंदर तक डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- आज रात तक रुक जाओ, फिर उंगली से आगे भी मजा देना।

मेरे लिए तो इनका यह रूप बिल्कुल नया था। पर इसी का तो इंतजार था।

कुछ देर में हम घर पहुंच गए। सभी थके होने के कारण सोना चाहते थे। मेहमान विवाह स्थल पर चले गए और मामी, मामा और कुछ रिश्तेदारो के बच्चे हमारे यहाँ आ गए।
मैं मामा और मामी एक डबल बेड पर सो गए और बाकी बच्चे नीचे बिस्तर लगा कर!

मामा और मैं बिस्तर के किनारे की तरफ थे और मामी बीच में!
मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था पर मामा के चक्कर में सारा काम बिगड़ता दिख रहा था। मैंने मामी को पूछा अब क्या करे तो वो बोली- तुम्हारे मामा सो जायें, फिर मैं बाहर बैठक वाले कमरे में जाती हूँ, तू थोड़ी देर में आ जाना, तब तक यहीं मजे कर!
मैं इस बार भी कुछ नहीं समझा, मामा के होते हुए मजे कैसे करूँ?

तभी मामी ने एक कम्बल मामा पर डाल दी और एक बड़ी कम्बल खुद पर और मुझ पर डाल दी और अंदर हाथ डाल कर सीधा मेरा लंड पकड़ लिया।

मैंने तो सोचा भी नहीं था मामी इतनी प्यासी होगी। मैं भी मौके का फायदा उठाते हुए अंदर हाथ डाल कर उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनके चूचे सहलाने लगा. उन्होंने मेरी तरफ पीठ करके करवट ले ली।
मैंने एक एक कर के उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए। उनकी नंगी पीठ पर हाथ घुमाते वक़्त ऐसा महसूस हो रहा था जैसे संगमरमर का पत्थर हो… एकदम चिकनी और पतली कमर।

अब दूसरे हाथ से साड़ी को ऊपर उठा के पेंटी पर हाथ रखा ही था, तभी वहाँ एक और हाथ आया, मेरी तो जान गले में आ गई कि कहीं मामा का तो हाथ नहीं है ये?
पर तभी दूसरे हाथ ने मेरा हाथ पकड़ कर पेंटी के अंदर डाल दिया. तब मुझे समझ आया यह मामी की चुदने की आग है।

मैं चूत में उंगली कर रहा था पर इस बात का भी ध्यान रख रहा था कि मामा ना जाग जाये। आखिर मैं उनके साथ ही बिस्तर पर उनकी पत्नी को नंगी सहला रहा था।
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तभी वो उठी और मुझे इशारा कर के कम्बल लेकर बाहर रूम में चली गई।
15 मिनट बाद मैं भी सब तरफ देख कर बैठक रूम में चला गया। वहाँ एक बड़ा सोफ़ा था जिस पर वो कम्बल ओढ़ कर सोई हुई थी। मैं उनके पास गया, तभी वो धीरे से बोली- अपने कपड़े निकाल कर आना।

मैं जल्दी से अपने कपड़े निकाल कर उनके साथ कम्बल में घुस गया। मामी वो उलटी लेटी हुई थी बिल्कुल वैसी ही हालत में जैसा मैंने उनको अंदर छोड़ा था।
मैंने उनकी पीठ पर हाथ घुमाया और पीठ पर चूमने लगा।

उन्होंने हाथ पीछे कर के मेरा लंड पकड़ लिया और एक आह भरी। फिर मैंने उनके ब्लाउज को उनके शरीर से अलग कर दिया और साड़ी को भी खोल कर उतार दिया।
अब वो ब्रा और पेटीकोट में कम्बल में थी।

मेरा बरसों पुराना सपना सच हो रहा था। मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था।
मैं उनके ऊपर लेट गया और उनके होंठ चूमने लगा, वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मेरा एक हाथ उनकी बाईं चूची को ब्रा के ऊपर से ही सहला रहा था। अब मैं उनकी गर्दन की तरफ बढ़ते हुए उनके कंधों को चूमने लगा। उनकी सिसकारियाँ ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ बढ़ती जा रही थी और मेरी उत्तेजना भी! मैंने अपने दांतों से पकड़ कर उनकी ब्रा की पट्टी दोनों कंधों से नीचे उतारी और उनकी बाईं चूची को मुख में लेकर चूसने लगा। वो अत्यधिक उत्तेजित हो गई और मेरा लंड पकड़कर जोर से दबाने और मरोड़ने लगी।

मैं एक हाथ उनके पेटीकोट में डाल के चूत उंगली करने लगा। उनकी चूत भट्टी की तरह तप रही थी। उन्होंने मेरे गाल पर काटा और कहा- उंगली से ही चोदेगा या लंड का भी इस्तेमाल करेगा?
मैंने उनके पेटीकोट को खींच कर उतारा और पेंटी से चूत चाटने लगा। यह अनुभव उनके लिए बिल्कुल नया था। वो मुख पर हाथ रख कर सिसकारियाँ ले रही थी, वो बोली- मैं पागल हो जाऊँगी, ऐसे मत कर!

मैंने उनके पेंटी को थोड़ा सा साइड में किया और उनकी चूत को चाटने लगा।
अभी दस सेकंड भी नहीं हुए थे और उन्होंने मुझे जोर से भींचते हुए सारा पानी मेरे मुख पर छोड़ दिया। मैं उनकी चूत में उंगली करता रहा और उनकी चूची बारी बारी चूसता रहा।
5 मिनट बाद वो बोली- प्लीज अब डाल दे, बहुत बरसों की प्यासी हूँ मैं!

मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए उनके चूत पर अपना लंड रखा और डालने की कोशिश करने लगा। मेरा पहली बार था तो मुझसे नहीं जा पा रहा था।
उसने हाथ से पकड़ कर लंड को सेट किया और बोली- धक्का लगा।
मैंने एक ही बार में पूरा डालने के लिए जोर से धक्का मार लंड को… उनके मुख से एक चीख निकल गई और बोली- इस तरह कोई करता है क्या?

उनकी चूत भट्टी की तरह गर्म थी और इतनी कसी हुई चूत जैसे 18 साल की लड़की की हो।
मैं धीरे धीरे उनको चोदने लगा पर उनकी चूत की गर्मी के आगे नहीं टिक पाया और कुछ ही शॉटस में ही झड़ गया।
मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी और समझ नहीं आया कैसे हो गया।

उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- कोई बात नहीं, पहली बार है, ऐसा होता है, फिर से आ जा!
मैं झड़ जरूर गया था पर लंड अभी भी खड़ा था… आखिर मेरे सामने हुस्न का पूरा समुद्र जो बैठा था।

मैं दोबारा मामी पे चढ़ गया और लंड सेट कर के धीरे धीरे उनके अंदर डालने लगा। वो उसे पूरी तरह से महसूस कर रही थी।
मैं धीरे धीरे उनको चोदने लगा और वो भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी।

एक बार झड़ जाने के कारन इस बार यह दौर लम्बा चलने वाला था और मैंने ठान लिया था उनको संतुष्ट करने का!
इस बार हमारी चुदाई का दौर काफी देर तक चला और वो इस बीच 2-3 बार झड़ी और उनके चेहरे पर संतुष्टि झलक रही थी।

जब मेरा वीर्य छूटने वाला था तो मैंने पूछा- कहाँ छोडूँ?
तो वो बोली- मेरे अंदर ही… अगर तुमसे मुझे बच्चा होगा तो उससे ज्यादा मेरे लिए कुछ नहीं।
वो जब यह कह रही थी तो उनकी आँखें नम सी हो गई और उनसे ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझसे विनती कर रही हों।
मैं भी उनके आग्रह को ठुकरा नहीं पाया और अपना सारा वीर्य उनकी चूत में छोड़ दिया।

अगले दिन सुबह जब वो नहाने के लिए जाने लगी तो मैंने उनको कहा कि वो मेरे कमरे में आकर नहा ले, मैं वहाँ पहले से कुछ काम करने बैठा रहूँगा।
वो भी सहमति देकर चली गई।

जब घर का कोई स्नानघर खाली नहीं था तब उन्होंने मम्मी को कहा कि उनको नहाना है, मम्मी ने भी कहा नीर के कमरे में जाकर नहा ले, वहाँ कोई नहीं है।
मेरा कमरा ऊपर के माले पर है और किसी को अंदाजा नहीं था मैं घर पर ही हूँ।

वो जैसे ही कमरे में आई मैंने उनको पकड़ कर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और दीवार से उनको चिपका कर उनके होंठ चूमने लगा।
अब हमारे पास मौका भी था और वक़्त भी… मैं नीचे झुक कर उनके साड़ी को साइड में किया और उनके गोर मुलायम पेट पर जीभ फिराने लगा और उनकी नाभि में जीभ डाल कर चूसने लगा। और हाथ डाल कर उनकी पेंटी खींच कर निकाल दी।

मैंने अपना सर उनके पेटीकोट में डाल दिया और बिना पेटीकोट खोले उनकी चूत चाटने लगा।
वो ज्यादा देर सहन नहीं कर पाई और एक जोर से सिसकारी के साथ मेरा सर अपनी चूत दबा दिया।

उन्होंने अब बिना शर्म के सारे कपड़े मेरे सामने खोले और बाथरूम में चली गई। उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया, मैं भी नंगा होकर पीछे पीछे चला गया वो वहाँ शावर के नीचे खड़े खड़े हमने चुदाई की।

उस दिन मैंने उन्हें 3 बार चोदा जब तक वो नहा कर रेडी हुई।
फिर पूरे दिन में मौका नहीं मिल पाया और शाम में वो चली गई फिर चुदने का वादा कर के!

उनको मैंने चुदाई का पूरा आनन्द दिया और मेरा सपना भी सच हो गया।
इस घटना के एक सप्ताह बाद मैं पुणे शिफ्ट हो गया।
आज भी जब मैं उनसे मिलता हूँ तो हम मौके की तलाश में रहते हैं।

यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है। आप आपने विचार और सुझाव मुझे मेल के द्वारा भेज सकते है।
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