जन्मदिन पर मौसी ने करवाई जन्नत की सैर-1

(Janamdin Per Mausi Ne Karwai Zannat Ki Sair-1)

दोस्तो, मेरा नाम इकबाल है, हरियाणा का रहने वाला हूँ, उम्र 25 साल है।
मैं दिखने में स्मार्ट हूँ, मेरा रंग बिल्कुल साफ़ है और मैं एकदम फिट, हेल्थी हूँ क्योंकि मैं योगा का अच्छा ज्ञान रखता हूँ!

यह मेरी पहली कहानी है।

बात उस समय की है जब मैं पढ़ता था। मैं पेपर देने के बाद छुट्टियों में मौसी जी के घर रहने दिल्ली में गया था।
मेरी मौसी ओर चार सदस्य हैं मौसा जी, मौसी जी और उनके एक लड़का सुमित और एक लड़की है नेहा!

मैं सुबह सुबह ही रेलगाड़ी से दिल्ली पहुँच गया, वहाँ से मैंने घर के लिए ऑटो किया।
जैसे ही मैं घर पहुँचा सुबह सुबह मुझे देख कर सभी बहुत खुश हुए!

मौसी जी ने मुझसे पूछा- घर पर सभी कैसे है?
मैंने कहा- सब ठीक हैं, आप बताओ आप कैसे हो?
मौसी जी ने कहा- मैं भी ठीक हूँ, तुझे देख कर और बढ़िया हो गई!

मैं मौसी जी के बारे में आपको बता दूँ, वो कहने को भले ही 37 साल की है पर उन्हें देख कर लगता नहीं कि उनकी इतनी उम्र होगी क्योंकि उनका बदन आज भी कसा हुआ है।

मौसी जी ने कहा- और मम्मी कैसी है तेरी?
मैंने कहा- एकदम टनाटन हैं!
मैंने कहा- मैं ज़रा मम्मी को फोन कर दूँ कि मैं ठीक ठाक पहुँच गया हूँ, नहीं तो मम्मी चिंता करेंगी!
मौसी जी ने कहा- हाँ कर दे! चाय पीयेगा या दूध?

मैंने कहा- चाय नहीं, दूध वो भी नहाने के बाद!
मौसी जी ने कहा- तू जल्दी से नहा ले, मैं दूध गर्म करती हूँ तेरे लिये!
मैंने कहा- जी मौसी जी!

मैंने मम्मी को फोन किया, फ़िर नहाने चला गया।

अभी तक मेरे मन में मौसी जी को लेकर कोई भी गलत विचार नहीं था।

जब मैं नहा कर वापिस आया तो मौसी जी ने मेरे लिए दूध गर्म कर रखा था और साथ में बिस्कुट नमकीन भी!
मैं दूध पी कर टी वी देखने लगा।

मुझे पता ही नहीं लगा कि मुझे कब नींद आ गई क्योंकि मैं सफर के कारण बहुत थक गया था।

फिर मुझे खाने के समय नेहा ने आकर उठाया- भईया उठ जाओ, खाना खा लो!
मैंने कहा- अभी आ रहा हूँ!

5 मिनट बाद मैं वाशरूम से फ्रेश हो कर सबके साथ खाना खाने के लिए चला गया, सबने मिल कर खाना खाया, मौसी जी ने मेरी पसंद की सब्जी बनाई थी।

उसके बाद सभी टी वी देखने लगे और इधर उधर की बातें करने लगे।
उसके बाद शाम को मैं सुमित के साथ घूमने चला गया हम पूल ( यह एक स्टिक और बॉल का खेल होता है जिसमे स्टिक से बॉल को मार कर होल में पोल करना होता है) खेल कर और मोमोस खा कर वापिस घर आ गए।

उस समय शाम के 7:30 बजे होंगे, मौसी जी ने कहा- आ गए तुम?
मैंने कहा- हाँ जी आ गए!

मौसी जी ने कहा- तुम्हें नहाना है तो नहा लो, मैं खाना बना रही हूँ फिर खाना खा लेना!

सुमित टी वी देखने लगा और मैं मौसी जी के पास किचन में चला गया। मैंने मौसी जी से कहा- क्या मैं आपकी कुछ मदद करवा दूँ? काम जल्दी खत्म हो जायेगा।

अभी तक भी मेरे मन में कोई गलत विचार नहीं था मौसी जी के लिए!

मौसी जी ने कहा- नहीं, तू जा कर नहा ले और नेहा को भेज दे, वो मेरे साथ काम करवा देगी।
मैंने कहा- क्यों, मैं करवा देता हूँ ना!
उन्होंने कहा- नहीं, तू नेहा को भेज दे, तू जा कर नहा ले!
मैंने कहा- ठीक है जी, जैसे आपकी मर्जी!

मैंने जाकर नेहा को बोल दिया कि मौसी जी तुझे बुला रही है और मैं नहाने चला गया।
जब तक मैं नहा कर वापिस आया तो खाना बन चुका था और मौसा जी सलाद काट रहे थे।

मैं और सुमित टी वी देखने लगे।

थोड़ी देर बाद खाना आ गया, हम सबने मिल कर खाना खाया।
नेहा और मौसी जी रसोई में ही रोटी पका रही थी, मैं सुमित और मौसा जी खा रहे थे!

हमारे खाने के बाद नेहा और मौसी जी कमरे में आ गई, मौसी जी ने मुझे कहा- बेटा मैं अब थक गई हूँ, तू हमें खाना ला कर दे!
मैंने कहा- क्यों नहीं!

फ़िर मैंने मौसी जी को और नेहा को खाना लगा कर दिया।

मैं टी वी देखने बैठ गया टी वी पर सिंगिंग का प्रोग्राम आ रहा था कुछ देर बाद मौसी जी और नेहा खाना खाकर उठ गई।

मौसी जी ने थोड़ी देर बाद मुझे आवाज़ लगाई और कहा- तू और सुमित मिल कर छत पर बिस्तर लगा लो।
मैंने कहा- जी मौसी जी!

हम बिस्तर बिछाने ऊपर चले गए।
मैंने और सुमित ने बिस्तर बिछाए, फ़िर मौसी जी को छोड़ कर सभी ऊपर आ गए क्योंकि मौसी जी बरतन धो रही थी।

हम काफी देर बाते करते रहे, मुझे प्यास लगने लगी, मैं जैसे ही नीचे पानी पीने उतरा तो पहली मंजिल पर मौसी जी मेरे सामने नहा कर बाहर निकली थी, वो बिल्कुल मेरे सामने खड़ी थी।

मैं तो उन्हें देखता ही रह गया क्योंकि मैंने आज तक ऐसा दृश्य नहीं देखा था।
मौसी जी ने नाईटी पहन रखी थी, उसके नीचे कुछ नहीं पहना था क्योंकि मुझे मौसी जी के बूब्स और निप्पल साफ दिख रहे थे, उनके तने हुए बूब्स 40″ के होंगे!

मेरी आँखें वहीं की वहीं गड़ी रह गई, मैं कुछ सैकिंड वहीं खड़ा रहा।
मौसी जी ने मुझे देख लिया था कि मेरी नज़र कहाँ पर है।
मेरा ध्यान सिर्फ बूब्स पर था।

मुझे यह एहसास ही नहीं हुआ कि मौसी जी ने मुझे देख लिया है क्योंकि मैं पहली बार एकदम तने हुए बूब्स देख रहा था, मुझे अपने अंदर बड़ी झनझनाहट महसूस हो रही थी।

ऐसा नजारा देख कर मेरी पैंट में 2 बजकर दस मिनट हो गए थे, मतलब मेरा खड़ा हो गया था।

मौसी जी ने मुझे कहा- क्या देख रहा है इकबाल?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं!

और मैं नीचे पानी पीने चला गया।
मुझे डर लग रहा था कि इसके बारे में मौसी जी मौसाजी को ना कह दें।

मैं पानी पीकर ऊपर गया तो सभी आपस में बातें कर रहे थे, मैं भी चुपचाप बैठ गया। थोड़ी देर बाद सभी सोने के लिए चले गए।

नेहा ओर सुमित नीचे चले गए क्योंकि वो कूलर चला कर ही सोते हैं।
मैं मौसा जी और मौसी जी ऊपर छत पर ही सो रहे थे।

मुझे आँख बंद करते ही वो सीन याद आ रहा था पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं, बस मैं उसी सीन को याद करते करते सो गया।

अगले दिन मैं मौसी जी से आँख नहीं मिला पा रहा था।
उस दिन के बाद मैं मौसी जी के बूब्स को चोरी छिपे देखता था कभी सफाई करते हुए कभी रसोई में!
मौसी जी ने मेरी चोर नज़र को पकड़ लिया था।

कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा और कुछ दिन बाद मेरा जन्मदिन आने वाला था।

मेरे जन्मदिन से दो दिन पहले मौसी जी ने मुझे रात के खाने के समय रसोई में बुलाया।
अभी खाने की तैयारी चल रही थी, मौसी जी ने मुझे प्याज टमाटर काटने को दिए, मैं प्याज टमाटर काटने लगा और हम साथ साथ
बातें करने लगे।

मौसी जी ने मुझसे पूछा- तेरा जन्मदिन आ रहा है, क्या गिफ्ट चाहिए तुझे?
मैं हँसने लगा, मैंने कहा- मैं क्या बताऊँ इस बारे में… जो आपकी मर्जी हो!

मौसी जी ने कहा- अच्छा जी, फ़िर नहीं कहना कि मेरी पसंद का गिफ्ट नहीं दिया।
मैंने कहा- ठीक है, नहीं कहूँगा!

मौसी जी ने कहा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं उनका यह सवाल सुन कर चौंक गया, मैंने कहा- नहीं!
मौसी जी ने कहा- अच्छा जी, फ़िर तो तेरी शादी करवा देनी चाहिये!

ऐसी बातें सुन कर मैं मौसी जी से थोड़ा खुल गया था।
मैं मौसी जी के बूब्स बडे ध्यान से देखने लगा, मौसी जी ने मुझे देख लिया था पर कुछ कहा नहीं!

फ़िर मौसी जी ने दाल में तड़का लगाया और मैं उनके पास खड़ा उनका जिस्म निहार रहा था।

हम साथ साथ बातें भी कर रहे थे मुझे बहुत मजा आ रहा था!

फिर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था!
मेरे जन्मदिन वाले दिन सभी ने उठते ही मुझे मुबारकबाद दी और सभी तैयार होकर अपने अपने काम से चले गए।

सबके जाने के बाद मैंने मेन गेट बंद कर दिया।

घर पर रोज़ की तरह मैं और मौसी जी ही थे, मौसी जी सफाई करने लगी और मुझे भी साथ में पानी की बाल्टी भर के पकड़ाने के लिए बुला लिया।
मैंने और मौसी जी ने मिल कर सफाई की।

हम पहली मंजिल पर थे, सफाई करने के बाद मौसी जी ने मुझसे कहा- इकबाल, मैं बहुत थक गई हूँ, मेरी कमर और पैर दबा दे!
मैंने मौसी जी को कहा- आप उल्टी लेट जाओ।

मैंने मौसी जी के पैर और कमर अपने पाँव से दबाए।

थोड़ी देर बाद मौसी जी ने कहा- बस कर!
और मौसी जी वहीं लेटी रही।

मैं भी मौसी जी के पास ही लेट गया क्योंकि मैं भी बहुत थक गया था।
मौसी जी ने मुझसे पूछा- इकबाल, चाय पियोगे?
मैंने कहा- नहीं, मैं थक गया हूँ, मैं कुछ देर सोऊँगा।

मौसी जी ने कहा- ठीक है।
और मौसी जी नीचे चली गई।

मेरी आँख लग गई थी, मैं आधे घंटे बाद उठा और अपनी चप्पल ढ़ूंढ़ रहा था, शायद सफाई करते समय इधर उधर रख दी थी तो मुझे नहीं मिली तो मैं नंगे पैर ही नीचे चला गया क्योंकि थोड़ी देर पहले ही सफाई हुई थी तो फ्लोर साफ ही था।

जब मैं नीचे गया, मुझे मौसी जी कहीं दिखाई नहीं दी तो ड्रेसिंग वाले रूम में गया अंदर घुसते ही मैं चौंक गया क्योंकि मौसी जी शीशे के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, उनकी पीठ मेरी ओर थी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं तो वही खड़ा का खड़ा रह गया, मौसी जी अपने बदन पर पाऊडर लगाने लगी।

क्या खुशबू थी कमरे में… एक तो ऐसा दृश्य… ऊपर से खुशबू… मैं तो मदहोश हुए जा रहा था क्योंकि मैंने आज तक ऐसा कुछ भी नहीं देखा था।

मुझे नहीं मालूम था कि मौसी जी ने मुझे शीशे में देख लिया था।
मौसी जी ने कहा- तू अभी तक यहीं खड़ा है? मैं तो सोच रही थी तू घबरा कर चला गया होगा!
मैंने कुछ नहीं कहा।

अब मौसी जी का मुँह मेरी तरफ़ था, मौसी जी मेरे पास आकर खड़ी हो गई थी, मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था।

मौसी जी ने कहा- क्या हुआ तुझे?
मेरे मुँह से एक लफ़्ज़ भी नहीं निकल रहा था।
मौसी जी समझ गई थी कि मेरी सीटी तो गुल हो गई!

मौसी ने मेरे दोनो हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर बाँध लिए थे।
मेरे हाथों पर उनकी कमर का स्पर्श मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था, मेरा दिल कर रहा था मैं उनसे चिपक जाऊँ, मैंने अपने दिल की बात सुनने में ज़रा भी देरी नहीं की, मैं उनसे जोर से चिपक गया।

मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आ रहा था।
मौसी ने भी मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया था, मेरी लुल्ली खड़ी हो गई थी, मौसी को मेरी लुल्ली के स्पर्श से पता लग गया था कि मेरी पैंट में तम्बू खड़ा है!

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही खड़े रहे, थोड़ी देर बाद मौसी ने मुझे कहा- इकबाल क्या हुआ?
मैंने कहा- बहुत मजा आ रहा है मौसी!
मौसी ने कहा- आज मैं तुझे तेरी जन्मदिन का गिफ्ट दूँगी कि तू भी क्या याद रखेगा!

कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top