माँ बहन संग चूत चुदाई -2
जब तक मैं धीरे से अपना लंड माँ की बुर से निकालता.. तब तक मेरे लंड का पानी माँ की बुर में पूरा खाली हो चुका था और लंड निकालते वक़्त वीर्य की गाढ़ी धार माँ के गाण्ड के छेद पर बहने लगी।
माँ की चुदाई बेटे के लंड से, माँ बेटा सेक्स सम्बन्धों पर आधारित चुदाई की कहानी
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Incest Sex stories about Mother-son Sex Relations
जब तक मैं धीरे से अपना लंड माँ की बुर से निकालता.. तब तक मेरे लंड का पानी माँ की बुर में पूरा खाली हो चुका था और लंड निकालते वक़्त वीर्य की गाढ़ी धार माँ के गाण्ड के छेद पर बहने लगी।
मेरी माँ टीचर है.. उसकी उम्र 37-38 की होगी.. मगर देखने में किसी भी हालत में 31-32 से ज्यादा की नहीं लगती थी, माँ और दीदी एकदम गोरी हैं, माँ मोटी तो नहीं.. लेकिन भरे हुए शरीर वाली थीं और उनके चूतड़ चलने पर हिलते थे। मेरी दीदी की उम्र 22 साल की थी..
उस रात माँ अपनी चूत चटवा कर सो गई और अगली सुबह जब मां मेरे सामने बैठ कर मूतने लगी तो मेरा सब्र जवाब दे गया, मेरा खड़ लण्ड देख कर माँ हंसने लगी और उसके बाद…
'साले माँ की चूत चोदेगा जरूर, मगर उसके साथ इसकी बात नहीं करेगा, चुदाई के काम के वक्त चुदाई की बातें करने में क्या बुराई है बे चूतिये?'
चूमा-चाटी खत्म होने के बाद माँ ने पूछा- और बेटे, कैसा लगा माँ की चूत का स्वाद? अच्छा लगा या नहीं? ‘हाय माँ, बहुत स्वादिष्ट था, सच में मजा आ गया।’ ‘अच्छा, चलो मेरे बेटे को अच्छा लगा, इससे बढ़ कर मेरे लिए कोई बात नहीं।’ ‘माँ, तुम सच में बहुत सुन्दर हो। तुम्हारी चूचियाँ […]
माँ को चूत चुसवा कर बहुत मज़ा आया और वो शानदार तरीके से झड़ी और थक कर सो गई.. लेकिन मेरा लौड़ा मुझे परेशान कर रहा था, मैं सोती हुई माँ की जांघों को सहलाने लगा
माँ पूरी नंगी होकर दोनों पैर फैला कर मुझसे अपनी चूत चटवाने लगी... मैं माँ की चूत चूसने लगा तो माँ को खूब मज़ा आ रहा था, वो मज़े में पागल हो गालियाँ बक रही थी.
आज तो माँ मुझ पर पूरी मेहरबान थी, उसने पूरी नंगी होकर दोनों पैरों को मेरे सामने खोल कर फैला दिया और बोली- ले देख ले जो देखना है… मैं चूची मसलने और चूसने लगा
मैं मां के सोते हुए उसके पेटिकोट में झांक रहा था, माँ जाग गई और मेरी लालसा को जानकर यह कहते हुए कि 'चल मैं ही दिखा देती हूँ' वो अपने कपड़े उतारने लगी।
रात को छत पर मैंने माँ की मिन्नतें की चूत दिखाने के लिए, वो ना मानी और तभी बारिश शुरु हो गई… नीचे आकर मैंने माँ को फ़िर से कहा लेकिन वो मेरी मुठ मारने लगी।
मुझे उम्मीद थी कि रात को सोते समय माँ मुझे काफी कुछ करने दे सकती है, मज़ा दे सकती है. जब हम छत पर सोने गए तो माँ भी मेरे पास ही आकर लेट गई थी लेकिन...
शाम होते-होते हम अपने घर पहुंच चुके थे। कपड़ों के गठर को ईस्तरी करने वाले कमरे में रखने के बाद, हमने हाथ-मुंह धोये और फिर माँ ने कहा कि बेटा चल कुछ खा-पी ले। भूख तो वैसे मुझे कुछ खास लगी नहीं थी (दिमाग में ज़ब सेक्स का भूत सवार हो तो भूख तो वैसे […]
मेरा वीर्य पीने के बाद माँ ने मुझसे पूछा कि मुझे मज़ा आया या नहीं। फ़िर मेरे सामने बैठ कर मूता, नंगी जांघें और गाण्ड दिखाई और मुझे मूतते हुए देखा…
मैं माँ की चूचियाँ मसल रहा था, माँ मेरे लौड़े को सहला कर मुठ मार रही थी… जब मैंने मां से कहा कि मेरा निकलने वाला है तो मां ने मेरा सुपारा अपने मुख में भर लिया
मेरी माँ पेशाब करके आ गई लेकिन बड़ी देर तक मेरे लंड से पेशाब ही नहीं निकला, फिर जब लंड कुछ ढीला पड़ा तब जा के पेशाब निकलना शुरु हुआ। मैं वापिस माँ के पास आया तो माँ ने फिर से वही बातें शुरू कर दी कि मैं उसे नहाते हुए क्यों घूरता हूँ... वो मेरा लंड पकड़ कर कहने लगी कि तू अब जवान हो गया है... कहानी पढ़ कर मज़ा लें...
माँ ने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख लिया…फिर पता नहीं क्या सोच कर वो बोली- ठीक है, मैं सोती हूँ यहीं पर…
उत्तेजना वश मैं माँ की चूचियों पर हाथ फ़िराने लगा और मेरा दूसरा हाथ अपने लण्ड पर था।
माँ जाग गई और मेरे खड़े लण्ड को हाथ में ले कर हिलाने लगी और मीठी डाँट पिलाने लगी। माँ लगातार मेरे खड़े लण्ड के बारे में बात कर रही थी।
माँ कपड़े को नदी के किनारे नहाने लगी… माँ के दांतों से उसका पेटिकोट छुट गया और सीधे सरसराते हुए नीचे गिर गया और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिये मेरी आंखों के सामने दिखने लगा।
बाद में खाना खाने के बाद माँ पूछने लगी कि उसे नंगी देख कर मुझे कैसा लगा… फ़िर उसने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख लिया…
खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...
जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी... एक दिन हम दोनों ने कपड़े धो लिये और सारा काम निपटा कर नहाने लगे… माँ के दांतों से उसका पेटिकोट छुट गया और सीधे सरसराते हुए नीचे गिर गया और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिये मेरी आंखों के सामने दिखने लगा। खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...
हमारा काम धोबी का था, माँ देखने में बहुत सुंदर है, जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी... घर में भी कपड़े इस्तरी करते वक्त माँ अपना पेटिकोट ऊपर उठा कर पसीना पौंछती तो मुझे उसकी नंगी जांघों के बीच का नज़ारा देखने को मिल जाता… खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...
हमारा पारिवारिक काम धोबी का था, मैं माँ के साथ नदी किनारे कपड़े धोने जाते थे... माँ देखने में बहुत सुंदर है, इस कारण गाँव के लोगों की नजर भी उसके ऊपर रहती होगी, ऐसा मैं समझता हूँ। जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी... खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...