जमशेदपुर की गर्मी-2
प्रेमशीर्ष द्वारा लिखित एवम् प्रेम गुरु द्वारा संशोधित और संपादित बस मैं समझ गया कि मेरी प्रेम तपस्या आज वरदान बन के बरसने वाली है। यह तो हरी झंडी है अपनी प्यास बुझाने की। कोमल की आँखों में वासना और आमंत्रण दोनों स्पष्ट झलक रहा था। और मैंने बिना देर किये उसे खींच कर सीने […]