मेरी चचेरी विधवा बहन की कामुकता

(Meri Chacheri Vidhva Bahan Ki Kamukta)

rocky00786 2018-03-04 Comments

यह मेरी सच्ची कहानी है मेरी चचेरी बहन अंजलि की, जो अब एक विधवा औरत है.
10 साल पहले अंजलि दीदी 24 साल की खूबसूरत नैन नक्श और शरीर वाली, स्वाभाव से थोड़ा मुंहफट और कामुक लड़की हुआ करती थी. खूबसूरत थी और गुस्सैल भी; 5 फुट 5 इंच लम्बाई, इकहरी काया, गोरा गुलाबी रंग, काली आँखें, गुलाबी होंठ, 34″बी कप साइज़ के स्तन; 28″ कमर. 36″ नितम्ब!

2 साल बाद 26 वर्ष की उम्र की अंजलि दीदी की शादी हो गयी. पति के साथ अंजलि दुनिया की सैर कर रही थी और अपने मदमस्त यौवन को जम कर लुटा रही थी. पति पैसे वाला और सीधा था. जवान अंजलि अपने ग़ुस्सैल रवैये से अपने पति पर हावी रहती थी और मनचाहा काम लेती थी. रात में किसी बिगड़ैल जंगली घोड़ी की तरह पति से लगातार घण्टों सेक्स करती थी.
मेहनती और काबिल पति की वजह से जल्दी ही अंजलि के पास लाखों का बैंक बैलेंस भी हो गया था. खूब खुश थी अंजलि.

पर अचानक…
जैसे अंजलि दीदी की खुशियों को किसी की नजर लग गई, शादी के 3 साल बाद भरे यौवन में 29 साल की जवान और हसीन औरत अंजलि विधवा हो गयी.

इसके 6 महीने बाद एक फैमिली फंक्शन में मैंने अंजलि दीदी को देखा. वो चुपचाप एक कोने में खड़ी थी. उसे सफ़ेद साड़ी में देख कर मुझे बुरा लगा. अंजलि दीदी की पीठ मेरी तरफ थी. पहले के मुकाबले वो काफी गदराई लग रही थी. झीनी जॉर्जेट की सफ़ेद साड़ी में अंजलि की बॉडी का पूरा शेप समझना आसान था.
मैंने गौर किया कि अंजलि दीदी के चूतड़ चौड़े और भारी हो गए थे. 29 साल की इस जवान औरत अंजलि के करीब 40 इंच के टाइट, चौड़े, गदराए, चर्बी चढ़े भारी नितंबों को उसकी छोटी सी पैंटी संभाल पाने में असफल हो रही होगी. ऊपर चिकनी पीठ और उस पर सफेद ब्लाउज, उसके अंदर दिखती अंजलि की ब्रा. शायद कोई इम्पोर्टेड ब्रांडेड ब्रा थी.

विधवा होने पर भी इतनी डिज़ाइनर और ब्रांडेड ब्रा? मैं सोच में डूब गया.
बाद में दीदी के हुई बातचीत में अंजलि ने बताया कि वो पड़ोस के शहर में एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश टीचर है और वहां टू रूम फ्लैट में अकेली रहती है.

3 महीने बाद मुझे उस शहर में जाना पड़ा, मैंने अंजलि दीदी को फ़ोन किया तो वो 10 बजे सुबह मुझे लेने बस स्टॉप आई. हम दोनों उसकी कार से उसक फ्लैट पहुंचे. हम दोनों रूम में आ गए. अंजलि बोली- तुम आराम करो, मुझे स्कूल जाना है अर्जेंट काम से; मैं 2 घंटे बाद आ जाऊंगी.
अंजलि चली गयी.

जून का महीना था, दोपहर होने वाली थी, 11 बज रहे थे. हर जगह सन्नाटा था.
मैं बाथरूम गया, बाथरूम उस विधवा के मेकअप के सामान से भरा पड़ा था. हैंगर में एक जॉकी की पैंटी टंगी थी. जिसका साइज 90 सेंटीमीटर था. बाथरूम में ब्रांडेड क्रीम, हेयर रेमूवर्स, मसाज क्रीम और कई तरह के परफ्यूम थे.
अंजलि दीदी जवान खूबसूरत शौक़ीन औरत थी.

1 बजे के करीब अंजलि आ गयी और मुझे देखकर मुस्कुराई बोली- बहुत गर्मी है… नहा कर आती हूँ, फिर कुछ खाएंगे… तब तक तुम दूध पीना चाहो तो पी लो… फ्रिज में रखा है.
मैंने कहा- पहले तुम नहा लो, फिर आराम से दूध पिलाना.
अंजलि मुस्कुरा कर बोली- मारूँगी शैतान बच्चे!
और बाथरूम में चली गयी.

बाथरूम में पानी गिरने की आवाज़े आने लगी. मैं बेड पर लेटा उन आवाज़ों को सुन कर ख्यालों में डूब गया. एक गोरी जवान और गदराई विधवा बिल्कुल नंगी इस कमरे के अटैच्ड बाथरूम में नहा रही है और यहाँ मेरे अलावा और कोई नहीं है.
फ़िर मैं बैठ गया, मैंने देखा कि बाथरूम के दरवाजे में छेद था। मैंने जब उस छेद से अन्दर देखा तो मेरे होश उड़ गये। जवान विधवा अंजलि अपने हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी। यह देख कर मैं पागल हो गया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

फ़िर मैंने देखा कि दीदी अपने हाथों से अपनी चूचियाँ सहला रही थी, उसके चेहरे के भाव देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, मैं भी अब अपने लंड को सहला रहा था।
मैं फ़िर से अंदर देखने लगा। मुझे यकीन नहीं हो रहा था विधवा दीदी ऐसे भी कर सकती है। तन मैंने सोचा कि हर लड़की के नादर कामुकता तो होती ही है, उसे सेक्स की चाहत होती है।
फ़िर उसने अपने चूतड़ों को सहलाया। फ़िर दीदी शावर चला कर नहाने लगी।

मैं बाहर जाकर बैठ गया, वो ब्लाऊज पेटीकोट पहन कर जैसे ही बाहर आई, मैंने अपने लंड को सहलाया, उसने मेरे लंड के तरफ़ देखा और दीदी बाहर की ओर जाने लगी, मैं भी दीदी के पीछे पीछे गया, फ़िर मैं हिम्मत करके दीदी के कंधे पर हाथ लगाने लगा, दीदी तौलिये से बाल सुखाने लगी थी।
मैंने कहा- दीदी, लाओ मैं पीछे से बाल सुखा देता हूँ।

फ़िर मैं तौलिये से दीदी के बाल सुखाने लगा। मैं बीच बीच में दीदी की नंगी गोरी पीठ पर हाथ फिराने लगा. फिर दीदी की बगल से हाथ फिराते फिराते मैं उनकी चुची पर ले गया। वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूं. दीदी ने मुझे नहीं रोका तो फ़िर मैं दीदी की चुची को दबाने लगा। दीदी दिखावे के लिए मेरे हाथ हटाने लगी लेकिन मैंने दीदी को पकड़ा और उसके स्तनों को दबाने लगा।
वो मदहोश होने लगी। मैं दीदी के नंगे पेट पर भी हाथ फिराने लगा।

दीदी की कामुकता जागृत होने लगी. मैंने अपनी एक उंगली दीदी की नाभि में घुसा दी. और अपना एक हाथ दीदी के पेटीकोट के नाड़े के अंदर घुसाने लगा. नाड़ा ज्यादा कसा नहीं था तो मेरा हाथ पेटीकोट के अंदर चला गया. दीदी ने पेंटी पहनी हुई थी लेकिन बहुत छोटी सी, दीदी की चूत का छोटा सा हिस्सा ही पेंटी से ढका हुआ महसूस हो रहा था.

मैं पेंटी के ऊपर से चूत सहलाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पेंटी के अन्दर डाल दिया, मैं दीदी की चूत को सहलाने लगा, दीदी गर्म हो चुकी थी। यह सब मैं दीदी के पीछे खडा होअक्र ही कर रहा था. फ़िर मैं दीदी की गर्दन को चूमने लगा, दीदी पीछे चेहरा घुमा कर मुझे चूमने लगी। मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। दीदी घूम कर मेरे सामने आ गई और मेरे लंड को जम कर दबाने लगी.
और फ़िर वो नीचे बैठ गई, मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरा छह इंच लंबा लंड बाहर निकाल लिया.

दीदी तो मेरा मोटा लंड को देख कर जैसे पागल सी हो गई, वो बोली- भाई यह मोटा लंड अगर मेरी चूत में घुस गया तो मैं तो मर जांऊगी।
मैंने कहा- मेरी प्यारी दीदी, पहले इसे मुँह में तो ले कर चूसो!
दीदी बड़े प्यार से मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी। मेरे मुँह से आवाज़ आने लगी- सिसकारियां निकलने लगी- ओह दीदी, अच्छा लग रहा है… पूरा लंड मुंह में ले लो ना!

तभी दीदी की आवाज आई- क्या सोच रहे हो?
मैं चौंक कर अपने ख्यालों से बाहर आया- कुछ नहीं दीदी… कुछ नहीं बस ऐसे ही.
मुझे अपने ऊपर बह्बुत शर्म आई कि मैं ये सब क्या सोच रहा था. ख्यालों में ही दीदी की चुत सहला दी और दीदी को लंड चुसवा दिया.

दीदी के आने से पूरे कमरे में परफ्यूम की भीनी भीनी खुश्बू फ़ैल गयी थी. दीदी मेरे सामने खड़ी थी. चटक लाल रंग का रीबॉक का लोअर जिसमें से उनकी पैंटी की इलास्टिक दिख रही थी. ऊपर आसमानी रंग का टीशर्ट. भीगे बाल, हल्के गुलाबी होंठ, मादक आँखें!
“मैं खाना लगा रही हूँ.” कह कर मुस्कुराते हुए अंजलि दीदी किचन में चली गयी.

दीदी ने खाना लगाया, हम दोनों ने खाया, खाना खाते खाते मैं दीदी के सेक्सी बदन को, उनकी चूचियों को ही घूरे जा रहा था, दीदी भी मेरी इस हरकत को नोटिस कर रही थी.

तभी दीदी का फोन बज उठा, दीदी ने फोन उत्जा कर देखा और उनकी त्यौरियाँ चढ़ा गई, वो फोन लेकर अंदर चली गई, अब किसी से फ़ोन पर गुस्से में बात कर रही थी, चिल्ला कर बोल रही थी, बिलकुल बिगड़ैल जंगली घोड़ी लग रही थी. गुस्से में फ़ोन बिस्तर पर पटक कर दीदी बाहर आई और बोली- मेरी सास ने बुलाया है… यहीं शहर में… बोली हैं कि सफ़ेद साड़ी पहन कर आओ.

कुछ देर बाद अंजलि दीदी बगल वाले रूम में तैयार होने चली गयी. गुस्से में अंजलि कुछ बड़बड़ाती जा रही थी और इसी वजह से कमरे की कुण्डी भी नहीं लगाईं थी. मैं बस अब अंजलि के जवान बदन को बिल्कुल नंगा देखना चाहता था.
मेरे पास ज्यादा समय नहीं था अब… मैं बंद दरवाज़े से सट कर खड़ा हो गया और अंजलि के पूरी नंगी होने के सही टाइम का अंदाज़ा लगाने लगा.

1. लोअर उतारा होगा.
2. टीशर्ट उतर गयी होगी… अब अंजलि सिर्फ ब्रा और पैंटी में होगी.
3. पैंटी भी उतार दी होगी.
4. ब्रा खोल रही होगी.
अब एक गदराई जवान खूबसूरत विधवा नंगी हो चुकी होगी.
यही वक़्त है. 1… 2… 3…
मैंने झटके से दरवाज़ा खोल दिया.

मेरे होश उड़ गए…. अंजलि बेड पर अपनी जाँघें फैलाए पड़ी थी, उसने टॉप पहना हुआ था मगर लोअर उतारा हुआ था, पंत्य्य नीचे सरकी हुई थी और अपनी चूत में एक डिल्डो अंदर बाहर कर रही थी.

मुझे देखते ही दीदी चिल्लाई- ये क्या बदतमीज़ी है? नॉक करना नहीं आता तुम्हें?
अपनी पैंटी ऊपर करते हुए बोली अंजलि दीदी.
“सॉरी… वेरी सॉरी…” मैं सकपका गया- दीदी, मैं तो ये कहने आया था कि अगर आपने जाना है तो मैं भी चला जाता हूँ.

अंजलि थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- मैं नहीं जा रही कहीं…
अंजलि दीदी को मुस्कुराती देख मेरी जान में जान आई मैं कुछ बोल पाता कि वो फिर बोल पड़ी- देखो… घबराओ मत, मुझे भी आज किसी की जरूरत है… कितने समय से बस इस डिल्डो से मास्टरबेट कर रही हूँ. आज तुम यहाँ हो तो… समझ गए ना? पर किसी से कुछ कहना नहीं… समझे.
मैंने हाँ में सिर हिलाया.

अंजलि ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बड़ी गांड को मटकाते हुए मुझे बगल वाले कमरे में ले चली. बिस्तर पर नर्म गद्दा था, बिस्तर पे ए सी का रिमोट पड़ा था, अंजलि ने रिमोट से ए सी चालू किया और मुझे बिस्तर के ऊपर धक्का दिया. मैं गिरा और पूरी नंगी अंजलि मेरे ऊपर आकर चढ़ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी.

कुछ देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, मैंने पहले अंजलि की चूत पर पैंटी के ऊपर से ही किस किया, उसमें से हल्की सी खुशबू आ रही थी जो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी थी.
मैंने अपनी उँगलियों से पैन्त्य्य एक तरफ सरका के अपनी जीभ जैसे ही चूत पर लगाई, अंजलि कराह उठी. उसने मेरी पैन्ट खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुख में लेकर कुल्फी की तरह होंठों से चूसने लगी.

इधर मैंने दीदी की चूत में जीच से चाटा और उधर अंजलि दीदी ने मेरा आधा लंड अपने मुख में भर लिया. मैंने दीदी की पैंटी पूरी उतार दी और अपनी एक उंगली अंजलि की गांड के छेद पर रख दी और उसे दबाते हुए चूत को चाटने लगा.
अंजलि ने मेरे आधे लंड को हाथ से पकड़ा हुआ था और बाक़ी का आधा लंड अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूस रही थी.

आनन्द के मारे मेरे तो होश उड़ चुके थे, अंजलि दीदी को चोदने का जो सपना मैं कुछ देर पहले ख्यालों में देख रहा था, वो अब साकार जो होने को था!

अंजलि मेरे लंड के चुस्से लगाती रही और मैंने दीदी की गोरी चूत को चाट कर लाल कर दिया था. मैंने अंजलि दीदी की गांड में उंगली कर कर के उसे ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, अब हम दोनों भाई बहन रियल सेक्स के लिए एकदम तैयार थे.

अंजलि दीदी ने मेरे लंड को मुख से निकाला और बोली- चल भाई, अब दे ड़े अपनी दीदी को असली चुदाई के स्वर्ग का आनन्द!
मैं उठा अपने पूरे कपडे उतारे, इतनी देर में दीदी ने अपने सारे कपडे उतार दिए थे, दीदी ने बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टाँगें खोली और चूत का फाटक मेरे सामने खोल के रख दिया.

अंजलि दीदी की की चूत मेरी नज़रों के सामने थी जिसको मैं अभी कुछ पला पहले चाट चाट कर गर्म कर चुका था, मेरे चाटने से पूरा चूत लाल हुई पड़ी थी.
अंजलि दीदी ने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया.

मैं नीचे झुका और अंजलि दीदी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिये, अंजलि के होंठ चूसते हुए मैंने अपने कूल्हों से एक झटका दिया तो मेरा लंड बिना किसी मुश्किल के दीदी की चूत के अन्दर आधा घुस गया.
अंजलि दीदी चुदाई के मामले में पूरी अनुभवी थी, चूत में लंड घुसते ही वो मुझे और भी सेक्सी तरीके से चूमने लगी. हम दोनों की जीभ एक दूसरे से लड़ने लगी थी.

तभी मैंने एक और झटका मारा और इस दूसरे झटके में मेरा लंड पूरा मेरी दीदी अंजलि की चूत में था.
मैंने एक मिनट तक लंड को चूत के अंदर ऐसे ही रहने दिया, ऐसा करने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था, दीदी की गर्म चूत मेरे लंड को दबा रही थी.
अब मैं धीरे धीरे लंड को दीदी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. अंजलि दीदी की गीली चूत में लंड हिलाना बड़ा मजेदार था.

अंजलि दीदी सिसकारियाँ भर रही थी, कराह रही थी- चोद मेरे भाई… जोर जोर से मेरी प्यासी चूत को चोद! उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर जोर से! बहुत मजा आ रहा है.
“ये लो… ये लो… पूरा मजा लो दीदी, ये ले लो अपने भाई का लंड अन्दर तक!” मैं भी कस कस के अपना लंड दीदी की चूत में ठोक रहा था. भी बहन की जांघों के आपस में टकराने से कमरे में फच फच पट पट की आवाजें अंजलि दीदी और मेरी चुदासी आवाजों से मिक्स हो रही थी.
“अह्ह्ह ऊऊऊह अह्ह्ह ह्ह…’ दीदी की चुदास, कामुकता बढ़ रही थी.

मैंने अंजलि दीदी के मांसल कंधों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया और दीदी को जोर से चोदने लगा. अंजलि दीदी की साँसें उखड़ चुकी थी. और दीदी ने तभी मेरे लंड पर चूत के होंठों का दबाव बना दिया.
दीदी झड़ने को थी, एक लम्बी सांस के साथ मैंने भी अपना पानी दीदी की झड़ रही चूत में निकाल दिया. अंजलि दीदी की चूत ने मेरे लंड पर जकड़ बनाये रखी और वो भी मेरे साथ झड़ गई!
मेरे वीर्य की एक एक बूंद की दीदी की गर्म चूत में निकल गयी और तब दीदी ने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ्त से आजाद किया. मैंने लंड बाहर निकाला और दीदी के चेहरे को देखा, उनकी आँखों में संतुष्टि के भाव थे और मैं तो खुश था ही अपनी दीदी को चोद कर!

कुछ देर ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहने के बाद अंजलि बोली- यार, बहुत दिन बाद चुदाई की आज… मजा आ गया… तुझे भी मजा आया ना?
मैंने हाँ में सर हिला कर दीदी की बात का जवाब दिया और वहीं नंगी दीदी के बगल में लेट गया.

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