फुफेरी बहन की चुत और गांड चुदाई

(Fuferi Bahan Ki Chut Aur Gand Chudai)

मैं भगवानदास (20) उर्फ भोगू का आप सभी के खड़े लंडों को नमस्कार और चटकती चुतों को दंडवत प्रणाम.
अब तक मैंने अपने जीवन की कुछ अविशवसनीय सेक्स घटनाओं को शेयर किया. मेरी पिछली देसी कहानी
फुफेरी बहनों की रंगरेलियाँ और चुत चुदाई
मैं गांव में अपनी फुफेरी बहनों की चुत चुदाई में उनके भाई के साथ शामिल था. उसी की अगली घटना लेकर फिर से हाजिर हूँ.

मैं दिखने में बीस साल का एक कसरती बदन का मालिक हूँ परन्तु मेरी सूरत सामान्य है. फिर भी ऊपर वाले ने मुझमें नारी को वश में करने की अद्भुत क्षमता दी है, जो मेरी चुत की आशिकी पूरी करने में कामयाब होती है. शुरू से मामी अपनी वासना पूरी करने में मेरा इस्तेमाल करती रहीं, किन्तु गुजरते चार साल के समय के साथ मैं चुत का जबरदस्त आशिक बन गया. बिना चुत चोदे मुझे रात में नींद हराम होने लगी.

कभी कभी दोस्तों और रिश्तेदरों के यहां जाना होता तो बहुत तकलीफ होती रही. लेकिन मैं कहां हारने वाला.. चुत की सम्भावना में तलाश जारी रहती और धीरे धीरे आराम से हर जगह अपनी सैटिंग कर ही लेता. हर एक नाते-रिश्तेदारी की कोई ना कोई लड़की और महिला मेरे लच्छेदार बातों के जाल में फंस ही जाती. फिर मेरा लंड जो एक बार ले लेती, उसे दुबारा पाने की उसकी लालसा बनी रहती. ऐसी परिस्थतियों में मैं महिलाओं और लड़कियों के बीच काफी घुलमिल जाता रहा, जिससे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की लड़कियों और महिलाओं को चोदने में सहजता होती है.

कोई कभी अपनी काम वासना में असंतुष्ट सहेली या भाभी दीदी को सम्पर्क कराती.

ऐसी ही तमन्ना लिए अपने गांव गया और बुआ की खूबसूरत दोनों लड़कियों की चुत का उद्घाटन, उनके ही बड़े भाई के साथ कर दिया था. पर अगले दिन अभी मेरा मस्त मलंग लंड देसी बालाओं की और चुदाई करना चाहता, लेकिन बुआ से पकड़े जाने का डर हमेशा लगा रहता था.

ऐसे में रीना के दिमाग ने कम्प्यूटर से तेज काम किया और उसने रंजु को बुआ के पास सोने के लिए भेज कर एक फूलप्रूफ प्लान बना लिया, जिसमें बारी बारी से कोई एक बुआ के साथ रात में सोये और बाकी तीन चुदाई का आनन्द लें.

कल रात की पहली भयंकर चुदाई से त्रस्त 19 साल की मदमस्त रंजु गुदगुदाते मन से अपनी मम्मी के साथ सोने चली गई और दीपक एवं रीना के साथ मैं अपना दूध का गिलास लिए ऊपर वाले कमरे में आ गया. अपना दूध पीने में व्यस्त तीनों चुप बैठे थे. कमरे में ऐसा सन्नाटा पसरा रहा, जैसे भयंकर तूफान से पहले होता है.

रीना बहुत परेशान और संकोच में लग रही थी. मैंने चुप्पी तोड़ते हुए गिलास वापस नीचे किचन में रख कर आने को कहा. रीना जाने लगी तो उसके मटकते चूतड़ों को देखकर दीपक भैया अपना लंड मसलते रहे. कमरे की टयूबलाइट बन्द कर दूधिया नाइट लैम्प जला कर मैं वाशरूम में जाकर फ्रेश हो आया.

तभी मैंने रीना को मंद गति से आते हुए देखा. उसके मन में अब भी द्वंद्व चलता अनुभव हो रहा था. मैंने कारण जानने की कोशिश की, उससे पूछा तो उसने बताने से इन्कार कर दिया.

मैंने आगे बढ़ कर उनके थिरकते जोबन को दोनों हाथों से थाम लिया और एक लम्बा किस किया. धीरे से उसने कान में पहले मेरे साथ सेक्स करने की इच्छा प्रकट की. मैं समझ गया क्योंकि रीना एक ठण्डी लड़की है और वह जब तक गर्म होती है, तब तक दीपक भैया एक बार झड़ चुके होते हैं.

रीना की इच्छा को जान कर मैंने एक एक कर उसके दोनों 34 साइज के चुचों को पकड़ा और उन्हें मसलता और होंठों को चबाता रहा. उसके दोनों हाथ मेरे पीठ पर नाखून चुभते रहे और धीरे धीरे मैंने उसे दीपक भैया के बेड पर लेटा दिया. हम दोनों भाई एक साथ उसके साथ फोरप्ले करते हुए कपड़े निकालते रहे. दूधिया रोशनी में किसी संगमरमर की तरह चमक रहा 34-28-32 का रीना का जिस्म कमरे का तापमान बढ़ रहा था.
दीपक भैया ने रीना के नीचे कटि प्रदेश पर आक्रमण कर दिया और मैं पहले से ही उसके चुचों, होंठों की चुसाई करता रहा.

अब रीना के मुँह से रह रह कर मादक सीत्कारें फूटने लगीं. दीपक भैया चुत के भीतर तक जीभ डाल रहे थे.. जिससे ‘आह्ह सी सी..’ करते हुए रीना ऐंठ रही थी. वो कहती कि आह.. जोर जोर से चूसो बहनचोद.. आह.. आह्ह अन्दर तक मुँह लगा भडुए.. उई मां मैं मर गई रे.. ये कैसी आग लगा दी है तूने.. आह.. ठीक से लगातार चूसो नहीं… तो साले मुँह में मूत दूँगी.. अपनी रंडी की नोंच खा साले..

मैंने उसकी गरदन से होते हुए कान और पीठ को चाट चाट कर गीला कर दिया. उधर दीपक भैया उसकी टांगों को चौड़ी करके चुत और गांड में मुँह डाल कर चूसते रहे. करीब बीस मिनट के फोरप्ले में रीना के सब्र का बांध टूटने लगा परन्तु मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था क्योंकि कल रात मैंने देखा था कि 21 साल की इस जवान ठण्डी लड़की के लिए दो मर्द कोई मायने नहीं रखते थे. दो बार के बाद और कैसे कल तीसरी बार मुझसे लिपट लिपट कर वो देर तक चुदती रही.

अब जवानी के बादल रीना पर मंडराने लगे और अबकी बार इतना अधिक बरसे कि जैसे रीना की चुत से बरसाती नाला निकल रहा हो. दीपक की बहन चिंघाड़ चिंघाड़ कर झड़ती रही और दीपक भैया अपनी बहन की बूंद बूंद योनिरस चाटते हुए बुरी तरह हांफ रहे थे.

सही मायने में रीना जैसी लड़की को इसके बाद ही चोदने में मजा आता है. अब वो 69 की स्थति में मेरा लंड पकड़ कर चूसने लगी और मैं चुत और गांड बारी बारी से उंगली पेलने लगा. उसकी पाव की तरह फूली चुत के चिकने होंठ किशमिश की तरह रसीले लग रहे थे. मेरा सात इंच का लंड रीना के कंठ तक फंसने लगा तो मैंने देर नहीं करते हुए उसकी दोनों टांगों को चौड़ी करके चुत पर लंड टिका दिया. रीना अपनी गांड उछाल कर चुत के अन्दर लंड लेने के बेचैन हो रही थी.

तभी मैंने एक करारा शाट मारा और चुत की मुलायम दीवार भेदता हुआ मेरा आधा लंड चूत के लाल किले में समा गया.
रीना के मुँह से चीख निकली- उई मांई मार डाला रे बहनचोद..
उसको सम्हलने का मौका नहीं देते हुए मैंने उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर, जोर से खींचकर एक और शाट दे मारा.

मेरा पूरा लंड रीना की चुत की जड़ तक बैठ गया. रीना बिलबिलाती हुई कहने लगी- प्लीज़ गाण्ड मार लो केवल.. और अपने मूसल लंड को मेरी चूत में से निकालो.

लेकिन मैंने लंड को बाहर निकाला और उसकी चुत के मुहाने तक ला कर ज़ोर का लगा कर फिर धक्का मार दिया, जिससे लंड चुत में फिर से दाखिल हो गया.

“उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते.. हरामी.. रुक ज़ाआाअ.. भाई.. तू मुझे जिंदा नहीं रहने देगा.. साले तेरा लंड है या तलवार.. इसे निकाल लो उह्ह.. मेरी चुत फट गई रे…. ऊम ऊम प्लीज़.. छोड़ दो मुझे. मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ.. आज मेरी जान निकाल दोगे क्या भाई?”

तड़पती रीना की चुत में लंड डालकर मैं थोड़ी देर उसकी चुचियों को चूमता चाटता रहा.

जब रीना सामान्य होने लगी तो मैंने धीरे से धक्के मारने शुरू कर दिए. थोड़ी ही देर में कल की सील टूटी लड़की किसी खिलाड़ी की तरह चूतड़ नचा नचा कर गटागट लंड घोंटने लगी.. और जोर से चोदने की मांग करते हुए मेरी पीठ में अपने नाखून चुभाने लगी.

उधर दीपक रीना के मुँह को चोद रहे थे.. इधर मैं चुत में लगा था.. लेकिन ताल सही नहीं बैठ रहा इसलिए रीना को अपने पेट पर लेकर मैं चित होकर दीपक भैया को उसकी गांड में ग्रीसिंग करने के लिए इशारा किया.
रीना के थूक से लिपटे लंड को दीपक भैया अपनी बहन रीना की चौड़ी गांड को फांक करके लंड डालने लगे. अभी सुपाड़ा ही गया था कि रीना कराहने लगी.
अब आगे पीछे दोनों तरफ से लंड के झटके लगने लगे. रीना सातवें आसमान में उड़ने लगी और ‘फक मी हार्ड.. ब्रदर फक मी हार्ड..’ करते हुए कांप कांप कर झड़ने लगी.

देखते ही देखते उसकी चुत से कामरस की धार फूट पडी. पूरे कमरे में चुदाई का सुगम संगीत गूंज रहा था. बीच बीच में रीना की कामुक स्वर लहरियां उन्माद बढ़ा रही थीं. दीपक ऊपर से करारा धक्का लगाते हुए गांड को गुडगांव बना रहा था और मैं भी नीचे से हर धक्के के जवाब में एक करारा ठाप चुत में लगाते रहा.

करीब पांच मिनट की घनघोर चुदाई से रीना दूसरी बार झड़ते हुए औंधे मुँह मेरे ऊपर गिर पड़ी.

अब उसकी काम शक्ति खत्म हो चुकी थी. हर धक्के पर आनन्द और दर्द मिश्रित कराह निकल रही थी. दीपक किसी बहशी की तरह गांड मारे जा रहा था और रीना कटे हुए पेड़ की तरह मुझ पर ढहती जा रही थी. उसके गुदाज चूतड़ लाल हो गए थे, जैसे अभी उनमें से खून निकल आएगा.

तभी जोर जोर से तीन चार धक्के मार कर दीपक भैया रीना दीदी की गांड में तुनक तुनक कर झड़ कर हट गए.

मैदान साफ देख मैंने रीना को बेड पर पीठ के बल लिटाकर उसकी चुत पर सवार हो एकदम से मस्त चुदाई करने लगा. रीना भी मेरा फिर से साथ देने लगी.

ऐसा नजारा देखकर मेरा जोश और बढ़ गया. देखते ही देखते मैं चुत और गांड दोनों की चुदाई करने लगा. कभी गांड में लंड डालता और कभी चुत में लंड डालता.

‘आह्ह आह्ह् और चोदो मुझे.. मेरी चुत फाड़ दो… इस निगोड़ी चुत ने बहुत परेशान कर दिया है.. नोंच डालो.. इसे खा जाओ.. बहन के गुलाम.. बहनचोद..’

ये कहते हुए रीना के साथ मैं भी भलभला कर अपनी बहन की गांड में झड़ गया.

करीब तीस मिनट की घनघोर चुदाई ने चुत और गांड की धज्जियां उड़ा दीं.

हम तीनों भाई बहन इस जोरदार चुदाई से संतुष्ट होकर अपनी सांसों पर नियन्त्रण पाने की कोशिश करने लगे. रीना बहन की चुत और गांड से वीर्य के मोटे मोटे थक्के निकल रहे थे. आज बहन अपने दो भाईयों से चुद कर आत्मसंतुष्ट हो रही थी. मैंने आज तक इतना देर तक रुकने वाली दूसरी लड़की नहीं देखी थी.

आप लोगों तक मैंने अपनी सच्ची घटना को पहुंचाने की कोशिश की है, धारा प्रवाह में गलतियां हों, तो उसे मिला कर पढ़ने का कष्ट करें.
आगे की चुदाई की देसी कहानी अपनी जुबानी फिर कभी फुरसत में लिखूंगा. धन्यवाद.
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