दीदी का नंगा बदन देख जागी मेरी कामुकता-2

(Didi Ka Nanga Badan Dekh Jagi Meri Kamukta- Part 2)

सोनू सुमन 2018-06-26 Comments

सगे भाई बहन की चुदाई की अब तक की कहानी
दीदी का नंगा बदन देख जागी मेरी कामुकता-1
में आपने पढ़ा था कि दीदी मुझे चूमने लगी थी. हम दोनों अपनी वासना के भंवर में बहने लगे थे.
अब आगे…

मैं दीदी को किस करते करते मैं अपना एक हाथ उसकी गर्दन पर ले गया और उसे अपनी तरफ खींच कर चाटने लगा. फिर उसकी बगलों को चाटने लगा. दीदी की मादक कराहें मेरा उत्साह बढ़ा रही थीं. फिर मैं दीदी की चूची के ऊपरी भाग को चाटने लगा.

तभी एकदम अचानक से दीदी पीछे मुड़ गई. मैंने उसे छोड़ा नहीं और पीछे से उसकी गर्दन को चाटने लगा. इसी तरह उसको चूमते चाटते मैंने दीदी के कुर्ते को उसके कंधे से नीचे कर दिया. इससे उसकी पीठ काफी नंगी हो गई थी. मैं उसकी पूरी पीठ को चाटने लगा.

जब चुदास बढ़ी तो मैंने उसके कुरते को उसकी कमर तक नीचे कर दिया और उसकी पूरी पीठ को चाटते चाटते उसकी कमर तक पहुंच गया. फिर वो आगे की ओर घूमी तो मैं उसके पेट को चाटने लगा. साथ ही उसे हल्का हल्का काटने भी लगा. दीदी अपनी आंख बंद करके ‘आहहहह आहहहह…’ किए जा रही थी.

मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूची को दबाने लगा. फिर मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया, ब्रा खुलते ही उसकी चूचियां खुली हवा में फुदकने लगीं. मैं लगभग झपटते हुए उसके मम्मों के दूध को पीने का काम शुरू कर दिया.
यह मेरा पहला अवसर था, जब मैं किसी लड़की का दूध पी रहा था… वह भी अपनी बहन का! सच में बहुत मजा आ रहा था.

दोस्तो, मैं दीदी की एक चुची के दूध को पी रहा था और दूसरे को हाथ दूसरी चुची को दबा रहा था. इसके बाद मैं अपना हाथ उसकी पैंटी में ले गया और दीदी की चुत को मसलने लगा. उसकी चुत के चारों तरफ बहुत घने बाल थे. एक मिनट बाद मैंने उसकी चड्डी उतार दी. मेरा उसकी चुत को चाटने का तो मन कर रहा था, लेकिन बाल बहुत अधिक होने के कारण मजा नहीं आ पाया.

मैंने दीदी से कहा- मैं तुम्हारे बाल काट दूं… फिर मजा आएगा.

वो झट से मान गई. मैं अपनी शेविंग किट लाया और नीचे बैठ कर दीदी की चुत की झांटों को काटने लगा. वो भी अपनी पूरी चुत खोल कर झांटें बनवाने का मजा ले रही थी. उसकी चुत के बाल काटने के बाद देखा तो उसकी चुत गुलाब की पंखुड़ी की तरह नजर आने लगी… साथ ही मेरे हाथ लगाने से उसकी चूत लिसलिसी सी भी हो गई थी. उसकी चुत को मैंने साबुन लगा कर धोया. फिर मैं उसकी चुत को चाटने लगा, लगातार चाटते रहने से उसकी चुत से पानी निकलने लगा.

फिर मैंने अपना आसन बदला और दीदी के हाथ में अपना लंड दे दिया. दीदी लंड चाटने से मना कर रही थी, पर मेरे कहने पर उसने लंड मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी. लंड चुसाई से मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया था. दीदी को भी लंड चूसने में मजा आने लगा था. अब तो दीदी लॉलीपॉप की तरह मेरे लंड को चूस रही थी.
लगभग दस मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया. मेरा इतना ज्यादा माल निकला कि वो पूरा रस पी ही नहीं पाई और बहुत सारा वीर्य उसके शरीर पर गिर गया.

हम दोनों अब शांत हो चुके थे. लेकिन मेरे लंड को दीदी की चुत की भूख अभी बाकी थी. मैं फिर से दीदी की चुत चाटने लगा. कुछ देर में मेरा लंड भी तैयार हो गया. मैं दीदी को भी खूब गरम करने के लिए उसका दूध पीने लगा और जल्द ही दीदी की चुत भी लंड लंड चिल्लाने लगी.

मैंने अपना लंड दीदी की चुत पर लगाया तो दीदी मना करने लगी. वो बोली- मैं बिना प्रोटेक्शन के सेक्स नहीं करूंगी.
मैं भी जानता था कि दीदी गर्भ ठहर जाने के डर से कह रही है कि वो चुदाई से प्रेग्नेंट ना हो जाए.
मैंने भी जिद नहीं की लेकिन मैंने बोला कि फिलहाल इस खड़े लंड का क्या करूं?
दीदी बोली कि इस खड़े लंड को मेरी दोनों चूचियों के बीच में डाल कर इसे चुत समझ कर चोद लो और रस टपका दो.

मैंने उसकी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़कर उनके बीच में लंड डाला और आगे पीछे करते हुए चूची चुदाई का मजा लेने लगा. कुछ देर बाद मेरा माल निकल गया और सारा माल दीदी की चूचियों पर गिर गया. वो अपने हाथों से उठा उठा कर मेरे माल को चाटने लगी.

इतनी देर की बूब फकिंग और चुसाई से हम दोनों बहुत थक गए थे, इसलिए नंगे ही दोनों सो गए. उस समय दोपहर के 2:00 बज रहे थे.

काफी देर तक सोने के बाद जब मेरी आंख खुली तो शाम के 5:00 बज चुके थे. दीदी पहले ही उठ चुकी थी और मैं नंगा ही सोया हुआ था. मैंने उठकर अपने कपड़े पहने और बाहर आया तो देखा दीदी खाना बनाने की तैयारी कर रही थी.

हम दोनों की नजरें मिलीं और हम दोनों मुस्कुरा दिये. फिर मैं दीदी के पास गया और उसे किस करने की कोशिश की.
तब दीदी ने कहा- अभी नहीं भाई, अभी खाना बनाना है.
मैंने कहा- ठीक है दीदी मैं बाजार जा रहा हूँ, तुम्हें कुछ मंगाना है?
दीदी ने कहा- नहीं भाई मुझे कुछ नहीं मंगाना है.

मैंने दीदी से पूछा- दीदी, रात का क्या प्रोग्राम है?
दीदी ने शर्म से आँख नीचे कर ली. मैंने दीदी से पूछा- कौन सा फ्लेवर पसंद है तुम्हें?
दीदी ने कहा- जो तुम्हें पसंद हो ले लेना.

मैं जब जाने लगा तो दीदी बोली- रूको भाई.
मैंने पूछा- क्या हुआ दीदी?
तो दीदी बोली- कंडोम मत लेना… दवाई ले लेना.

मैं समझ गया कि दीदी चुत में लंड का का पूरा मजा लेना चाहती है, वह भी बिना कंडोम के चुदने का मन बना चुकी है.
इस बात से मैं भी खुश हो गया, मुझे खुद ऐसा लग रहा था कि दीदी की पहली चुदाई का मजा नंगे लंड से ही लेना चाहिए. मैं आँख मार कर बोला- ठीक है दीदी, मैं दवा ले आऊंगा.

मैं बाजार चला गया और वहां जाकर मैंने दवाई ले ली. मैं बाजार में घूम रहा था तो मेरे सामने दीदी की चूची और गुलाब के फूलों जैसी चुत घूम रही थी. मैंने बाजार का सारा काम किया और घर आ गया.

घार आया तो सबसे पहले दीदी के करीब जाकर पीछे से दीदी की गांड को टच कर लिया.
दीदी बोलने लगी- भाई, जरा बर्दाश्त करो.
मैंने कहा- अब सब्र नहीं हो रहा है दीदी.

वो वहीं बैठ कर मुझसे बातें करने लगी. कुछ देर बाद उसने खाना बनाया था वो हम दोनों ने मिल कर टेबल पर लगाया और बैठ कर खाना खाया. हम दोनों ने साथ में खाना खाते वक़्त एक दूसरे के अंगों का पूरा मजा लिया. दीदी झुक झुक कर अपनी चूची दिखलाए जा रही थी. मेरा जी तो कर रहा था कि उसको खींच कर पूरा दूध चूस लूँ.

फिर हमने किसी तरह खाना खत्म किया और दीदी बर्तन धोने चली गई. बर्तन धोने के बाद दीदी मेरे पास आकर बैठ गई.

मैंने दीदी से कहा- दीदी, क्या प्रोग्राम है?
दीदी ने कहा- भाई आज की रात को यादगार बनाया जाए, आज हमारी सुहागरात होगी.

एक भाई और बहन की सुहागरात का मंजर याद करके मैं भी खुश हो गया. मैं दीदी की तरफ देखने लगा. उसने उठा कर अलमारी से मेरे कपड़े निकाल कर मुझे दिए और कहा कि पहन कर तैयार हो जाओ.

वो अपनी गांड मटकाती हुई खुद तैयार होने अपने कमरे में चली गई. जाते समय मुझे आँख मारते हुए बोली- आधे घंटे के बाद कमरे में आना.

मैं बाहर ही रह गया… कपड़े आदि पहन कर तैयार हो गया और दीदी कमरे में चली गई. मैं आधा घंटा बाद कमरे में गया तो देखा दीदी नई नवेली दुल्हन की तरह बेड पर बैठी हुई थी और उसने अपना चेहरा ढका हुआ था.
यह नजारा देख कर मैं बहुत खुश हो गया.

मैं बेड पर गया और सबसे पहले मैंने उस का घूंघट उठाया. दीदी ने नई दुल्हन की तरह शर्मा कर अपना मुँह दूसरी और कर लिया, उसका गोरा चेहरा एकदम गुलाब सा चमक रहा था. होंठों पर लाल लिपस्टिक लगाई हुई थी, मालूम चल रहा था मानो कोई अप्सरा मेरे सामने बैठी हो.

फिर मैं दीदी के होंठों को किस करने लगा. वह भी पूरा साथ दे रही थी. किस करते करते मैंने उसके साड़ी का पल्लू नीचे किया और उसे लिटा दिया. मैं एक उसके होंठों की किस करता रहा और एक हाथ से उसके दूध को दबाता रहा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.

अपनी सगी बहन को किस करते करते मैं उसके कान तक आ गया और उसके कान को काटने लगा. दीदी मादक आवाजें निकाल रही थी और मेरी बांहों में मचल रही थी. फिर मैं उसके कान की लौ को चाटने लगा. उसकी गरम आहें निकलने लगी थी. कान की लौ को चाटने से वो चुदासी हो उठी थी.

इसके बाद मैं अपनी सगी बहन के ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को पीने लगा. उसके ब्लाउज के हुक पीछे से थे. मैंने उसके चूचों को ऊपर से ही खूब पिया. फिर मैं नीचे आ गया और उसके पेट को चाटने लगा. मैं उसके पेट को चाट ही रहा था कि वह एकदम से मुड़ी. अब उसकी पीठ मेरे सामने थी. मैंने उसके पीठ को भी खूब चूमा और चाटा. फिर उसके ब्लाउज के हुक्स को खोल दिया. अब उसकी चूचियां केवल ब्रा में फंसी थीं. मैं फिर नीचे को गया और उसके पैरों को चाटने लगा. पैर चाटते चाटते ऊपर की ओर बढ़ने लगा. मैंने उसके पेटीकोट को साड़ी समेत ऊपर चढ़ा दिया और उसकी चिकनी जाँघों तक पहुंच गया. उसकी मांसल जांघें बेहद जानलेवा थीं, मैं बिना एक पल रुके उसकी मरमरी जाँघों को चाटने लगा. वो भी एकदम से सिहर उठी.

अब मैंने उसका पेटीकोट और साड़ी को उतार दिया. वो वहां केवल चड्डी और ब्रा में लेटी हुई रह गई थी. मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं उससे अलग हुआ और अपने कपड़े भी उतार दिए.
मैं उसके सामने मात्र एक चड्डी में खड़ा था. दीदी चड्डी और ब्रा में थी.

मैंने कहा- दीदी इतना शर्माओ मत यार… आंखें खोलो… देखो मेरा लंड कितना तैयार है.
वो शर्माते हुए हंसने लगी. उसने अपनी जीभ को बड़े ही कामुक और अश्लील अंदाज में अपने होंठों पर फेरा और एक हाथ से अपनी चुत पर फेरा तथा दूसरे हाथ की उंगली के इशारे से मुझे अपनी तरफ पर बुलाया.

मैंने भी अपने लौड़े को सहलाया और दीदी के पास आ गया. उसने अपनी बाँहें मेरी तरफ फैला दीं. मैं दीदी का चुम्बन करने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा. वो भी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को हिला रही थी. मैं अपना हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी ब्रा को खोल कर अपनी सगी बहन की चूचियों को ब्रा की कैद से आजाद कर दिया.

अब मेरी दीदी की मस्त और रसीली चूचियां मेरे सामने हवा में उचल रही थीं. मैं अगले ही पल उसके एक दूध को पी रहा था.
दीदी कामुकता से बोली- ओह… भाई पहले मेरी चुत को चाट दो.

मैं झट से नीचे गया और उसकी चड्डी को उतार कर उसकी चुत को चाटने लगा. कुछ ही देर में चुत में मानो आग लगी हुई थी. मैं अपनी जीभ बहन की चुत में डालकर उसे चोदने लगा. वो कामुक सिसकारियां ले रही थी.
फिर मैंने कहा- दीदी तुम भी मेरा लंड चाटो न.

वो तो जैसे लंड चूसने के लिए तैयार थी. हम दोनों 69 में हो गए. अब वो मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उसकी चुत चाट रहा था. कुछ देर बाद हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह में ही अपने माल को झाड़ दिया. वह मेरा पूरा माल पी गई और मैं भी उसका रस चाट गया.

रस चूसने के बाद भी हम दोनों एक दूसरे के लंड चुत की चाटते रहे. इससे नतीजा यह हुआ कि कुछ ही देर बाद हम दोनों फिर से हॉट हो गए. अब हम दोनों चुदाई के लिए तैयार हो गए थे. दीदी ने कहा भाई अब और मत तड़पाओ… जल्दी से डाल दो अपना लंड मेरी चुत में…
मैंने कहा- ठीक है दीदी…

मैं अपना हाथ लंड को पकड़ कर उसकी चुत पर लगाने लगा और जोर से झटका मारा. मेरा लंड उसकी चुत में अन्दर नहीं जा रहा था. दीदी की चुत बहुत टाइट थी. उसने मेरी तरफ परेशानी से देखा, तो मैं उठ कर किचन में गया और अपने लंड पर घी लगा लिया. घी से सने हुए हाथों से लंड की मालिश करता हुआ कमरे में आया.

मैंने आकर दीदी की चुत पर अपने हाथ में लगा घी लगाया और अपने घी से सने लंड को दीदी की चूत की फांकों में लगा कर एक झटका दे मारा. मेरा लंड का सुपारा दीदी की चुत में चला गया.
दीदी चिल्लाने लगी और कहने लगी- आह माँ मर गई… भाई जल्दी से बाहर निकालो… बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने अपनी सगी बहन की कुछ ना सुनी और लंड को उसकी चुत में पेले रहा. अगले पल मैं एक और तेज झटका मारा और मेरा खड़ा लंड बहन की चुत में घुसता चला गया. मैं लंड को उसकी चुत में डाल कर कुछ देर रुक गया. कुछ देर बाद दीदी को भी आराम मिला और वो अपने चूतड़ों को हिलाने लगी. मैं समझ गया कि दीदी को भी मजा आने लगा है. मैं अपने लंड को उसकी चुत में आगे पीछे करने लगा.

अब दीदी भी अपनी गांड उठाते हुए चुदाई का मजा ले रही थी. दीदी कहने लगी- आह आज अपनी बड़ी बहन की चुत को छोटा भाई चोद रहा है… आह कितना मजा आ रहा है आह्ह… और चोद दे… अपनी दीदी की चुत चोद दे…

यह सुनकर मुझे भी जोश आ गया और मैं दीदी को जमकर चोदने लगा. उसकी चुत से पच पच की आवाज आ रही थी और पूरे कमरे में गूँज रही थीं. मैं उसको बिना रुके हचक के चोदा.

दीदी के मुँह से लगातार ‘आह… आहहह…’ की आवाज निकल रही थी. तभी अचानक दीदी का शरीर अकड़ने लगा. मैं समझ गया कि दीदी झड़ने वाली है. थोड़ी ही देर में दीदी की चुत से पानी निकल गया. मैं अभी भी दीदी को चोद रहा था. थोड़ी देर में दीदी फिर से जोश में आ गई और चुत की रगड़ाई करवाने लगी.

कुछ देर बाद मैंने दीदी से कहा- दीदी मैं जाने वाला हूं.
दीदी ने कहा- आह… मेरी चुत में ही धार मार दे… मैं तेरे माल को चुत में लेना चाहती हूं.

थोड़ी देर में दीदी और मैं दोनों साथ में झड़ गए.
दीदी मुझे चूमते हुए बोली- भाई तूने मेरी चुत चुदाई करके मेरी बरसों की प्यास बुझा दी. न जाने कब से अन्तर्वासना पर भाई बहन की चुदाई की कहानी पढ़ कर तेरे लंड से चुदने का मन बनाया हुआ था.

अब मुझे समझ आया कि दीदी का मन मेरे साथ चुदाई का क्यों बन गया था.

चुदाई के बाद अब भी हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए इधर उधर की बातें करने लगे. थोड़ी देर बाद हम दोनों फिर से चुत चुदाई के लिए तैयार हो गए. हम दोनों ने फिर से चुत चुदाई का खेल शुरू किया.

उस रात हम दोनों ने चार बार चुदाई की और फिर कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

इसके बाद तो जब तक मम्मी वापस नहीं आईं, हमारा चुदाई का खेल भाई बहन का सेक्स चलता रहा और अभी भी चल रहा है. मैंने दीदी की गांड को भी चोदा है.

आपको हम सगे भाई बहन की चुदाई की कहानी पढ़कर मजा आ रहा हो तो प्लीज़ मुझे ईमेल करें.
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