चूत एक पहेली -21

(Chut Ek Paheli-21)

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अब तक आपने पढ़ा..

पूजा- अरे तू क्या बोल रही है विदेशों में तो ये आम बात है.. माँ-बेटा बाप-बेटी और भाई-बहन सब आपस में सेक्स करते हैं।
पायल- हाँ.. पता है पता है.. मैंने कभी ऐसी फिल्म देखी नहीं.. मगर पता सब है.. तू आगे बता.. उसके बाद क्या हुआ?

अब आगे..

पूजा- अरे होना क्या था.. मैंने ऐसा कभी नहीं देखा था.. उस समय मेरे लिए वो बहुत बड़ी बात थी। एक भाई अपनी बहन के साथ ऐसा कैसे कर सकता है..

बस सीन शुरू हो गया वही चूसना-चाटना और मेरा भाई उनको बड़े गौर से देखता हुआ बड़बड़ाने लगा- उफ्फ.. क्या जालिम जवानी है यार.. ये विदेशियों का अच्छा रिवाज है.. घर में ही मज़ा मिल जाता है.. काश..
इतना बोलकर वो चुप हो गया और मेरी तरफ़ देखने लगा।

मैंने जल्दी से आँखें बन्द कर लीं..
अब वो मेरे बालों में हाथ घुमाने लगा और बोलने लगा- पूजा तुझ पे मेरी बहुत पहले से नज़र है.. तू दिन पर दिन कयामत बनती जा रही है.. तेरे ये कोमल होंठ चूसने का दिल करता है.. मगर ये रिश्ता मुझे रोक देता है। प्लीज़ आज मौका मिला है.. मुझे माफ़ करना.. आज तो तेरी जवानी का मज़ा लूट कर ही दम लूँगा.. चाहे कुछ भी हो जाए..

उसकी बात सुनकर मेरा जिस्म काँपने लगा कि भाई ये क्या बोल रहा है.. कहीं वो कुछ कर ना दे..?!!
वो धीरे-धीरे मेरे होंठों पर उंगली घुमाने लगा।

पायल- ओ माय गॉड.. तेरा भाई ऐसा कैसे कर सकता है.. छी: छी: छी: उसको ज़रा भी शर्म नहीं आई?
पूजा- मेरी जान, यह जवानी होती ही ऐसी है.. जब लौड़ा खड़ा होता है.. तो उसको बस चूत ही चूत और चुदाई ही चुदाई दिखाई देती है। वो किसी रिश्ते को नहीं मानता.. समझी.. अब चुपचाप आगे सुन कि उस रात मेरी जिंदगी में क्या क्या बदलाव हुआ।
पायल- मुझे नहीं सुनना ऐसी गंदी बात.. जिसमें भाई ही अपनी बहन के साथ इतना गंदा काम कर रहा हो..

पूजा- अरे सुन तो ले.. बहुत मजेदार बात है.. तू खुद समझ जाएगी ये सब एक जुनून था बस..

पायल ने कुछ सोचा और उसके बाद ‘हाँ’ में सर हिला दिया और पूजा दोबारा शुरू हो गई- यार मेरी हालत खराब हो गई.. भाई तो धीरे-धीरे मेरे गले से होते हुए टी-शर्ट के अन्दर हाथ डालने लगा था।
अब मेरी साँसें तेज हो गई थीं.. भाई का हाथ मेरे मम्मों पर आ गया और वो उनको छूने लगा। मुझसे रहा नहीं गया और में झटके से बैठ गई- भाई ये क्या कर रहे हो आप?

पुरु घबरा गया.. जल्दी से उसने अपना लौड़ा अन्दर किया और लैपटॉप को भी बन्द कर दिया।

पुरु- ववव..वो एमेम.. मैं कुछ नहीं.. तू सो जा.. मुझे नींद नहीं आ रही..
पूजा- आप झूट बोल रहे हो.. मैंने देखा आप क्या देख रहे थे और मेरे यहाँ हाथ लगा रहे थे..
पुरु- क्या देख रहा था? मैंने कहाँ हाथ लगाया.. वो तो बस में देख रहा था कि तेरी टी-शर्ट ऊपर थी.. मैंने ठीक की बस..
पूजा- भाई आप झूट मत बोलो.. मैंने सब देख लिया है। मैं कब से जाग रही हूँ और वो मूवी भी देख रही हूँ.. समझे..!

पुरु- ओह.. तो यह बात है.. तू भी भाई बहन की चुदाई को देख मज़ा ले रही थी और मैं तुझसे ऐसे ही डर रहा था।
पूजा- भाई ऐसा कुछ नहीं है.. मैं बस ये देख रही थी कि आप किस हद तक जाते हो.. छी: अपनी बहन के साथ आपने ऐसा करने की सोची कैसे?
पुरु- बस बस.. मुझे और जलील मत करो.. मैं वासना के भंवर में फँस गया था और मैं क्या कोई भी ऐसे मौके पर बहक सकता है।

पूजा- नहीं ये झूट है.. मैं तो नहीं बहकी भाई.. मैंने भी सब देखा है!
पुरु- ऐसे नहीं मेरे साथ बैठ और फिर देख क्या होता है?
पूजा- ठीक है चालू करो दोबारा से..

पायल ने बीच में टोकते हुए कहा- यार तू पागल है क्या.. ऐसे कैसे हाँ.. कह दी तूने?
पूजा- अरे यार उस समय पता नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने हाँ..कह दी बस..
पायल- अच्छा फिर क्या हुआ?

पूजा- होना क्या था.. भाई ने मूवी चालू कर दी और बस हम दोनों देखने लगे और धीरे-धीरे मेरा जिस्म गर्म होने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी.. मगर मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोके बैठी रही ताकि भाई को कुछ शक ना हो.. जब हालत काबू से बाहर हो गए.. तो मैंने चिल्ला कर कहा ‘बस बहुत हो गया.. अब बन्द करो देखो मैं नहीं बहकी ना..’

पुरु- झूट मत बोलो.. तेरी हालत मुझसे छुपी नहीं है.. अपनी चूत खोल कर दिखा.. कैसे गीली हो रही है?
पूजा- भाई आपको शर्म नहीं आती.. ऐसा बोलते हुए?
भाई ने मेरी टाँगें पकड़ी और पैन्टी के साथ बरमूडा खींच कर निकाल दिया। मैं कुछ समझ पाती.. इसके पहले उनका हाथ मेरी चूत पर था..
पुरु- उफ़फ्फ़.. तेरी चूत है या जलता तवा.. देख कितनी गर्म है और पानी-पानी हो रही है..
पूजा- भाई का हाथ चूत पर लगते ही मेरी सोई अन्तर्वासना जाग गई.. मैं पागल हो गई। एक तो उस मूवी का असर और अब भाई की ये हरकत.. मेरी आँखें मज़े में बन्द हो गईं.. मैं बहुत कुछ बोलना चाहती थी.. मगर भाई ने अपने गर्म होंठ मेरी चूत पर रख दिए और चूत को चाटने लगे।
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पायल- छी: छी: बन्द करो यह बात, मेरा दिल बेचैन हो गया.. कैसे तुम राज़ी हो गईं.. तेरा भाई तो पक्का हरामी निकाला.. अपनी ही बहन के साथ छी:..
पूजा- अरे क्या हुआ.. मज़ा नहीं आया क्या अरे चुदाई का सीन बताती हूँ न.. ज़्यादा मज़ा आएगा कि कैसे मेरे भाई ने मेरी चूत की सील तोड़ी!
पायल- नो.. अब कुछ मत बोलना.. मुझे ऐसी घटिया बात नहीं सुननी.. जिसमें भाई और बहन सेक्स करें.. ओके बाय मैं जा रही हूँ।

पूजा- अरे साफ-साफ क्यों नहीं कहती.. कि तेरी चूत गीली हो गई है और तुझसे सहन नहीं हो रही.. ज़्यादा सीधी बन कर रहेगी तो लौड़े के लिए तरसती रहेगी। समझी किसी ना किसी को पटा ले.. वो तेरी चूत की आग मिटा देगा।
पायल- नो वे.. मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं होगा.. समझी.. मुझे नफ़रत है सेक्स से ओके..
पूजा- मेरी जान तू झूट बोल रही है.. अगर तू पूरी बात सुन लेगी तो तेरा मन भी चुदने का करेगा.. इसी डर से तू भाग रही है ना..
पायल- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. बस मुझे ये सब गंदा लग रहा है..

पूजा- अरे बहाना मत बना.. भाई मेरा.. चूत मेरी.. तुझे क्या दिक्कत है सुनने में बोल?
पायल- तू नहीं समझेगी.. चल अब बता दे पूरी बात.. वैसे मुझे कुछ फ़र्क नहीं पड़ने वाला.. ओके।
पूजा- अच्छा अच्छा.. तुझे फ़र्क पड़े या ना पड़े.. मगर तू सुन लेगी तो मैं समझूँगी.. तू डरी नहीं.. ओके.. अब आगे का हाल सुन..

भाई लगातार अपनी जीभ की नोक से मेरी चूत के दाने को छेड़ रहे थे और मैं हवा में उड़ रही थी।
पायल- छी: तू भी शरीफ़ होने का नाटक कर रही थी.. भाई से चटवाते हुए शर्म नहीं आई तुझे?
पूजा- देख तू ऐसे बीच में बोलेगी.. तो कहाँ मज़ा आएगा। अब उस रात जो हुआ सब विस्तार से बता रही हूँ.. बीच में कुछ ना बोलना ओके..

पायल ने ‘हाँ’ कहा और पूजा शुरू हो गई जैसे उस रात हुआ वैसे ही उसने पूरा किस्सा कह सुनाया।
पुरु- उफ़फ्फ़ पूजा तेरी चूत कितनी टेस्टी है.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. चाटने में आह्ह.. उफ्फ…
पूजा- भाई मेरी चूत में लगे थे और.. आह्ह.. ईसस्स नहीं.. भाई आह्ह.. ये गलत है आ ऐसा मत करो ना प्लीज़ आह्ह..

पुरु- अब ये झूट मूट का नाटक मत कर.. तुझे पूरा मज़ा आ रहा है फिर भी ‘ना’ कह रही है। चल पूरी नंगी हो जा.. आज तुझे ऐसा मज़ा देता हूँ कि पूरी जिदगी याद करोगी मुझे..

भाई ने मेरे पूरे कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया.. उसका लौड़ा एकदम तना हुआ था.. जिसे देख कर मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी।
पुरु- अरे वाह तेरे मम्मे तो बड़े मस्त हैं एकदम छोटे शान्तरे जैसे.. ला ज़रा इनका भी रस पिला दे मुझको आह्ह.. क्या कड़क हैं तेरे मम्मे.. आज तो मज़ा आ गया।
पूजा- नहीं भाई.. ये तो छोटे अमरूद हैं इन्हें सेब बना दो.. सब यही कहते हैं।

पुरु- अरे मेरी जान.. तू बस देखती जा.. मैं क्या-क्या बनाता हूँ।
पुरु मेरे जिस्म के साथ खेलने लगा.. वो बहुत मज़े से कभी मेरे मम्मों को दबाता कभी चूसता.. मेरी चूत में झनझनाहट होने लगी थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे जिस्म का सारा खून वहाँ जमा होकर बाहर निकलना चाहता हो।

पूजा- एयेए आह.. इसस्स.. भाई आह्ह.. नीचे करो ना.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है आह्ह.. उइ.. आह्ह..
मेरी सिसकारियों को समझते हुए पुरु ने जल्दी से मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया.. उसी पल मैं झड़ गई।

पुरु ने रस मलाई की तरह मेरा सारा पानी चाट-चाट कर चूत को साफ कर दिया, अब मैं निढाल सी बिस्तर पर लेटी हुई थी।

पुरु- क्यों मेरी प्यारी बहना.. मज़ा आया ना.. इसे कहते है प्यार का खेल.. अब आगे-आगे देख तुझे कैसे मज़ा देता हूँ।
पूजा- भाई ये सब सही है क्या?

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको हिन्दी सेक्स कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी चुदाई कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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