पत्नी बन कर चुदी भाभी और मैं बना पापा

Patni Ban kar Chudi Bhabhi, Mai Bana Papa
हैलो दोस्तो, आपके लिए मैं अपनी पहली कहानी आया हूँ मुझे यकीन है कि आप सबको पसंद आएगी।
ये कहानी मेरी भाभी की और मेरी है भाभी का और मेरा नाम कहानी में बताऊँगा।

आपको ज्यादा बोर नहीं करता हुआ सीधा कहानी पर आता हूँ।

दोस्तों मेरा नाम नरेश है और मैं अभी बी.कॉम. का स्टूडेंट हूँ। मैं गुजरात के छोटे से गाँव में रहता हूँ। मेरे घर में मम्मी-पापा, भाई, भाभी और मैं.. हम पांच लोग रहते हैं।

मेरे मम्मी-पापा हमारे खेतों में ही काम करते हैं भाई एक कंपनी में काम करता है.. भाभी गृहणी हैं.. उनका नाम था प्रिया है।

बात उस समय की है जब मैंने 12 वीं की परीक्षा दी थी और परिणाम का इन्तजार कर रहा था।

एक दिन रात को हम सब खाना खा रहे थे.. तभी पापा ने कहा- अगर तू 12वीं पास हो गया तो मैं तुझे बाइक ला दूँगा।

भाई ने कहा- मैं भी तुझे अच्छा सा मोबाइल फोन गिफ्ट में दूँगा।

मम्मी ने कहा- और कुछ चाहिए हो तो मुझे बोलना..

मैं बहुत खुश हुआ.. फ़िर हम सब खाना खा कर अपने-अपने कमरों में जाने लगे और भाभी बर्तन धोने लगीं। मैं उधर ही बैठ कर टीवी देखने लगा।

फ़िर थोड़ी देर बाद भाभी अपने कमरे की तरफ़ जा रही थी, तभी मैंने उनको रोक कर पूछा- सब लोग मुझे गिफ्ट में कुछ न कुछ दे रहे हैं.. आप मुझे क्या दोगी?

तभी भाभी ने कहा- आपको जो लेना हो वो मुझसे माँग लेना.. मैं दूँगी।

मैंने कहा- प्रोमिस?

तो उन्होंने कहा- पक्का प्रोमिस..

फ़िर परिणाम आया और मैं पास हो गया।

अब मैंने कॉलेज ज्वाइन किया।

फ़िर एक दिन मैं कॉलेज से घर आया तो भाभी कपड़े धो रही थीं।

मुझे देख कर भाभी ने कहा- आ गए देवर जी..

फ़िर भाभी मुझे खाना देने के लिए खड़ी हुईं तो मैंने देखा कि भाभी तो एक पटाखा माल दिख रही थीं.. क्योंकि भाभी का पूरा बदन पानी से भीगा हुआ था और उनके शरीर से उनके कपड़े चिपक गए थे।
इस समय वो बिल्कुल sunny leone सी कामुक लग रही थीं।

मैंने भाभी को पहली बार ऐसी नजरों से देखा था.. तभी से मेरे मन में भाभी को चोदने का ख्याल आया।

उस दिन मैंने बड़े ही ध्यान से उनका जिस्म निहारा.. उनका फिगर लगभग 32-28-32 का होगा।

भाभी जब रसोई में जाने लगीं तो मैं उनकी मटकती गान्ड को देखने लगा। तभी भाभी पीछे देखा और मुझे देख कर पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो?

मैंने सकपका कर कहा- कुछ नहीं..

फ़िर मैं खाना खाने लगा और टीवी देख रहा था।

आज मैं एक मूवी लाया था.. उसका नाम था Ba Pass.. जो मेरे दोस्त ने दी थी। तो मैं DVD को चला कर देखने लगा।

प्रिया भाभी भी मूवी देखने लगीं।

उसमें पहला सीन आया कि लड़के की मौसी उस लड़के को अपनी सहेली के पास भेजती है और फ़िर उसमें चुदाई के सीन आने के डर से मैंने टीवी बंद कर दिया।

तो भाभी बोली- चलने दो न.. देवर जी..

मैंने कहा- वो अच्छा सीन नहीं है।

फ़िर भी भाभी ने कहा- मुझे देखना है।

मैंने फिल्म फिर से चला दी।

उसमें लड़का चुम्बन करने लगा और चुदाई भी करने लगा।

फ़िर भाभी ने मेरी ओर देखा और मुस्कुरा दिया.. उन्होंने मुझे छेड़ना शुरू कर दिया।

भाभी- देवर जी आप की कोई गर्लफ्रेंड है?

मैं- नहीं..

भाभी- क्यों नहीं है.. आप तो दिखने में भी अच्छे और स्मार्ट हो.. फ़िर क्यों नहीं है?

मैं- कोई पसंद ही नहीं आई।

भाभी- आपको कैसी चाहिए?

मैंने कह ही डाला कि आप के जैसी..

भाभी शर्मा कर बोली- ठीक है.. मैं मेरी जैसी ढूँढूगी.. ठीक है।

मैं- हाँ और अगर नहीं मिली तो?

भाभी- तब की तब सोचेंगे।

मैं- ठीक है मैं आप को 30 दिनों की मोहलत देता हूँ।

भाभी- ठीक है।

हम फ़िर सोने जा ही रहे थे कि फोन आया कि भैया का एक्सिडेंट हुआ है और वे हस्पताल में भर्ती हैं।

मैं तुरन्त भाभी को लेकर हस्पताल गया.. गाँव से शहर 35 किलोमीटर दूर है..

जैसे ही हम अस्पताल पहुँचे तो मालूम हुआ कि भैया को पैर में चोट लगी थी और आपरेशन होना था।

भाभी मुझसे लिपट कर रोने लगीं और मुझे मजा आने लगा। तभी मम्मी-पापा भी आ गए।

मैंने भाभी को हाथ फेर कर शान्त किया और मैंने खुद को भी सम्भाला।

फ़िर डॉक्टर ने बताया कि एक महीने तक अस्पताल में ही रुकना पड़ेगा।

पापा ने कहा- मैं और तुम्हारी मम्मी रुकते हैं तुम दोनों घर जाओ..

ऐसे ही 25 दिन गुजर गए.. सब कुछ सामान्य हो चला था।

मैंने भाभी से कहा- मेरी शर्त याद है ना?

भाभी- मेरे जैसी तो नहीं मिलेगी।

तो मैंने उनकी आँखों में आँखें डाल कर कह ही दिया- नहीं मिलेगी का क्या मतलब.. आप तो हो।

भाभी ने मेरी नजरों को भांपा और बोली- सोचेंगे।
पांच दिन बाद भाभी को मैंने फिर बोला.. तो भाभी ने कहा- ढूँढ़ ली लेकिन तुम्हारे भैया को आज घर लेकर आना है।

तभी खबर आई कि डॉक्टर ने भैया को और पांच दिन हस्पताल में रुकने को कहा है।

फ़िर पापा ने कहा- तुम दोनों घर जाओ..

मैं भाभी को बाइक पर बिठाया.. तो मैंने गौर किया कि भाभी आज मुझसे चिपक कर बैठी थीं। मुझे मजा आ रहा था।

मैंने कहा- ऐसे मत बैठिए.. लोग आप को मेरी बीवी समझेंगे।

भाभी- मैं तेरी पत्नी ही हूँ।

मैंने- क्या सही में भाभी?

भाभी- हाँ.. अब मेरी जैसी नहीं मिली तो अब तो मैं ही तेरी हूँ।

मैंने- भाभी पता है ना.. कि पति क्या करता है?

भाभी- हाँ सब मालूम है.. आज हमारी सुहागरात है।

मैंने- सही में?

भाभी- हाँ..

फ़िर हम लोग घर पहुँच गए।

भाभी ने खाना बनाया फ़िर खाना खाने के बाद मैंने कहा- अब सुहागरात मनाते हैं।

भाभी ने कहा- थोड़ी देर इंतजार करो।

मैंने कहा- ठीक है।

भाभी ने कहा- जब तक तुम बाहर हो आओ।

फ़िर जब मैं थोड़ी देर बाद कमरे में गया.. तो पूरा कमरा सजाया हुआ था और भाभी दुल्हन के जोड़े में बैठी थीं।

फ़िर मैं भाभी के पास गया और घूंघट उठाया.. तो भाभी रो रही थीं।

मैं- आप क्यों रो रही हो?

भाभी- देवर जी सब लोग मुझे बांझ बोलते हैं.. मेरी शादी को तीन साल हो गए हैं.. फ़िर भी मैं माँ नहीं बन पाई हूँ.. इसलिए मुझे सब लोग बांझ बोलते हैं.. सासू माँ भी ऐसा ही कहती हैं जबकि तुम्हारे भैया का खड़ा ही नहीं होता… अब उसमें मेरी क्या गलती है?

मैं- भाभी आप रो मत.. मैं सब ठीक कर दूँगा।

ऐसा बोल कर मैंने भाभी को चुम्बन करना शुरू कर दिया…

तकरीबन मैं दस मिनट तक उसे चूमता रहा और ब्लाउज के ऊपर से मम्मे सहलाता रहा..
और एक हाथ अन्दर डाल कर मैंने उसके निप्पल को दबाया तो भाभी चिहुंक उठी..

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फ़िर मैंने ब्लाउज खोला और ब्रा भी उतार दी।
उनके मस्त मम्मे उछल कर बाहर आ गए।

मैंने मम्मों को खूब मींजा और एक मम्मे को मुँह लगा कर पीने लगा..
मुझे बहुत नशा सा हो रहा था..बीच-बीच में तो मम्मों को काट भी लेता था।
चूची काटने पर भाभी चीख पड़ती थी पर उसको भी खूब मजा आ रहा था।
वो गरम हो चली थी..

अब मैंने साड़ी निकाली.. फ़िर उसका घाघरा और पैन्टी भी निकाल दी।

भाभी की चूत एकदम सफाचट थी.. उस पर एक भी बाल नहीं था।

बिना झांट वाली चूत देख कर मैं पागल सा हो उठा था।

फ़िर मुझसे रहा न गया और मैं चिकनी चूत को सहलाने लगा।

तभी एक ऊँगली चूत में डाली तो भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी- आहह.. मर गई.. ओहह.. देवर जी.. ऐसे ही सहलाते रहो.. खूब मजा आ रहा है ओहह.. माँ.. मजा आ रहा है.. हे भगवान.. स्वर्ग में हूँ।

मैं लगातार चूत में ऊँगली पेलता रहा..
तभी भाभी झड़ गई.. और सारा रस मेरी ऊँगली में लग कर बहने लगा।

फ़िर भाभी ने मेरे कपड़े उतारे और मेरा खड़ा लंड देख कर उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

मैं- क्या हुआ भाभी?

भाभी- कितना बड़ा है आप का..

मैं- क्या?

भाभी शर्मा रही थीं..

लेकिन मैंने कहा- अपने पति से शर्म कैसी?

भाभी- लल..ल्ल्ल..लंड..

मैं- आपके लिए ही तो है।

भाभी- सच में?

मैं- हाँ भाभी।

फ़िर उन्होंने मेरा लन्ड चूसना शुरू किया।
करीबन 15 मिनट तक वे चूसती रही और मैं झड़ने लगा, भाभी मेरा सारा माल पी गईं।
थोड़ी देर हम लेटे रहे फ़िर भाभी ने लंड सहलाना शुरू किया और लौड़े को खड़ा किया।

फ़िर भाभी ने टाँगें चौड़ी की और मैंने छेद पर निशाना लगाया.. एक धक्का मारा.. तो अभी थोड़ा सा ही अन्दर गया कि भाभी चिहुंक उठीं..

भाभी ने कहा- तुम्हारे भैया का छोटा होने के कारण.. मेरी चूत कसी हुई है.. मैं चीखूँ या चिल्लाऊँ.. तुम रुकना मत..

मैंने कहा- ठीक है..

फ़िर मैंने दूसरा धक्का मारा तो मेरा आधा लन्ड अन्दर जा चुका था और भाभी की आंखों से आंसू निकल रहे थे।

फ़िर मैंने आधे लन्ड से ही चुदाई शुरू कर दी।

भाभी को मजा आने लगा और फ़िर एक जोर से धक्का मारा तो थोड़ा सा लन्ड ही बाहर रह गया लेकिन भाभी चीखने लगीं और मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगीं।

फ़िर देर ना करते हुऐ मैंने एक और धक्का मार दिया..
भाभी रोने लगीं और मुझे रुकने को कहने लगीं.. तो मैं रूक गया।

फ़िर भाभी के आंसुओं को पोंछने लगा और उन्हें चुम्बन करने लगा।

फ़िर थोड़ी देर भाभी बाद नीचे से अपने चूतड़ों को हिलाने लगीं..
तो मैं भी धक्के मारने लगा और भाभी सिसकारियाँ भरने लगीं- ऊओहह.. आहह.. माँ.. मजा आ रहा है उई ममममाँ और जोजओरसे देवर जी..
मैं धकापेल चुदाई करता रहा..
करीब बीस मिनट तक चोदने के बाद मैं भाभी अकड़ गईं जबकि वो दो बार पहले ही झड़ चुकी थीं..
पर अबकी बार उनके रज की गर्मी ने मुझे भी पिघला दिया और मैं भी झड़ने ही वाला था।

मैंने कहा- मेरा माल निकलने वाला है।

भाभी ने कहा- अन्दर ही छोड़ दो राजा.. कब से तरस रही हूँ।

फ़िर मैं चूत में ही झड़ गया और भाभी के ऊपर लेटा रहा।

मैं उन्हें प्यार से चुम्बन करने लगा।
फ़िर मैं खड़ा हुआ.. भाभी को उठने में दिक्कत हो रही थी.. तो मैंने सहारा दिया।

भाभी की चूत सूज गई थी और खून भी निकला था।
हम बाथरूम में गए और उन्होंने मुझे साफ़ किया.. मैंने उनको साफ़ किया.. फ़िर वापस आकर फ़िर चुदाई की..

इन पांच दिन हमने बहुत चुदाई की और इसी बीच बाजार से मैंने एक लॉकेट भी लाकर भाभी को पहनाया और भाभी ने मंगलसूत्र समझ कर पहन लिया..
मैंने उनकी माँग में सिन्दूर भी पूर दिया था और भाभी ने अगले महीने एक दिन बताया कि वो मुझे तोहफा देने वाली हैं।

मैंने पूछा- क्या तोहफा?

तो उन्होंने बताया- मैं माँ बनने वाली हूँ।

भाभी आज भी मुझे अपना पति मानती हैं और हम जब भी मौका मिलता.. हम खूब चुदाई करते हैं।

भाभी के प्रसव होने पर भाभी की बहन आई थी.. जो मुझे बेहद पसंद थी.. मैंने भाभी को बताया कि वो मुझे बहुत पसंद है।

भाभी ने कहा- ठीक है.. तेरी इससे शादी करवा दूँगी।

भाभी ने एक लड़के को जन्म दिया और मेरी मंगनी भाभी की बहन वर्षा के साथ हो गई है..
वो कहानी फिर कभी लिखूँगा।
आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे ईमेल जरूर कीजिएगा।

 

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