मतवाला देवर राजू और भाभी की चुदाई-4

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राजू ने मेरी बीवी यानि अपनी भाभी के मुझ की चुदाई करने की कोशिश में उसने एक बार जोर लगा कर लंड को पूरा नताशा के गले में उतार दिया, जिससे नताशा चकरा गई और मुश्किल से लंड को मुख से निकाल कर अपना गला पकड़ कर हांफने लगी, उसकी आँखों में आंसू आ गये और मुँह से लार टपकने लगी.

यह देख कर मुझे गुस्सा आ गया और मैंने राजू को डांट दिया और एक चपत लगा दी.
‘सॉरी भैया.. मैं होश खो बैठा था. आगे से ध्यान रखूँगा.’ राजू अपना गाल सहलाता हुआ रोआंसा होकर कहने लगा.

‘सॉरी बोल अपनी भाभी से.. वो इतनी महान देवी है कि शायद तुझे माफ़ कर दे!’ मेरे मन में अपनी पत्नी के प्रति सच्ची श्रद्धा उमड़ पड़ रही थी.
राजू ने पश्चाताप भरी आँखों से नताशा की तरफ देखा तो वो टूटी फूटी हिंदी में बोली- थिक हे, अब मेरे नाजूक मू को धिरे धिरे थोरा थोरा दक्के मारना!

राजू ने जल्दी से नताशा की हथेली को अपने हाथों में ले कर चूम लिया और वादा करने लगा- भाभी, अब गलती नहीं करूँगा, सिर्फ एक मौका और दे दो!

‘अनाड़ी का चोदना.. चूत का सत्यानाश!! चल ठीक है, अब ध्यान रखना!’ मैंने वातावरण को हल्का करने की गरज से डायलोग मारा, और फिर नताशा को उसका रूसी में अनुवाद करके बताया तो वो खिलखिला कर हंस दी, और फिर अचानक हंसी को ब्रेक लगा कर बोली- चूत का नहीं, मुंह का सत्यानाश!!!

इस बार गंभीर बना बैठा राजू भी अपनी हंसी नहीं रोक पाया और जोर से हंस पड़ा. निश्छल नताशा अपना गुस्सा भूल कर देवर की हंसी में साथ देने लगी तो मैं भी सबका साथ देते हुए हँसने लगा.
वातावरण दोबारा मस्त बन पड़ गया, तो नताशा ने थोड़े गुमसुम राजू के लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए कहा- माय डिअर अंकल माइक टाइसन.. अब जरा अपनी इस नन्ही सी बेटी पर दया कीजिए और तोरा दीरे-2 उसके मू को चोदिये!!!

सभी एक बार फिर से हंस पड़े, और हमारी हीरोइन ने शूटिंग चालू कर दी! ढीले पड़ चुके राजू के लौड़े को उसने अपनी जीभ, होठों से चूसना चालू किया तो जल्द ही उसने पुरानी कठोरता हासिल कर ली और वो तन्तनाते हुए छत की दिशा में सलामी मारने लगा!!
नताशा ने अपने ढीले हाथ से उसे नीचे को झटका तो छूटते ही वो किसी स्प्रिंग की भांति बिजली की रफ़्तार से वापस आसमान की ओर सलामी देने लगा!
‘वाउ.. क्या बात है! कितनी ताकत है हमारे राजू के लंड में!! हम बेकार ही बेचारे को डांट रहे है.. उसकी गलती थोड़े ही है.. ये तो उसका लंड ही जैक हैमर है तो वो बेचारा क्या करे!!! कोई बात नहीं राजू.. अब तुम मेरे सिर के पीछे खड़े होकर मेरे मुंह में अपने बॉक्सर की भड़ास निकाल लो..’ नताशा ने अब राजू को खुली छूट दे दी.

राजू ने डरी-डरी आँखों से मेरी तरफ देखा तो मैंने सहमति में सिर हिलाते हुए उसको आगे बढ़ने का इशारा किया.

राजू ने लंड को मेरी पत्नी के मुंह में ठेल कर धीरे-2 चोदना चालू किया. नताशा कराहते हुए उसके धक्कों का स्वागत करने लगी. कुछ धक्कों के बाद राजू के धक्कों की गति काफी बढ़ गई और वह मेरी बीवी की गर्दन पकड़ कर लंड को झटके के साथ उसके मुंह में उतारने लगा और लगभग पूरा लंड मेरी धर्मपत्नी के गले में समा गया!!
राजू ने धीरे-2 अपने विकराल लंड को पहले लड़की के गले, फिर मुंह, होठों से बाहर निकाला और नताशा कराह उठी, लेकिन बिना कोई शिकायत किए.

राजू ने एक बार फिर से लंड को मुंह पर दबाया और धीरे-2 अन्दर की ओर घुसेड़ने लगा. पूरा लंड, पकौड़े जैसे टोपे समेत नताशा के मुंह के अन्दर गायब हो गया, मुंह के बाहर सिर्फ उसके अंडे बच्चे ही दिख रहे थे!
मेरी प्रतिभावान पत्नी ने कितनी जल्दी अपने मुंह को दस इंची लंड के अनुरूप ढाल लिया था!!!!

इस बार राजू अपने दिल की पूरी भड़ास निकालते हुए अपने लंड को जड़ तक मेरी वाइफ के मुंह में ठेलता रहा. काफी देर बाद जब उसने लंड मुंह से बाहर निकाला, तो वो और भी विकराल नजर आ रहा था, जैसे रक्तरंजित चाकू से खून की बूंदें, उसके कातिल लंड से नताशा की लार टपक रही थी. उधर जैसे ही मेरा प्यारा छेद खाली हुआ, मैंने चित लेती हुई देवी रति के खुले मुंह में उसका क़ानूनी लंड घुसेड़ दिया!

मेरे विचार से उसके मुंह की इतनी चुदाई के बाद तो उसमें बिल्कुल भी ताकत नहीं बचनी चाहिए थी, लेकिन मुझे आश्चर्यचकित करते हुए नताशा ने पूरे जोशोखरोश से अपने पति के लंड को चूसना शुरू कर दिया.
मेरे मन में इस देवी के लिए सम्मान की ऊँची लहरें उठने लगी. शत-शत नमन रति देवी.. तूने आज प्यार की किताब में एक नया ही अध्याय लिख डाला! तेरे इस करतब के लिए दुनिया तुझे हमेशा याद रखेगी, पूजेगी!!

मैंने अपने सिर को झटक कर खुद को पारलौकिक दुनिया से बाहर निकाला और पूरे मनोयोग से अपनी देवी रति की अवतार पत्नी का मुंह चोदना जारी रखा. उधर राजू को दुनिया की सबसे सुन्दर चूत को चाटने का मौका मिल गया और वो इसका फायदा उठाते हुए जीभ से अपनी आदरणीया भाभी के छेदों को चोदने लगा.
अच्छी तरह से छेदों को अपनी जीभ से नर्म करने के बाद, राजू ने अपनी दो-2 उँगलियों को अपने भाई की पत्नी की गांड में घुसेड़ कर उसे रवां किया और फिर पहली बार भाभी की प्यासी चूत में अपना फनफनाता हुआ लंड घुसेड़ कर चोदना चालू कर दिया.

मेरा लंड भी नताशा के मुंह के अन्दर खूब तेज घर्षण के कारण बहुत गर्म हो चला था और मैं कामुकता के अधीन हुआ गैर मर्द के लंड को अपनी चूत में लिए लेटी अपनी पत्नी के मुंह को लपालप चोदे जा रहा था!
‘आआह.. ऊह..हाय.. मर गई! और जोर से चोदो मेरे राजा!! पूरा अन्दर तक डालो राजू.. तुम्हारा हथौड़े जैसा लंड मेरी ओवरी में ठोकर मार रहा है.. हाय.. आआह.. नताशा राजू की भयंकर चुदाई से मदहोश हुए जा रही थी- डियर राजू तुम घबराओ नहीं.. खूब जोर के धक्के लगाओ.. मजा आ रहा है.. आह.. चोदो मेरे राजा.. चोदो.. फाड़ दो मेरी चूत!

मेरे लंड से दुगने लम्बे और मोटे लंड को अपनी चूत में लेकर नताशा सातवें असमान के घोड़े पर सवार हुई सरपट दौड़े जा रही थी.
‘मेरा मन करता है कि तुम मुझे थोड़ी चोट पहुँचाओ.. मार-पिटाई नहीं, बस थोड़ा टार्चर.. समझते हो न?’ नताशा ने अपनी दिली इच्छा व्यक्त की.

राजू ने समझते हुए, पास में पड़ी अपनी बेल्ट उठाई, और उसका एक सिरा नताशा के गले में बांध कर दूसरे सिरे से झटके देते हुए उसकी चूत में धक्के मारने लगा. नताशा को इस खेल में बड़ा मजा आया और वो खूब जोर-2 से कराहते हुए चुदने लगी.

राजू ने अब चूत से लंड बाहर निकाल कर उसकी रवां की हुई गांड में पेल दिया और छोटे-2 धक्कों के साथ उसकी गांड को फैलाना शुरू कर दिया.
भाभी की चुदाई की यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैं सब कुछ देखता हुआ थोड़ा धीमा पड़ गया और एक हाथ से नताशा के बाल पकड़ कर अपने लंड के टोपे को उसके होठों से रगड़ने लगा.
राजू ने लंड बाहर निकाल कर थोड़े सूख चुके गांड के छेद पर थूक दिया और फिर दोबारा लंड को गांड के छेद पर पड़े थूक से गीला कर अन्दर घुसेड़ दिया. बायीं करवट लेती नताशा राजू के मूसल लंड से गांड मराती हुई मेरे लंड को गपागप चूसती रही. नताशा से पूरा परमिट प्राप्त किए राजू अब उसके चूतड़ों पर चपत लगाता हुआ, एक हाथ से बेल्ट से बंधी उसकी गर्दन को झटके मारता हुआ गधे जैसे लंड को मेरी पत्नी की गांड में बड़ी निर्दयता के साथ घुसेड़ रहा था.

उधर मैं अपने तने हुए लंड को अपनी भार्या के होठों के बीच रगड़ता हुआ हौले-2 उसके बालों को खींच रहा था.

कभी तेज, कभी धीमे धक्के लगाते हुए राजू का लंड लाल सुर्ख हो चुका था, साथ ही साथ नताशा की गुलाबी गांड भी… इस बार राजू ने अपना लंड बाहर निकाल कर उसे लेटी हुई नताशा के मुंह के सामने लाकर अपने अण्डों को पतली सी बेल्ट से लपेट लिया और दूसरे सिरे को नताशा के गले में लिपटा कर लंड बेचारी लड़की के मुंह में पेलना शुरू कर दिया.

उधर मैं अब नताशा की कमर के पीछे लेटा उसकी चूत मारने लग पड़ा था.

राजू एक घुटने के बल बैठ कर बेल्ट में लिपटे लंड को मेरी बीवी के मुंह में घुसेड़-2 कर खेलने लगा, तो मैंने भी छेद बदला और खुद की पोजीशन भी… अब मैं घुटनों के बल बैठा राजू का लंड चूसती अपनी बीवी की बायीं टांग आसमान में उठा कर उसकी गांड मारने लगा.

थोड़ी देर इसी पोजीशन में चुदाई करने के पश्चात् हमने पोज़ बदला और नताशा मेरी तरफ कमर करके मेरे लंड को अपनी गांड में लिये मेरी जांघों पर बैठ गई और राजू बिस्तर पर सीधा खड़ा होकर बाएँ हाथ से अपना तूफानी लंड पकड़े नताशा के अधखुले मुंह को चोदने लगा.

लड़की के गले में पड़ी पतली सी बेल्ट द्वारा उसकी गर्दन को झटकना वो नहीं भूलता था!!

थोड़ी देर बाद राजू ने लंड मुंह से बाहर निकाल कर मेरी ओर कमर की, मेरे लंड को अपनी गांड में पिलवा रही नताशा को बिना मेरा लंड बाहर निकलवाए, 180 अंश पर घुमाते हुए उसका चेहरा मेरे चेहरे की सीध में ला दिया.
अब मैं नीचे लेटा हुआ, मेरे ऊपर लेटी नताशा की गांड मार रहा था.

मुझे इस समय ऐसा अहसास हुआ कि राजू अब डबल एनल के चक्कर में है!! और सच.. राजू ने किसी सधे हुए अनुभवी चोदू सी पारंगता से अपना लंड गोरी मेम की गांड में कुरेदते हुए मेरे लंड की बगल में टिका कर मेरे धक्कों को स्थिर करते हुए अन्दर पेल दिया.
नताशा दर्द से कराहने लगी लेकिन उसने अपने आप को छुड़ाने का प्रयत्न नहीं किया.

राजू के 2-4 धक्कों के बाद ही नताशा के चेहरे का तनाव उसकी सदाबहार मुस्कान में बदल गया. मेरी पत्नी का चेहरा उस बिल्ली की याद दिलाने लगा, जिसको कड़ी मशक्कत के बाद मलाई की हांड़ी हाथ लगी हो.
राजू की पीठ के पीछे दीवार में लगे दर्पण में मुझे उसकी गांड के छेद में घुसे हम दोनों भाइयों के लंड साफ नजर आ रहे थे, मुझे अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था.. कैसे दो-2 लंड इतने छोटे से छेद में घुस गए!!

नीचे से ऊपर की ओर नताशा की गांड में घुसे मेरे लंड को सामने से काटता हुआ राजू का विकराल लंड उसी तड़पती हुई गांड के अन्दर निर्दयता से धक्के पर धक्के मारे जा रहा था. अपने बाएँ हाथ से मेरी पत्नी के दाएं चूतड़ को पकड़े हुए राजू का लोहा-लाट लंड कठोरता के साथ, खूब भिंच-2 कर संकरे गुदामार्ग को छिन्न-भिन्न करता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था.
नताशा के मुंह से ओह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह की मधुर ध्वनि कमरे में शास्त्रीय संगीत की भांति गूंजते हुए वातावरण को गुंजायमान कर रही थी.
साफ नजर आने लगा था कि डबल एनल मेरी पत्नी को खासा पसंद आ रहा था, और वैसे भी मेरी धर्मपत्नी कभी भी दकियानूसी ख्यालातों में विश्वास नहीं रखती, उसे प्रयोगात्मक सेक्स बहुत पसंद है, उसका कहना है कि लंड लेने में कभी कोई नहीं मरता, वो तो सिर्फ जिंदगी दे ही सकता है.. तो अलग-2 प्रकार के लंडों को अपने सभी छेदों में घुसवाने में क्या बुराई है!!!

काफी देर तक गांड में घुसे हमारे लंड चुदाई करते रहने के बाद, छोटी सी गांड को आराम देने की गर्ज से बाहर निकल आए और नताशा ने चैन की साँस ली, लेकिन ज्यादा देर तक वो आराम नहीं कर पाई क्योंकि इस बार पहले राजू ने अपना लंड वापस गांड में घुसेड़ा और पीछे-2 मैं अपनी जानेमन की चूत में घुस गया.
अब हम लोगों ने चुदाई की सबसे आसान शैली में डबल पेनीट्रेशन शुरू कर दिया था और सभी प्रतिभागी पूरे आराम के साथ चुदाई में तल्लीन थे. ये तीन लोगों, दो पुरुष+एक स्त्री द्वारा सामूहिक चुदाई की सबसे प्रचलित शैली है. इसमें एक आदमी आराम से कमर के बल लेट कर उसके ऊपर, अपने घुटनों के बल अधलेटी स्त्री की चूत मारता है, जबकि दूसरा पुरुष पीछे से या तो खड़ा होकर, या घुटनों के बल बैठ कर स्त्री की गांड मारता है!

इस पोज़ की खासियत है कि इसमें चोदने वाले पुरुषों की शक्ति कम खर्च होती है और वो जल्दी थकते नहीं है, और स्त्री के बारे में तो कोई संदेह ही नहीं क्योंकि उसे तो सिर्फ अपने घुटनों के बल पड़े रहना है, अपने खरबूजों को चाकुओं की नोक की सीध में रखे!

हम दोनों मजे के साथ काफी देर तक अपने-2 छेदों को चोदते रहे, फिर राजू ने मेरी वाइफ की गांड से अपना लंड बाहर निकाल लिया, साथ ही मैंने भी…
जवान राजू हँसता हुआ अपनी भाभी की गांड के छेद को फैला कर देखने लगा. मैंने शीशे में देखा तो मेरी दुबली-पतली पत्नी की गांड किसी सुरंग का मुंह नजर आ रही थी! उसकी गांड की अंदरूनी दीवारें सिकुड़ती-फैलती साफ़ नजर आ रही थी.

जब तक राजू गांड को फैलाए देख रहा था, मैंने गपाक से अपना लंड उसमें डाला, और राजू ने भी बिजली की फुर्ती से अपना भीषण लंड मेरे लंड के उर्ध्वाधर बेचारी लड़की की गांड में घुसेड़ दिया.
दो विपरीत दिशाओं से छोटी सी गांड में घुसते लंड नताशा के लिए बहुत आरामदायक स्थिति तो नहीं थी, इसी को देखते हुए मैंने राजू को ज्यादा आरामदायक पोज़ में आकर गांड मारने का आदेश दिया.
राजू ने अपना लंड निकाल कर खुद को थोड़ा पीछे खिसका लिया, उसके बाद पहले मैंने और पीछे-2 राजू ने नताशा की गांड में लंड पेल दिया. अब राजू को ज्यादा स्पेस मिलने के कारण वह बड़ी लहर के साथ लंड को मेरे लंड के लगभग समान्तर और सीधा रखते हुए गांड में घुसेड़ने में समर्थ हो गया और नताशा के चेहरे की चमक ने भी इस बारे में बता दिया था.

द्विगुदामैथुन के खेल में पारंगत होते हुए हम तीनों खिलाड़ी नई ऊँचाइयों को छूने में लगे हुए थे. अब तो हमें इतनी प्रैक्टिस हो चुकी थी कि बिना देखे ही पहली बार में सीधे निशाने पर पड़ रहे थे. मेरा लंड अधिकतम समय चुपचाप गांड में पड़ा रहता, और राजू का लंड सारी कसर निकालते हुए, बार्बी डॉल की गांड का भुरकस निकाल रहा था. मेरा लंड सिर्फ छोटे-2 धक्कों के साथ ही गांड में गतिमान था, जबकि राजू का गर्दभ लंड पूरी लहर, पूरे वेग के साथ गांड मारने में लगा था.

मेरी बीवी की गांड को लाल सुर्ख कर चुका राजू का लंड इस बार बाहर निकला तो पलंग का पूरा चक्कर काट कर सिराहने पहुँच कर मेरी धर्मपत्नी के मुंह में घुस कर ही रुका.
मैं तो अपनी रानी की गांड मारने में लगा ही हुआ था जबकि राजू ने फिर से पतली बेल्ट उठा कर नताशा की गर्दन और अपना लंड उसके सिरों के गिर्द लपेट कर झटकेदार मुखमैथुन शुरू कर दिया.
काफी देर तक अपना मूसल लंड चुसाने के बाद राजू संग हम नताशा के चूतड़ों के पीछे पहुँच गए और कुतिया बन कर घुटनों के बल लेटी नताशा की पीछे को उभरी चूत में मैंने अपना लंड ठेल दिया.
आविष्कारी राजू भी कम न था, उसने किसी तरह नताशा की कमर के ऊपर स्थान बना कर खड़ा होते हुए अपना लंड उर्ध्वाधर स्थिति में मेरी प्राणप्यारी पत्नी की गांड में घुसेड़ दिया. तकलीफ देय स्थिति में खड़े होकर चुदाई करने के कारण अब राजू अपने लंड को पूरा अन्दर-बाहर नहीं कर पा रहा था और सिर्फ इंच-2 ही गोरी की गांड में ठोक रहा था जबकि मैं आराम के साथ अपना पूरा लंड जड़ तक अपनी पत्नी की चूत में घुसेड़ता हुआ बाहर निकाल रहा था.

काफी देर तक इसी प्रकार चुदाई चलती रही, फिर नताशा को सांस देने के लिए हम रुके, और मैंने मौके का फायदा उठाते हुए राजू के लंड द्वारा भक्काड़ा हो चुकी गांड को कब्जाते हुए उसमें लंड घुसेड़ दिया. लेकिन जंगली हो चुके राजू के लिए ये कोई दुःख की बात साबित नहीं हुई, उसने मेरे लंड के ऊपर से अपना भीषण लंड उसी गांड में पेल दिया!

अब राजू ऊपर खड़ा होकर गांड पर पूरा अधिकार जमाए हुए था, मेरा लंड कमजोर पड़ कर सांझी गांड से फिसल पड़ रहा था जिसे मैं दोबारा मशक्कत कर किसी तरह गांड में फिट कर पा रहा था.
आखिरकार थोड़ी देर के लिए गांड से बाहर निकले राजू के लंड के बिना मैंने अपनी धर्मपत्नी की गांड का स्वाद लिया और बाहर निकालते ही राजू गपाक से अन्दर घुस गया. अब मैंने भी सोचा कि ऐसे तो काम नहीं बनेगा, और मुझे भी राजू की तरह ही अपना लंड उसके लंड के साथ ही अपनी बीवी की गांड में घुसेड़ना पड़ेगा! तभी राजू ने पोज़ बदलते हुए नीचे लेट कर नताशा को अपने ऊपर लिटा लिया, और नीचे से गांड मारने लगा. मैंने सामने खड़ा होकर राजू के लंड के ऊपर से अपना लंड अपनी पत्नी की गांड में घुसेड़ दिया.

अपने होठों को चबाती नताशा हमारे लंडों को अपनी गांड में पिलवाने लगी, फिर मैंने पोज़ बदलते हुए लंड को काफी देर से खाली पड़ी चूत में डाल दिया.

अभी नताशा ठीक से खुश भी नहीं हो पाई थी कि मैंने दोबारा से अपना लंड राजू के लंड से भरी गांड में शिफ्ट कर दिया. अब तो मुझे इस खेल में मजा आने लगा, और मैं एक बार लंड को गांड में, एक बार चूत में पेलने लगा. मेरी सुन्दर पत्नी अपनी मुस्कुराती आँखों से मुझे देखते हुए सिस्कारियां भरती रही.

हम दोनों दोस्त काफी देर तक मेरी पत्नी की चूत-गांड मारते हुए बीच-2 में थोड़ा सा आराम करने को रुकते और फिर दोबारा शुरू हो जाते.

नताशा काफी देर तक मेरे लंड को अपनी गांड में डलवाए बैठी रहकर सामने से राजू के भसंड लंड से अपनी चूत मरवाती रही. अब उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि गांड में दूसरा लंड कभी भी आकर घुस जाता था!
इस समय उसकी गांड का वास्तविक भोसड़ा बन चुका था, और वो खुश थी.

काफी हद तक थक चुका राजू अब आराम से पलंग पर निढाल पड़ा अपनी भाभी से अपना लंड चुसवा रहा था, मैं कभी उसकी भाभी की चूत मारने, तो कभी गांड मारने में लगा हुआ था.

कुछ देर बाद राजू उठकर मेरे पास आ गया और हम दोनों पंक्तिबद्ध रूप से कभी नताशा की गांड, तो कभी चूत मारने में लग गए.

इतनी भयानक चुदाई के बाद हमारे लंड और गोरी लड़की की गांड और चूत सुर्ख लाल हो चुके थे, आखिर हमें चुदाई करते हुए काफी समय बीत चुका था!
अब हम झड़ने को तैयार हो चुके थे, नताशा तो अब तक कई बार झड़ चुकी थी.

अब हम दोनों भाइयों जैसे दोस्तों ने एक आखिरी बार नताशा का मुंह चोदने का फैसला किया, पहले मैंने अपनी बीवी के मुंह में अपना लंड डाल कर उसे चोदना चालू किया ही था कि राजू भी अपना लंड लेकर उसके मुंह में घुसने को उतावला हो उठा.

इस समय हम दोनों के ही लंड फट पड़ने को हो रहे थे, हमारी प्रेमिका ने समझते हुए दोनों हाथों में हमारे लंड पकड़ कर चूसने शुरू कर दिए.

मैं झड़ने लगा, मेरे लंड से निकलने वाले वीर्य ने नताशा का चेहरा ढक दिया, कुछ बूंदें उसके मुंह के अन्दर भी नजर आ रही थी..
इसके तुरंत बाद राजू के लंड ने भी कुल्ले करने शुरू कर दिए, और उसका इतना वीर्य निकला कि कप भर जाता!

उसने झड़ते हुए लंड को हालाँकि मेरी पत्नी के मुंह से बाहर निकाल लिया था, लेकिन फिर भी नताशा को कितना सारा वीर्य अपने मुंह से बाहर थूकना पड़ा, और बाकी बचे वीर्य ने नताशा का पूरा चेहरा, मुंह, गर्दन, बाल ढक दिए थे.

वो जल्दी से भाग कर बाथरूम में घुस गई.

भाभी की चुदाई की कहानी जारी रहेगी.
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