देवर से बुझी प्यास

मेरा नाम पल्लवी है, मेरी शादी हुए २ साल हो गए हैं, शादी भी २१ साल में हुई थी. लेकिन मेरी शादी में कभी भी शारिरिख सुख का आनन्द नहीं रहा है। शादी के बाद से ही मेरे पति पता नहीं क्यों मुझसे दूर-२ रहा करते थे। पूछने पर कहते कि काम बहुत ज्यादा होता है। इसी कारण हमारा झगड़ा होता रहता। एक तो नई नई शादी, उस पर सावन का महीना ! हमेशा जिस्म में आग भड़की हुई रहती !

मैं आप सबको बता दूँ कि मेरा परिवार बहुत बड़ा है, मेरे दो जेठ-जेठानी हैं और एक कुवांरा, जवान, आकर्षक शरीर का मालिक मेरा देवर जो मुझसे उमर में बड़ा है। दिखने में मैं भी कुछ कम नहीं हूँ, कोई भी देखे तो बस देखता रह जाए ! मैं ३४ २८ ३६, उसपर चमकता गोरा रंग, काले लंबे बाल लेकिन कोई काम की नहीं थी मेरी जवानी जब तक …

एक दिन की बात है, घर पर कोई नहीं था, देवर कॉलेज गए थे, जेठ और मेरे पति काम पर और मेरी जेठानियाँ शौपिंग पर !

मेरे जिस्म में हमेशा की तरह आग लगी हुई थी जिसको मिटाने के लिए अपने कमरे में आकर मैंने साड़ी उतार के फेंक दी और ब्लाऊज़ के आधे बटन खोलकर अपनी चुचियों को जोर-२ से मसलने लगी और दूसरे हाथ से अपनी चिकनी चूत रगड़ने लगी। जिससे मेरे मुँह से ह्म्म्म्म आ आआ आआआह्ह्ह की जोर-२ से आवाज़ निकलने लगी। मैं अपने में ही मस्त थी, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे देवर घर आ गये और मेरी आवाज़ सुनकर मेरे खुले दरवाजे से मुझे देखने लगे। जल्दी से उन्होंने अपने सारे कपड़े उतारे और धीरे से एक दम मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगे। मैं कुछ समझ पाती, तब तक अपने होठों को मेरे होटों पर रखकर चूमने लगे और फ़िर एक जोर के झटके के साथ मेरा ब्लाऊज़ और मेरी ब्रा फाड़ दी और मुझे चूमते हुए मेरी नंगी चूचियों को दबाने लगे।

उनकी इतनी हिम्मत देखकर मैं घबरा गई और बोली- यह क्या कर रहे हो?

तो वो बोले- मेरी जान तेरी जिस्म की आग बुझा रहा हूँ, तू बहुत प्यासी है ! और फ़िर मेरी नंगी चूचियों को जोर-२ से मसलने लगे और सब जगह अपने चुम्बन जड़ दिए। मेरी तो और आग भड़क चुकी थी लेकिन रिश्ते का ख्याल करते हुए मैं मना करने लगी। उतने में उन्होंने एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया, मेरी चूत एक नदी की तरह बहने लगी थी, मैं काबू से बाहर होने लगी थी, मैं मना कर रही थी लेकिन उसमे भी मेरी हाँ थी जो उन्हें समझ आ गई।

फ़िर बस वो मेरी चूत को अपनी जबान से चाटने लगे, चूसने लगे, मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई थी ! मेरे मुँह से जोर-२ की आवाजें आने लगी, मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी. सब भूल कर मैं भी लुटने के लिए तैयार हो गई और अपने देवर का साथ देने लगी। फ़िर हम ६९ की पोसिशन में आ गये। मैं उनका ६ १/२ इंच का लण्ड अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी तो कभी जोर-२ से पूरा लण्ड मुँह में लेकर अंदर बाहर करने लगी और वो भी मुझे चाटता रहा जिससे मैं एक बार झड़ गई और वो मेरा सारा रस पी गया।

मुझसे रहा नहीं जाता ! चोद दे ! कमीने मुझे जोर जोर से चोद ! जल्दी कर साले !

मेरे मुँह से यह सुनकर मेरे देवर और जोश में आ गये और मुझे रंडी ! साली ले अब ! यह कहते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और एक बहुत जोर का धक्का मारा जिससे एक बार में ही पूरा लण्ड मेरे अंदर चला गया, साढ़े छः इंच लम्बा और साढ़े तीन इंच का मोटा लण्ड मेरी झिल्ली को चीरता हुआ अंदर चला गया और मेरी चीख से कमरा भर गया, मेरी सांस अटक गई और खून की पतली धार मुझे महसूस हुई। मेरे दर्द को समझते हुऐ मेरे देवर थोड़ा रुक गए और जैसे मुझे थोड़ा आराम आया कि फ़िर धीरे -२ अंदर बाहर करने लगे।

मुझे भी मजा आने लगा, मैं तो जैसे जन्नत मैं थी ! फ़िर मैं भी उछल -२ कर मजे लेने लगी, करीब ५ मिनट बाद मैं झड़ गई और मेरे देवर भी !फ़िर भी सिलसिला चलता रहा और कमरा फुच फ्हाक की आवाज़ से गूंजने लगा, इसके बाद मैंने और तीन बार चुदवाया. और फ़िर …

पर बात यहाँ ख़त्म नहीं होती, आगे की कहानी अगली बार !

आप बताईयेगा कि आप सबको मेरी कहानी कैसी लगी ! इन्तजार में !

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