देसी भाभी ने सोते देवर का लंड चूसा

(Desi Bhabhi Ne Sote Devar Ka Lund Chusa)

अमित दुबे 2017-05-04 Comments

दोस्तो, मैं अमित, एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत हूँ, दिखने में सुंदर और किसी को भी अपनी बातों से मोहित कर लेने की कला रखता हूँ, चुदाई का मुझे बहुत अनुभव है, मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है।

मैं फिर हाजिर हूँ अपनी कहानी लेकर!
पिछली होली की बात है।
मेरे कजन भाई धीरज इंदौर में रहते हैं, उनकी अभी अभी शादी हुई है, होली से पहले उनका मेरे पास फोन आया और उन्होंने मुझे इस होली पर अपने घर इंदौर बुलाया।
मेरे भाई सामान्य कद काठी के हैं। मेरी भाभी का नाम भावना है, वो दिखने में बिपासा बसु की तरह सेक्सी माल है, थोड़ी सी साँवली पर एकदम मस्त चुची और शानदार शरीर की मालिक है।

मैंने भाभी को उनकी शादी में ही देखा था और देखता ही रह गया था। अब जब भाभी और भाई ने मुझे होली के लिए आमंत्रित किया तो मैं मना नहीं कर पाया और मैंने होली पर जाने का मन बना लिया।

होली के एक दिन पहले मैं इंदौर पहुँचा, भाई मुझे लेने आये, जब उनके घर पहुँचा, उनका 2 बेडरूम वाला फ्लैट था।
पहुँचते ही भाई ने भाभी को आवाज लगा कर बुलाया- बाबू, देख कौन आया है!

भाभी किचन से बाहर आई, इस समय भाभी ने काली साड़ी पहन रखी थी और सेक्स की देवी लग रही थी। मैं तो उन्हें एकटक देखता ही रह गया।
इतने में भाई बोले- अमित तू नहा धोकर फ्रेश हो जा, फिर हम शाम को पीने खाने का प्रोग्राम जमाते हैं।

मैं बोला- ओके भाई!
दोस्तो, आपको बता दूँ कि मैं और भाई जब भी मिलते हैं, खूब दारू पीते हैं।

जैसे ही मैं बाथरूम में फ्रेश होने गया, भाभी भाई से बोली- धीरज ज्यादा मत पीना, तुम्हें याद है ना कि तुमने वादा किया था कि हम होली के टाइम जम कर वाइल्ड सेक्स करेंगे।

मैं दरवाजे पर कान लगा कर सुन रहा था तो ये सब बातें मैंने सुन ली।

इतने में भाई बोले- जान, मुझे सब याद है, आज रात को दारू पी कर तेरी भोसड़ी बजाऊँगा।
भाई ने भाभी को पकड़ लिया और उनके होंठ चूमते हुए उनकी चुची मसलने लगे, मैं बाथरूम की जाली में से सब देख रहा था।

ये सब देख कर मुझे लगा कि मेरी होली बहुत मस्त निकलने वाली है। मैंने सोचा भाभी को चोद सकूँ या नहीं… पर कुछ मस्ती तो जरूर मिलेगी।

उसके बाद भाई शाम के लिए दारू लेने चले गये और मैं भाई की धोती बांध कर और टीशर्ट पहन कर टीवी देखने लगा और साथ ही भाभी से उनकी शादी के बारे में बात करने लगा- भाभी, आप शादी में बहुत सुंदर लग रही थी!

इस पर भाभी बोली- क्यों, मैं अभी सुंदर नहीं लग रही क्या?
इस पर मैं बोला- नहीं भाभी, आप अभी भी मस्त लग रही हैं।

कुछ देर की बातचीत के बाद भाई भी आ गये और लगभग रात 8 बजे हम पीने बैठ गये। मैं बहुत दिनों बाद पी रहा था तो मुझे थोड़ी ही देर में सुरूर आने लगा।
मैं भाई से बोला- भाई, आपकी शादीशुदा लाइफ कैसी चल रही है?
भाई बोला- अमित, क्या बताऊँ, मैं फुल मजे कर रहा हूँ। तेरी भाभी बहुत गर्म है, रोज रात को मैं तेरी भाभी को पटक पटक कर चोदता हूँ पर वो इतनी गर्म है कि कभी मना नहीं करती! बहुत मस्त लाइफ है मेरी… इसमें सेक्स ही सेक्स भरा है।

भाभी इस समय हाल में थी और टीवी देख रही थी।
भाई और मेरी यही बातें चलती रही और थोड़ी देर बाद जब हम फुल टल्ली हो गये।
तो खाना खाने लगे।

खाना खा कर मुझे पता था कि आज भाई और भाभी मस्त सेक्स करने वाले है इसलिए मैं वहीं नशे का नाटक करके सो गया।
भाई के यहाँ नीचे ही डबल बेड के दो गद्दे लगे थे जिसमें से एक पर मैं सो गया।

कुछ 2 घंटे बाद भाभी बोली- अमित को आगे हाल में भेज दो, फिर हम अपना प्रोग्राम चालू करें।
इस पर भाई बोला- अमित को बहुत चढ़ गई है, अब इसे उठाना ठीक नहीं है।

इसके बाद भाई ने भाभी को बाहों में भर लिया और पहली बार मिली हो ऐसे दबाने, मसलने लगे।
भाभी के मुँह से बार बार दर्द और उतेजना के मारे उईईई ईईई माँ उम्म्ह… अहह… हय… याह… धीरे उईईईई ईईई! निकल रहा था।

मैंने एक चादर अपने ऊपर डाल रखी थी और चोर नजर से सब देख रहा था। मेरी हालत बहुत खराब थी और मेरा लंड ये सब सुन कर खड़ा हो गया था।
भाई ने भाभी का गाउन उतार दिया और भाभी अब काली जालीदार ब्रा और पेंटी में थी।
भाभी ने भाई को बोला- धीरू, ऐसे नहीं… आज तुम बिना कुछ देखे मुझे चाटो और चोदो।
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यह बोल कर भाभी ने भाई की आँखों पर एक पट्टी बांध दी और भाई भाभी को अंदाजे से मसलने लगे, पहले कुछ देर होंठ चूसे, फिर चुची मसली, फिर ब्रा पेंटी उतार कर फेंक दी और भाभी को धड़ाम से नीचे गिरा कर उनकी चुची से लेकर नीचे तक चाटने लगे।

दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि इस वक्त मेरे पैर की तरफ भाभी का मुँह और था और मेरे मुँह की तरफ भाभी के पैर थे और मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं अपना लंड चादर के अंदर ही मसल रहा था।

अब भाई भाभी की चुत पर मुँह लगा कर कुत्ते की तरह चाट रहे थे और भाभी धी…रू… ऊऊऊ ऊओईई ईईईई ईईईई इम्मम्म म्मम माँ आह कर रही थी।

इतने में अचानक भाभी का एक हाथ मेरे लंड पर आया और हल्का सा लंड पकड़ा और छोड़ दिया, फिर थोड़ी सी ऊपर होकर उन्होंने भाई को देखा और मुझे भी देखा और ‘उईईई ईईई ऊऊऊ धीरू… मजा आ रहा है’ करते हुए भाई की आँखों पर पट्टी बंधी देख कर उनसे पूछा- आपको कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा है?

इस पर भाई ने चुत चाटना छोड़ा और बोले- नहीं मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।
भाई फिर से भाभी की गांड के नीचे हाथ डाल कर फिर से उनकी चुत को चूसने लगे, भाई के मुँह से मूऊ पुच पुच आह पुच की आवाज निकल रही थी।

अब भाभी ने एक बार फिर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे चादर और लुंगी के ऊपर से ही हिलाने लगी और देखने लगी कि कितना बड़ा है।

इससे मैं घबरा गया और मैंने अपने हाथ सीधे कर लिए।
अब भाभी ने कुछ ही देर में लुंगी और चादर अलग करके मेरी चड्डी नीचे कर लंड को हाथ में पकड़ लिया और ऊपर से नीचे मसलने लगी।

साथ ही वो मुँह से ‘ऊऊऊओ उईईई ईईई आह धीरू… मजा आ रहा है…’ करती जा रही थी।
भाई भी भाभी की गांड में एक उंगली घुसेड़ कर चूसे ही जा रहे थे।

अब भाभी ने थोड़ा सा मेरी और होकर मेरे लंड की एक बार चुम्मी ली और फिर दूर हो गई।

मैं समझ चुका था कि भाभी क्या चाहती हैं, इसलिए मैं थोड़ा सा उनकी रर खिसक गया।
अब उन्होंने लंड मुँह में ले लिया और सुपुड़ सुपुड़ करके चूसने लगी पर वो मुँह से ज्यादा आवाज नहीं निकाल रही थी, साथ ही बीच बीच में ‘उईईई ईईई मूऊऊऊ आआआह धीरू मजा आ रहा है…’ करती जा रही थी।

मैं उत्तेजना के कारण सातवें आसमान पर था और भाभी लंड चूस रही है, यह सोच कर ही मस्त हो गया था।
थोड़ी ही देर में मेरा पानी निकलने लगा, इस पर भाभी ने भी लंड पूरा मुँह में ले लिया और सब पानी पी गई।

अब मैं सीधा सो गया और फिर से चादर अपने ऊपर ले ली।

अब भाई भी भाभी के ऊपर आ गये और भाभी को गाली देते हुए ‘मादरचोद हरामजादी ले मेरा लंड…’ और लंड एक ही पल में भाभी की चुत में पेल दिया।

भाभी ‘ऊऊऊ ऊऊऊ ओह ऊऊओ मर गई… कमीने धीरू… धीरे आआअ माँ उईई ईईई…’ करने लगी।

कुछ देर उनकी चुदाई देख कर पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और फिर सुबह ही नींद खुली। रात में एक दो बार मुझे लगा कि किसी ने मेरा लंड पकड़ के मसला पर मुझे ज्यादा कुछ ध्यान नहीं।

दोस्तो, भाई के घर की यह मेरी पहली रात थी और मेरी देसी भाभी कितनी बड़ी चुदक्कड़ है, इस बात का अंदाजा मुझे हो गया है।

अब आगे की कहानी बाद में!
आप मुझे मेल कर के बतायें कि आपको कहानी कैसी लगी!
धन्यवाद।
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