चूत एक पहेली -62

(Chut Ek Paheli- Part 62)

पिंकी सेन 2015-12-26 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

अर्जुन- देखिए बिहारी जी.. मैं जानता हूँ अपने हमें ये जगह क्यों दी है। मैं निधि को समझा दूँगा.. वो दूसरे कमरे में सो जाएगी। आप आराम से अपना काम कर लेना।
बिहारी- तोहार को देख कर ही हम समझ गया था.. तू बड़ा समझदार है। ये छोकरी बीच में तो नहीं आएगी ना.. अच्छी तरह समझा देना..
अर्जुन ने बिहारी को भरोसा दिलाया कि निधि नहीं आएगी और उसको कुछ पता भी नहीं लगेगा। आप आराम से अपना काम कर लेना।
बिहारी- ये हुई ना बात.. अभी हम चलता हूँ.. एक घंटा बाद हमार आदमी तोहार को लेने आएगा.. उसके साथ चले जाना, पीछे से मैं तोहार भाभी का अच्छे से ख्याल रख लूँगा।

अब आगे..

बिहारी के जाने के बाद अर्जुन वापस अन्दर गया.. तब तक भाभी निधि को बता चुकी थीं कि इस भले आदमी ने ही हमको यहाँ रहने दिया है।

अर्जुन- निधि तुम उस कमरे में जाओ मुझे भाभी से कुछ जरूरी बात करनी है।
निधि- अरे मेरे सामने कह दो ना..
अर्जुन- तुम्हें भी बता दूँगा.. अब जाओ भी यहाँ से..
निधि मुँह फुला कर दूसरे कमरे में चली गई।

अर्जुन- भाभी अभी बिहारी से मेरी बात हो गई है.. उसको खुश कर देना बस और निधि को मैं समझा दूँगा। वो कमरे में रहेगी! ठीक है ना?
भाभी- अब तुम कहते हो तो ठीक है, मगर निधि को क्या कहोगे?
अर्जुन- वो सब तुम मेरे पर छोड़ दो.. मैं उसको समझा दूँगा।
भाभी को समझा कर अर्जुन निधि के पास गया.. वो गुस्से में थी।

अर्जुन- अरे मेरी बुलबुल.. ऐसे गुस्सा क्यों हो गई.. मैं बताता हूँ ना…
निधि- नहीं मुझे पता है.. अब कुछ और ही बात बताओगे.. अगर बतानी होती तो वहीं बता देते।
अर्जुन- अरे मेरी जान तुम कुछ नहीं समझती.. तेरी भाभी से तेरे सामने ये बात नहीं कर सकता था।
निधि- ऐसी क्या बात है बताओ मुझे..

अर्जुन ने उसको बिहारी की पूरी बात बताई और ये भी समझा दिया.. उसकी भाभी नहीं चाहती कि उसको ये पता लगे इसलिए उनकी चुदाई के वक्त तू यहीं रहना.. बाहर मत जाना.. नहीं वो काला सांड तेरी भी ठुकाई कर देगा। अभी तो उसकी नज़र में तू छोटी बच्ची है.. मगर उसने तेरे पर गौर कर लिया ना.. तो देख लेना.. फिर तुझे उसका काला लौड़ा चूसना पड़ सकता है।
निधि- छी:.. ना बाबा मैं ना चुसूंगी उसका लौड़ा..
अर्जुन- हाँ तो बस.. जब तक मैं आकर आवाज़ ना दूँ.. तू यहाँ से बाहर ना जाना.. समझी ना..

निधि- हाँ समझ गई.. मगर मुझे भाभी की चुदाई देखनी है।
अर्जुन- अरे पागल हो गई क्या.. कैसे देखेगी.. अगर बिहारी की नज़र पड़ गई तेरे पर.. तो जानती है.. क्या होगा?
निधि- वो चिंता तू ना कर.. मैं ये दरवाजे की चाभी का छेद है ना.. इसमें से देख लूँगी..
अर्जुन- अच्छा देख लेना.. और ज़्यादा गर्म हो जाओ.. तो उंगली ना करना.. मैं रात को बड़े प्यार से तेरी चूत की गर्मी निकाल दूँगा।
निधि- ओये होये.. मेरा अर्जुन कैसे निकालेगा.. भाभी भी तो यही होगीं..
अर्जुन- भाभी के सोने के बाद तेरी चुदाई करूँगा मेरी बुलबुल.. और वैसे भी वो काला सांड आज भाभी को चोदकर थका देगा.. जल्दी सो जाएगी वो.. समझी..

अर्जुन बाहर आया और भाभी को समझा दिया कि निधि बाहर नहीं आएगी, अब तुम खुलकर बिहारी के साथ चुदाई करना। उसको खुश कर देना ताकि जब तक यहाँ रहे.. वो हमें कुछ ना कहे।
भाभी- अर्जुन तुम कहते हो तो ठीक है.. मगर यह तो बता सुबह तूने निधि की चुदाई की है क्या?
अर्जुन- हाँ की है ना.. उसकी गाण्ड मारी है.. क्यों क्या हुआ?
भाभी- तुम दोनों को उस कमरे में सोया देख कर मैं समझ गई थी। तू पक्का हरामी है.. चोदे बिना थोड़े ही माना होगा। बेचारी थकी हुई थी और थका दिया उसको..

अर्जुन- अभी कहाँ थकाया है.. रात को देखना.. मैं उसकी चूत का भुर्ता कैसे बनाता हूँ।
भाभी- उसको ही चोदता रहेगा क्या.. मुझे भी तो तेरे लौड़े की आदत है.. मेरे बारे में ज़रा भी नहीं सोचा..
अर्जुन- अरे भाभी.. मेरी जान.. आज तो बिहारी तेरी ठुकाई करेगा। फिर कहाँ तुम्हारे अन्दर मेरे लंबे लौड़े से चुदवाने की ताक़त रहेगी।
भाभी- उसको देख कर लगता तो नहीं.. कि वो मेरी प्यास बुझा पाएगा और पता नहीं उसका कितना बड़ा होगा.. कहीं लुल्ली निकली.. तो मुझे कहाँ मज़ा आएगा।
अर्जुन- अरे नहीं.. उसका जिस्म देख कर लगता है हथियार भी भारी होगा।

भाभी- देख अर्जुन.. अगर उसने मुझे संतुष्ट ना किया.. तो रात को तू मेरे साथ ही सोएगा, निधि को चुपचाप सोने को बोल देना।
अर्जुन- अरे उसको क्यों सोने को बोलूँ? मेरे लौड़े में इतना पॉवर है कि दोनों की ठुकाई एक साथ कर सकता हूँ।
भाभी- नहीं नहीं अर्जुन.. तू जानता है मैं निधि के सामने चुदाई नहीं कर सकती।
अर्जुन- तुम दोनों की अजीब बात है.. दोनों को पता है कि मैं दोनों की चुदाई करता हूँ.. फिर भी सामने चुदवाने से ना कहती हो.. वो भी यही कहती है..
भाभी- देख अर्जुन हमारे बीच ये परदा जो है.. इसको रहने दे.. यही हम सब के लिए सही होगा।

अर्जुन ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और भाभी से बातें करता रहा।
करीब 40 मिनट बाद बिहारी का एक आदमी आ गया और अर्जुन उसके साथ वहाँ से चला गया। जाने से पहले वो दोबारा निधि के पास गया और उसको बता गया कि अब थोड़ी देर बाद खेल शुरू होगा, वो बाहर बिल्कुल ना निकले।

अर्जुन के जाने के बाद भाभी बाथरूम में चली गई। उसको पता था बिहारी कभी भी आ सकता है.. इसलिए जो करना है अभी कर ले। उसके बाद तो चुदाई का खेल शुरू हो जाएगा, उसको कहाँ वो काला सांड कहीं जाने देगा।

अर्जुन के जाने के 20 मिनट बाद बिहारी वहाँ आ गया और बिस्तर पर बैठ गया, उसके हाथ में दारू की बोतल थी।
भाभी- आइए मालिक.. बोलिए मैं आपकी क्या सेवा करूँ?
बिहारी- अरे सेवा तो हम करूँगा तोहार, तनिक दो गिलास तो लाओ जानेमन.. पहले कुछ गला गीला कर लें..
भाभी- यहाँ कहाँ गिलास हैं.. पूरा घर खाली पड़ा है?
बिहारी- अरे रसोई में जाओ.. वो दराज में हम रखा हूँ गिलास.. वो प्लास्टिक वाला है न.. वही ले आओ..

भाभी कुछ नहीं बोली और रसोई में चली गई। वहाँ प्लास्टिक के कुछ गिलास रखे हुए थे.. वो एक ले आई।
बिहारी- अरे मेरी जान.. एक काहे ले आई तुम नहीं पिओगी का?
भाभी- नहीं में नहीं पीती.. आप पी लो..

बिहारी ने भाभी को खींच कर अपने पास बैठा लिया और कहा- तुम अपने हाथों से पिलाओ मुझे..

काफ़ी देर तक भाभी उसको शराब पिलाती रही.. और वो शराब के साथ साथ भाभी के मम्मों को दबाता रहा। उसकी चूत को सहलाता रहा। भाभी भी कहाँ पीछे रहने वाली थी। वो भी उसके लौड़े को टटोल कर देखने लगी कि कितना बड़ा है। इसी तरह शराब का दौर ख़त्म हो गया और बिहारी ने भाभी को नंगा करना शुरू कर दिया।

भाभी पहले तो थोड़ी शरमाई.. मगर नंगी होने के बाद खुलकर बिहारी का साथ देने लगी।
उधर निधि आराम से सारा खेल देख रही थी।

भाभी- मुझे तो नंगा कर दिया। अब अपने भी कपड़े निकालो.. मुझे भी तो अपना लंड दिखाओ.. कैसा है?
बिहारी- कपड़े के ऊपर से अंदाज़ा नहीं ना लगाया तुमने.. तो ले खोल के दिखा देता हूँ तेरे को..

बिहारी नंगा हो गया उसका 8″ का काला लंड देख कर भाभी के मुँह में पानी आ गया.. क्योंकि वो काफ़ी मोटा था और भाभी जानती थी कि ये चूत में जाएगा तो मज़ा खूब आएगा।

बिहारी- ये लो रानी देख लो ये है हमार लौड़ा.. अब तनिक तोहार चूचियां हमको चूसने दो.. बड़ा मान बेचैन है हमार..
भाभी बिस्तर पर लेट गई और इशारे से बिहारी को अपने पास बुलाया। बिहारी ने भाभी को बाँहों में ले लिया और उसके निप्पल चूसने लगा।

काफ़ी देर तक बिहारी कभी होंठ चूसता.. कभी उसके मम्मों का मज़ा लेता.. वो एकदम गर्म हो गया और भाभी की चूत भी फुदकने लगी थी, अब कहाँ बर्दाश्त होने वाला था, बिहारी ने अपना मोटा लंड चूत पर रखा और जोरदार झटका मारा, एक ही बार में 8″ का लौड़ा चूत में घुसा दिया।

भाभी- आईई.. मर गई रे.. आराम से डालते.. आह्ह.. आपका लौड़ा बहुत मोटा है आह्ह.. मेरी जान निकाल दी..
बिहारी- हमार तरीका ऐसन ही है.. एक ही बार में पूरा लौड़ा ठोक कर घुसेड़ देते हैं। अब तोहार को काहे का दर्द हो रहा है.. तुम तो हमका बहुत लौड़े खाई हुई लगती हो..
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भाभी कुछ नहीं बोली और बस मुस्कुरा दी। बिहारी के मुँह से शराब की बदबू आ रही थी.. मगर भाभी को इसकी आदत थी। उसका पति भी तो शराबी ही था।
अब चुदाई का खेल शुरू हो गया, बिहारी कस-कस के शॉट लगा रहा था और भाभी गाण्ड उठा-उठा कर उसका साथ दे रही थीं।

अन्दर निधि ये सब देख कर गर्म हो रही थी। उसकी चूत में पानी आने लगा था वो अपने हाथ से चूत को दबा कर बैठी थी।

भाभी की चूत को ठंडा करने के बाद बिहारी ने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको घोड़ी बना कर फिर से चोदने लगा।
भाभी- आह्ह.. छोड़ो.. आह्ह.. तुम्हारा इतना मोटा लंड लेने में मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से करो आह्ह…

भाभी की ‘आहें’ बिहारी को और जोश दिलाने लगीं, वो उसकी कमर को पकड़ कर स्पीड से चोदने लगा।
भाभी दोबारा उत्तेजित हो गई थीं.. वो भी गाण्ड को पीछे करके झटके देने लगी।

करीब 20 मिनट बाद दोनों एक साथ झड़ गए, बिहारी का पूरा माल भाभी की चूत में भर गया, अब दोनों शान्त होकर लेट गए थे।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।

कहानी जारी है।
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