भाभी सेक्स की प्यासी, देवर से चुत चुदाई

(Bhabhi Sex Ki Pyasi, Devar Se Chut Chudai)

दोस्तो, मैं मोहसिन खान आपके सामने एक ऐसी देवर भाभी सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हुआ हूँ, जो मेरी एक दोस्त सविता भाभी के साथ की है। सविता भाभी बहुत ही खुशमिजाज़ और खूबसूरत हैं.. देखने मैं तो मानो कोई अप्सरा लगती हैं। दरअसल यह भाभी की चुदाई सेक्स स्टोरी उन्होंने ही लिखी है.. पर किसी कारण की वजह से वो यह स्टोरी अन्तर्वासना पर भेज नहीं सकीं और उन्होंने मुझसे इस सेक्स स्टोरी को अन्तर्वासना के माध्यम से आप सभी तक भेजने को कहा।

इसलिए आज मैं यह स्टोरी आपको सविता भाभी की ज़ुबानी सुना रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी।

तो आइए सविता भाभी की कलम से लिखी हुई इस सेक्स स्टोरी की तरफ चलते हैं।

हैलो फ्रेंड्स.. मैं सविता अग्रवाल हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानी पढ़ी हैं और इधर की सेक्स स्टोरी को पढ़ने के बाद मुझे भी लगा कि मैं भी अपने बारे में कुछ आप लोगों को कुछ बातें बता सकूं।

मैं पहले अपने बारे में कुछ बता देना चाहती हूँ.. मैं एक 30 साल की शादीशुदा औरत हूँ। मेरी शादी को 5 साल हो चुके हैं। मेरा रंग थोड़ा सांवला है.. मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच की है और फिगर 36-28-38 का है। मुझे लगता है कि कोई भी मर्द मुझे एक बार देख लेगा तो यकीन से कह सकती हूँ उसका लंड खड़ा हो जाएगा।

वैसे तो शादी से पहले मेरे काफी अफेयर रहे हैं.. लेकिन हर एक नई चुदाई का अपना एक अलग मज़ा होता है। आज मैं आपको बताउंगी कि मैंने कैसे अपने देवर से चुदवाया।
वैसे देवर भाभी का रिश्ता तो बहुत प्यारा होता है। अगर साली आधी घरवाली हो सकती है.. तो देवर आधा पति क्यों नहीं हो सकता।

बात तब की है जब मेरी शादी को 3 साल हो गए थे। मेरे पति को बिज़नेस के काम से एक महीने के लिए विदेश जाना पड़ा था। वैसे तो हमारी सेक्स लाइफ बहुत अच्छी चल रही थी.. लेकिन जिसे हर दिन चुदाई का शौक हो.. वो भला एक महीने तक अपनी चूत की प्यास बिना बुझाए कैसे रह सकती थी।
मेरी हालात तो बिल्कुल बिन पानी की मछली जैसे हो चुकी थी.. मैं लंड के लिए तड़फ उठी थी।

एक दिन मैं घर में ऐसे ही बैठी बोर हो रही थी कि अचानक मेरे देवर और देवरानी आ गए। वो लोग हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही रहते थे और हमसे काफी क्लोज़ भी हैं। मेरे पति के विदेश जाने के बाद वे लोग अक्सर हमारे घर आया करते थे।

उनके आते ही मैंने उन लोगों के लिए चाय नाश्ते का इंतज़ाम किया, फिर हमने साथ-साथ चाय-नाश्ता साथ मिल कर किया। इसके बाद हमारे बीच में थोड़ी बहुत बातें भी हुईं। बातें करते समय देवर मुझे तिरछी निगाहों से देख भी लेता था.. मगर मैं उसके सामने सिर्फ मुस्कुरा देती थी।

देवर को मेरी यह बात पता थी कि मैं बहुत खुशमिजाज़ हूँ और मैं हर वक्त खुश रहती हूँ। लेकिन आजकल मैं बिल्कुल मुरझाए हुए फूल की तरह दिख रही हूँ। यह बात मेरा देवर जान चुका था।
फिर थोड़ी बहुत बात करने के बाद वे लोग अपने घर चले गए।

कुछ दिनों बाद अचानक मेरा देवर घर आया.. उस वक्त मैंने स्कर्ट और टॉप ही पहना हुआ था।
वो मुझे देख कर बोला- क्या बात है भाभी.. इस खूबसूरत चहरे से हंसी कहाँ गायब हो गई है?
तो मैंने कहा- रोहित (पति) के जाने के बाद मैं अकेली पड़ गई हूँ।
तो वो बोला- आप अकेली कहाँ हो भाभी? कभी किसी चीज़ की जरूरत हो तो मुझे बता दीजिये।
तो मैंने पूछने के अंदाज में कहा- कभी भी किसी चीज़ की जरूरत?

वो मेरा इशारा समझ गया और बोला- हाँ भाभी.. किसी भी चीज की जरूरत.. बस आप बोलिए तो सही!
आखिर वो भी एक मर्द है और हर मर्द की सब से बड़ी कमजोरी चूत होती है। मैंने उससे मुस्कुरा कर कहा- ठीक है बता दूंगी।
फिर वो चला गया।

अगले दिन वो ऑफिस से आते समय सीधे मेरे घर आ गया, मैंने उस वक्त वाइट कलर की नाईटी पहनी हुई थी और अन्दर ब्लैक कलर की मैचिंग ब्रा पैंटी पहनी थी। जो नाईटी में से साफ़-साफ़ दिख रही थी।

अब आप समझ ही सकते होंगे कि उसकी क्या हालात हुई होगी। वैसे उसकी यह हालात उसकी पैंट से साफ़-साफ़ समझ आ रही थी, लेकिन वो कुछ कर नहीं पा रहा था। इधर मेरी चुत में आग लगी हुई थी.. मैं सोच रही थी कि यह कब नंगा करके मुझे चोदेगा। मैंने सोचा यह तो ऐसे कुछ कर नहीं पाएगा.. मुझे ही कुछ करना होगा।

तो मैंने उसके लिए चाय-नाश्ते का इंतज़ाम किया और चाय-नाश्ता लेकर आ गई। जैसे ही टेबल पर नाश्ता रखने के लिए झुकी तो उसे मेरी गोल-गोल चूचियां दिख गईं। मैंने गौर किया कि वो मेरी चूचियों को बड़े घूर-घूर कर देख रहा है।

फिर मैं वहाँ से किचन में आ गई और वहाँ से मैंने देखा तो वो अपने लंड को अपने पैरों में दबा रहा था और मन में कुछ सोच रहा था।

फिर मैंने एक तरकीब सोची और ऊपर दीवार पर रखा डिब्बा लेने की कोशिश की और पैर फिसलने का नाटक करते हुए ज़ोर से चीखी। मेरी चीखने की आवाज़ सुन कर वो भागा-भागा मेरे पास आया और मुझे पकड़ लिया।

मैंने भी देर न करते हुए अपनी बांहें उसके गले में डाल दीं और दर्द ज़्यादा होने का नाटक किया।
फिर वो मेरे पैरों को दबाने लगा और कहा- कहाँ दर्द हो रहा है भाभी?
मैंने कहा- शायद पैर में मोच आई है।

तो वो मुझे उठा कर बेडरूम में ले आया। मुझे उठाते वक्त उसका एक हाथ मेरी कमर पर और दूसरा हाथ मेरी गर्दन पर था।
मैंने कहा- देवर जी, दर्द बहुत हो रहा है, ज़रा पैरों पर थोड़ा हल्का गरम तेल लगा दो।

तो वो किचन में तेल लेने चला गया और मैं सोचती रही कि यह साला कब मुझे चोदेगा.. मैं कब से इसे ग्रीन सिग्नल दे रही हूँ.. यह समझ ही नहीं रहा है।

फिर 5 मिनट में वो तेल लेकर आ गया और मेरे पैरों पर तेल लगाने लगा और उसने हिम्मत करके मुझसे कहा- भाभी नाइटी थोड़ी ऊपर उठा लो.. वरना तेल से खराब हो जायेगी।

मैंने भी बिना कोई हिचकिचाये नाइटी घुटनों के ऊपर उठा ली और उससे थोड़ा गर्मी का बहाना बना कर नाइटी के 2 बटन भी खोल दिए।

अब वो मेरे पैरों पर तेल लगाने लगा। तेल लगाते हुए वो मेरी जाँघों को भी सहलाने लगा और बीच-बीच में वो मेरी नंगी जांघों के बीच मेरी काली पैंटी को भी देख रहा था।
अब वो भी गरम हो गया था.. ये मुझे उसके पैंट में बने तम्बू से साफ़ समझ आ रहा था।

फिर वो मेरे पैरों पर हल्के से मालिश करने लगा।
मैंने कहा- देवर जी हां.. यहीं लगाओ.. हाँ यहाँ थोड़ा ऊपर.. हां और थोड़ा ऊपर आअह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह हां इधर दर्द हो रहा है.. यहाँ लगाओ आआह्ह्ह आआह.. उधर आह्ह्ह नहीं.. इधर आआह्हह्हह..

और ऐसा करते-करते मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बेतहाशा उसे चूमने लगी। फिर झट से उसकी पैंट खोल कर लंड को बाहर निकल लिया। मैंने जैसे ही उसके लंड बाहर निकाला मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।

मेरे पति का लंड तो 6 इंच का है मगर मेरे देवर का लंड तो 8 इंच का था। मैंने देखते साथ उसे मुँह में ले लिया और पूरे जोश के साथ उसे चूसने लगी।
‘ममुह्हा ममुह्ह आअह्ह मज़ा आ गया अह देवर जी आह्ह्ह्ह मम्मुह्ह्ह् हाँ मज़ा आ गया.’ मैंने चूस-चूस कर उसके लौड़े को लाल लाल कर दिया।

फिर उसने कहा- अरे भाभी आराम से चूसो.. यह मेरा लंड तुम्हारे लिए ही है.. खा जाओगी क्या?
मैंने कहा- देवर जी कुछ न कहो.. बस अपने लौड़े से मेरे मुँह को चोदते रहो.. आअह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ममम्मूऊह म्मम्मऊऊ आअह्ह्ह..

फिर उसने भी मुझे अपने ऊपर लिटा दिया और हम 69 पोजीशन में आ गए.. वो मेरी चूत चूसे जा रहा था, मैं उसका लंड चूस रही थी।

तक़रीबन 10 मिनट की चुसाई के बाद मैं झड़ गई और वो भी थोड़ी देर बाद मेरे मुँह में झड़ गया। मैंने उसके लंड को चाट-चाट कर अच्छी तरह से साफ़ कर दिया।

फिर थोड़ी देर बाद मैं उसके को लंड को फिर से सहलाने लगी और मुँह में लेकर चूसने लगी। देवर का लंड 2 मिनट में ही दूसरे राउंड के लिए तैयार हो गया।
भाभी सेक्स की यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब मैंने कहा- देवर जी, आपकी भाभी सेक्स के लिए तड़प रही है, अब ज़्यादा मत तड़पाओ.. घुसेड़ दो इसे मेरी चूत में.. बुझा दो मेरी इतने दिनों की प्यास को..

इसी के साथ मेरे देवर ने अपना 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड मेरी चूत में पेल दिया और मैं ज़ोर से कराह उठी ‘आआह्ह्हब ऊऊईईई आआह्ह्ह मार डाला रे.. बहन के लौड़े आआह्ह फाड़ डाला मेरी चूत को..’

वो भी पूरे जोश में आ गया और उसने अपने झटके तेज़ लगाने चालू कर दिए। वो बड़ी ही बेहरहमी से मुझे चोदे जा रहा था। मैं भी अब उसके लंड के रंग में मगन हो गई थी और ‘आआह्ह आह्ह्ह्ह ऊऊऊईइ..’ की आवाज़ों से उसे अपना और अधिक दीवाना बना रही थी।

देवर भी पूरा जोश में आ गया, वो कभी मेरी चूत में लंड घुसेड़ता.. कभी लंड को बाहर निकाल कर मेरे मुँह में दे देता। क्या बताऊं दोस्तो मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।

अपना लंड जब मेरी चूत से निकाल कर वो मेरे मुँह डालता.. तो मेरी चूत की मलाई भी उसके लंड को लग कर मेरे मुँह में आ जाती और इसलिए मैं उसके लौड़े को और उत्तेजित हो कर चाट लेती। उधर देवर राजा भी बड़ी खुमारी से अपने लंड को मुझसे चुसवा रहा था।

इस तरह 20 मिनट की धुआंधार चुदाई में मैं अब तक 2 बार झड़ चुकी थी, मगर देवर था कि साला झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसका मोटा लंड मेरी चूत में लोहे की रॉड की माफिक मेरी चूत का कीमा वनाए जा रहा था।

सच कहूँ तो मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था मानो बस देवर मुझे चोदते ही रहे।

मैं मेरी उत्तेजना में बड़बड़ा रही थी- आआह्ह्ह ऊऊऊईइ आआह्ह.. और ज़ोर से मेरे राजा आअह्ह.. आअह्ह्ह और जोर से करो बुझा दो मेरी चूत की प्यास.. अपने लंड से बजा दो मेरी चूत का बाजा.. तेरे लंड से साली मादरचोद एक महीने से चुदी नहीं थी.. बड़ी आग भड़क गई है इसमें.. देवर राजा आह्ह्ह आअह्ह्ह अहह..

अंत में जब वो झड़ने को हुआ तो उसने पूछा- कहाँ गिरा दूँ?
तो मैंने कहा- मेरी चूत में ही छोड़ दे.. अपने लंड रस को, बहुत दिनों से यह चूत बिना पानी के बंजर जमीन जैसे हो गई थी.. बुझा दे इस जमीन (चूत) की प्यास को.. आअह्ह अह्ह्ह..

उसने लंड की पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी। जैसे ही उसका पानी मेरी चूत में गिरा.. मुझे ऐसा लगा जैसे जन्मों-जन्मों की प्यास आज बुझी हो।

वो थक कर मेरे बगल में लेट गया और उसके लेटते ही मैं उसके ऊपर आ गई।

मैंने कहा- देवर जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.. आज आपने मेरी चूत की प्यास बुझाई और एक मुझसे वादा करो जब तक रोहित नहीं आ जाते, तब तक तुम मुझे रोहित की कमी कभी महसूस नहीं होने दोगे।
देवर- हां मेरी जान सविता मैं वादा करता हूँ, जब तक तेरा पति नहीं आता.. मैं ही तेरा पति हूँ। तब तक क्या रानी आज तूने जो मुझे मज़ा दिया है इसके लिए तो मैं जन्म-जन्म भर तेरा होके रहना चाहता हूँ.. आई लव यू रानी।

बाद में वो मुझसे दुबारा मिलने का वादा करके चला गया और मैं जब भी उसे बुलाती हूँ वो आ जाता।

तो दोस्तो, यह थी देवर भाभी सेक्स चुदाई की सच्ची कहानी। आपको कैसी लगी मुझे ज़रूर मेल करें.. आपकी सविता अग्रवाल।

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