अब्बु और भाई-2

(Abbu Aur Bhai- Part 2)

आरज़ू 2004-01-15 Comments

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हेल्लो अन्तरवासना के पाठकगण, मैं आपकी फ़ेवरेट आरज़ू। माफ़ी चाहती हूँ कि कल मैं अपनी कहानी पूरी नहीं कर पाई क्योंकि एक अरजेन्ट कॉल आया था सो आज मैं अपनी कहानी वहीं से दोबारा शुरू करती हूं जहां से अधूरी छोड़ी थी।

जैसा कि मैं बता चुकी हूं कि मैंने ब्ल्यू फ़िल्म देख कर अब्बू से ज़िद करी कि मुझे भी चार आदमियों से एक साथ चुदाना है. तब अब्बू ने कहा कि अभी तो तेरा भाई और मैं ही हूं, हां ! कल ज़रूर तूझे चार आदमियों से चुदवा दूंगा और उसके बाद अब्बू ने नये तरीके से मेरी बुर चूसी. जो आप पार्ट एक में पढ़ सकते हैं।

अब बात आगे बढ़ाती हूं।
तो अब मैं अब्बू के कन्धे पर अपने दोनों पैर लपेटे उनका लण्ड चूस रही थी और अब्बू मेरी चूत को चूस रहे थे और वही किनारे मेरा भाई अपने लण्ड को हाथ में लेकर खड़ा था. तब अब्बू ने मुझे नीचे लेटा दिया और भाई से कहा- आओ बेटे, आज इस साली की चूत की दोनों बाप बेटे मिलकर धज्जियाँ उड़ा देते हैं. साली ब्ल्यू फ़िल्म देख कर चार लोगों से एक साथ चुदाने की ज़िद कर रही है तो आज तो हम दोनों ही चार के बराबर चुदाई कर देते हैं बाकि कल इस चूत मरानी को चुदाता हूं चार मुस्टण्डों से!

और फ़िर अब्बू मेरी चूत के मु्ंह पर अपने लण्ड को रगड़ने लगे और भाई मेरे सर के पास मेरे मुँह पर आया और अपने लण्ड को मेरे हाथ में देकर चूसने को बोला।

तब मैं भाई के तगड़े लण्ड को हाथ से सहलाने लगी. और अब्बू जी ने अचानक मेरी बुर पर चिकोटी काट ली और मेरी बुर के दाने के साथ छेड़खानी करने लगे. आज वाकई अब्बू के साथ अलग ही तरह का मज़ा मिल रहा था जो पहले कभी नहीं मिला था।

उधर भाई ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और मैं मज़े से चूसने लगी. अब्बू जान भी अब मेरी जवान बुर पे अपनी जबान रख कर चाटने लगे. फ़िर मैं भी अपने चूतड़ नीचे से उचकाने लगी अब मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी- आआह्हह्ह आआअह्हह अब्बू जान, बहुत मज़ा आ रहा है चूस डालो मेरी बुर को … पी जाओ साली को! बहुत खाज मचती है इसमें! आआह्हह्ह आज अपनी बेटी की चूत की सारी खाज मिटा दो!

अब अब्बू ने अपनी जबान किसी लण्ड की तरह मेरी चूत के अन्दर धकेल दी और मथनी की तरह मथने लगे मेरी बुर को। अब मुझे दो तरफ़ा मज़ा मिल रहा था; एक तरफ़ भाईजान लण्ड अपनी बहन के मुँह में डाले था और अब्बू मेरी चूत को चूस रहे थे.
तब ही मैं ‘आआह्ह आआअह्ह …’ करते हुए झड़ गई और अब्बू मेरे सारे रस को बड़े मज़े से चाट गये. और फ़िर भाई भी जोरदार धक्के मेरे मुँह में लगाते हुए झड़ गया. उसके बाद थोड़ी देर तक हम लोग सुस्त से पड़े रहे।

करीब 20 मिनट बाद अब्बू ने कहा- अब बेटा, इस माँ की लोड़ी की चुदाई करनी है. वो भी इस तरह कि साली ब्ल्यू फ़िल्म की चुदाई भूल जाये!
और ये कहकर अब्बू ने मेरी चूची को कसकर दाब दिया और भाई मेरी पीठ के पीछे से चिपक गया. अब मैं अब्बू और भाई के बीच में पिसी जा रही थी।

आगे से अब्बू अपने सीने से कसकर मेरी दोनों चूची दाबे हुए मेरे लबों को चूस रहे थे और पीछे से मेरा भाई अपने दोनों हाथ से मेरी बुर की दरार को कुरेद रहा था और उसका 7″ का कड़ा लण्ड मैं अपनी गाण्ड पर साफ़ महसूस कर रही थी।

तब ही भाई ने गप्प से अपनी एक अंगुली मेरी चूत में डाल दी और अब्बू तो अब बकायदा मेरी एक चूची के निप्पल को मुँह में दाब कर अपने होंठ से मसल रहे थे और दूसरी चूची को हाथ से बहुत बेदर्दी से दबा रहे थे।
मैं सिसक रही थी- आआह्हह अब्बू … ज़रा धीरे धीरे दबाइये, बहुत दर्द हो रहा है, रहम कीजिए अपनी बेटी पर!

और फ़िर अब्बू ने कहा- बेटा, अब ज़रा आसन लगाने दे, आज एक साथ दो लण्ड तेरी बुर में डलवाऊँगा.
तब मैंने कहा- अब्बू जी, आपके पास तो एक ही है।
अब्बू ने कहा- अरी मेरी छिनाल बिटिया रानी! ज़रा सबर तो कर और पीछे देख! तेरे भाई का लण्ड भी तो है!
और ये कहकर वो बेड पर लेट गये उनका लण्ड किसी सांप की तरह फ़ुफ़कार रहा था।

इस उम्र में भी अब्बू का लण्ड बहुत मोटा और लम्बा था मेरा दिल अन्दर से डर रहा था कि आज मेरी नन्ही सी चूत का क्या होगा?

तब अब्बू ने कहा- मेरी प्यारी बेटी, तू अपनी चूत को मेरे लण्ड पे रख कर बैठ जा!
और मैं अपने दोनों पैर छितरा कर उनके लण्ड पर बैठ गई और फ़िर उनका लण्ड थोड़ा सा मेरी चूत में घुस गया।
तब अब्बू ने कहा- अब तू मेरी तरफ़ झुक जा!

और जैसे ही उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया और मैं जब झुकी तो अब्बू ने अपने दोनों हाथ से मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया और मेरे होंठ को चूसने लगे.
अब अब्बू ने पीछे से भाई को इशारा किया कि तू भी अपना लण्ड इसकी चूत में घुसेड़ दे.
पर भाई इतना समझदार नहीं था, वो अपने लण्ड को मेरी गाण्ड के छेद में घुसेड़ने लगा।

तब मैंने कहा- अब्बू … भाई तो गाण्ड में मारने जा रहा है.
भाई ने कहा- साले बहनचोद … मैं कह रहा हूं कि बहन की चूत में डाल … और तू है कि बहन की गाण्ड के पीछे पड़ा है?
तब भाई ने कहा- इसमें तो आप डाले हुए हैं, मैं कहां से डालूं?
अब्बू ने कहा- साले आजकल के लड़के तो बस चूत मारना और गाण्ड मारना जानते हैं, साले बस लड़की की टांग उठाई और लगे चोदने! अरे साले हरामी, जिसमें मैं डाले हूं, उसी में तू भी अपना लण्ड डाल।

तब अब्बू ने मुझसे कहा- बेटी, तू ज़रा अपनी बुर और ऊपर कर दे ताकि इस बहनचोद को साफ़ साफ़ नज़र आये तेरी चूत!
और फ़िर मैंने अपनी चूत और ऊपर उठा दी।

अब भाई अपने लण्ड को मेरी चूत पे रख कर घिसने लगा. पर मेरी समझ में खुद भी नहीं आ रहा था कि जब अब्बू का लण्ड मेरी चूत में घुसा है, तब भाई का लण्ड कैसे जायेगा मेरी चूत में? हां अगर अंगुली पेलनी होती तो वो जा सकती थी.
पर मैं खमोश थी.

आखिर भाई ने बहुत ज़ोर देकर अपने लण्ड की टोपी मेरी चूत में डाल ही दी और तब मुझे बहुत दर्द हुआ- आआअह्हह ऊऊओह्हह अम्मीईई … अब्बू बहुत दर्द हो रहा है।
तब अब्बू ने कहा- क्या भाई का पूरा लण्ड चला गया अन्दर?
मैंने कहा- नहीं, अभी तो सिर्फ टोपी ही गई है.
तब भाई ने एक धक्का और मारा और अब भाई का करीब चार इन्च लण्ड उसकी बहन की चूत के अन्दर घुस गया था।

मैं चीख रही थी- आआअह्हह अब्बूऊऊ जीईई पलज़्ज़ रहम कीजिये, मैं मर जाऊंगी ईई आआह्ह्ह!
तब अब्बू मेरी चूची को दबाते हुए बोले- बेटी, अभी तुझे बहुत मज़ा आयेगा, जब दो लोगों का लण्ड एक साथ बुर में जाता है तब बहुत मज़ा आता है क्यूंकि मैंने तेरी अम्मी को भी इस तरह से तेरे चचा के साथ चोद चुका हूं!

और तब ही मेरे भाई ने एक और धक्का मारा और मेरा बेलेन्स बिगड़ गया और मैं अब्बू के सीने पर गिर गई और मेरी आंख से आंसू निकलने लगे और मेरी सिसकियाँ बंध गई।
अब भाई और अब्बू का पूरा पूरा लण्ड मेरी चूत में था और एक दूसरे के लण्ड से रगड़ खा रहा था और मेरी चूत की दरार फ़ैलती जा रही थी. अब मुझे भी दर्द की जगह मज़ा आने लगा था और मैं धीरे धीरे उन दोनों का साथ देने लगी थी- आआह्हह आआअह्ह ह्हह … अब्बू … भाई … बहुत अच्छा लग रहा है. और अन्दर कीजिये … आअह्ह ह्हह ऊऊफ़्फ़ … कसम से बहुत मज़ा आ रहा है!

और अब दोनों बहुत ही जोरदार धक्के लगा रहे थे साथ साथ मेरी दोनों चूची को भी मसल रहे थे. तभी मेरे बाप या भाई में से एक का लण्ड मेरी चूत में झड़ा. पर मैं समझ नहीं पाई कि किसका पानी मेरी चूत में गिरा है!
फ़िर कुछ देर बाद मैंने अपनी चूत में एक बार फ़िर से पानी की फ़ुहार महसूस की और फ़िर दोनों के लण्ड ढीले हो गये.

पर मैं अभी झड़ी नहीं थी, तब मैंने अब्बू से कहा- साला बेटी चोद कर अपना पानी तो आप लोगों ने निकाल लिया पर मेरा तो अभी पानी भी नहीं निकला. साले अगर जल्दी ही मेरी प्यास नहीं बुझाई तो तुम दोनों का लण्ड काट लूंगी।

तब अब्बू ने मुझे झट से अपने लण्ड पर बैठा लिया और मेरी चूची को चूसते हुए बोले- मेरी बिटिया रानी, ऐसे बात ना करो, आज देखो मैंने तुमको कितना मज़ा दिया है और अभी तुम्हारा पानी भी निकाल देता हूं.
और फ़िर मुझसे कहा- तुम ऐसा करो कि भाई से एक बार गाण्ड मरवा लो, तुम्हारा पानी भी निकल जायेगा।

तब मैंने कहा- अबे जाहिल … कहीं गाण्ड मरवाने से भी पानी निकलता है बेटीचोद? मेरी बुर में खाज है और तू गाण्ड मरवाने की बात कर रहा है।

तब अब्बू ने कहा- बेटी, मैं तेरी मारुंगा, भाई गाण्ड मारेगा.
और उसके बाद भाई ने मेरी जम कर गाण्ड मारी और आगे से अब्बू मेरी चूत में अपना लण्ड पेले जा रहे थे, अब मुझे दो तरफ़ से मज़ा मिल रहा था।

एक साथ बुर और गाण्ड मरवाने का थोड़ी देर बाद ही मैं झड़ गई और मेरी चूत से फ़स फ़स की अवाज़ आने लगी।

तो दोस्तो, कैसे लगी मेरी कहानी? अपने मेल के द्वारा ज़रूर बताइयेगा. और हां लड़कियाँ भी बेहिचक अपने मेल भेज सकती हैं।

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