नई जवानी की बुर की चुदाई-5

(Nai Jawani Ki Bur Ki Chudai- Part 5)

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अभी तक आपने प्रिया की बुर चुदाई की घटना पढ़ी कि वो पूरे शरीर की वैक्सिंग करवा के आई और उसका चिकना बदन देख मुझसे रुका नहीं गया और उसकी बुर की चुदाई कर दी. अब आगे पढ़िए कि कैसे मैंने खुली छत पर उसकी गांड मारी.
साढ़े सात का टाईम हो रहा था, दोनों उठे, बारी-बारी से नहाने गये और फिर तैयार होने लगे, खाना खाने के हमारे पास दो विकल्प थे, एक घर में बना कर खाने का और दूसरे होटल में जाकर खाने का… मैंने प्रिया से पूछा तो होटल का तो उसने मना कर दिया, फिर हम दोनों ने मिलकर खाना बनाया और खाना खाकर छत पर चले गये।

गर्मी बहुत पड़ रही थी, हवा नहीं चल रही थी, मैंने कई बार प्रिया से वापस नीचे चलने के लिये बोला, लेकिन ‘थोड़ी देर रूको, थोड़ी देर रूको’ कह कर वो बात टाल देती थी।
मुझे गर्मी बहुत लग रही थी, तो मैंने अपनी लोअर और गंजी को उतार दिया, और एक टेबल फेन ऑन करके उसके सामने बैठ गया।
प्रिया का ध्यान जब मेरी ओर गया और उसने मुझे केवल अंडरवियर में देखा तो वो भी अपनी कुर्ती और बॉटम को उतारकर पेंटी और ब्रा में बैठ गई।

मेरे मन में मजा लेने की बात आई, मैंने प्रिया से कहा- देखो, मैं केवल जांघिये में हूँ और जबकि तुमने ऊपर और नीचे दोनों पहन रखे हैं।
वो उठी और मेरी तरफ पीठ करके बोली- लो ब्रा की हुक खोल दो, मैं भी केवल पेंटी में आ जाती हूँ।
मैंने उसकी ब्रा उतार दी और वो मेरे सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए बोली- लो, अब ठीक है?

मैं अपने पैर को उसकी जांघों के बीच में रखकर अंगूठे से उसकी बुर को कुरदते हुए बोला- हाँ अब ठीक है!
उसकी छोटी-छोटी तनी हुई चुची मुझे आमंत्रण दे रही थी कि ‘आओ और मुझे पियो।’

तभी प्रिया भी अपने अंगूठे से मेरे लंड को सहलाने का प्रयास कर रही थी। धीरे-धीरे उसके द्वारा मेरे लंड को सहलाये जाने से लंड महाराज अकड़ने लगे। इधर मैं भी उसकी बुर पर लगातार अपने अंगूठे से आक्रमण कर रहा था, जिसके ऐवज में प्रिया अपनी आँखें बन्द किये अपने होंठों को चबाने में विवश हो गई।

मेरा लंड तन चुका था, मैंने अपनी चड्डी उतारी और लंड को आजाद कर दिया, उसके बाद मैं उठकर प्रिया के पास गया, मेरे अंगूठे का टच हटने से उसने अपनी आँखें अचकचा कर खोल दी।
मेरी उंगलियां अब प्रिया की पेंटी की इलास्टिक पर फंस चुकी थी, प्रिया ने भी अपनी कमर उचका कर पेंटी उतरवाने में मेरी मदद की।

फिर हम दोनों छत पर पड़े गद्दे पर लेटे, मैं 69 की अवस्था में आना चाहता था, मैंने प्रिया के मुंह के पास अपने लंड को टिका दिया और लेटकर उसकी बुर को चूमने लगा। प्रिया मेरे लंड को चूसने लगी.
कुछ देर के बाद मैं नीचे लेट गया और प्रिया को उसी तरह से मेरे ऊपर आने को कहा, अब प्रिया की बुर मेरी तरफ थी और मुंह मेरे लंड पर था, प्रिया ने पानी छोड़ दिया था, मेरी जीभ लपलापाती हुई अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच गई, इधर प्रिया भी मेरे लंड से खेल रही थी, पूरा का पूरा लंड वो मुंह के अन्दर भर लेती, और फिर अन्दर अपनी जीभ फिराती, कभी मेरी जांघ को चाटती और अंडे को मुंह में भरती और जब लंड को वापस चूसती तो अंडे को खूब अच्छे से मलती।

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काफी देर तक यह चलता रहा, फिर मैंने प्रिया को जमीन पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़कर लंड को बुर में डाल दिया और फिर चोदा चोदी शुरू हो गई, प्रिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज के साथ हिलती रहती और बीच-बीच में अपनी कमर को उठाती जाती और लंड को अपनी बुर के और भी अन्दर लेने का प्रयास करती।

अब कभी मैं उसके ऊपर चढ़कर चुदाई करता तो कभी वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरा बाजा बजाती, इसी तरह अगले दस मिनट तक गुत्थमगुत्थी होती रही और फिर अन्त में एक बार फिर 69 की अवस्था में आकर दोनों ने एक दूसरे के रस का आनन्द लिया।
फिर वो मेरे बगल में आकर लेट गई, शायद उसका अभी मन नहीं भरा था कि वो मेरे मुंह में अपनी चूची को ठूंसती हुई बोली- शक्ति मेरा दूध पियो!

वो बारी-बारी से अपने स्तन को मेरे मुंह में भरती और मैं उसको चूसता। उसके बाद वो मेरे बगल में आकर लेट गई, हम दोनों के चेहरे एक दूसरे के सामने थे, वो बहुत खुश नजर आ रही थी, मैंने उसके गालो को सहलाना जारी रखा और वो मेरे मुरझाये हुए लंड को अपने हाथों में लेकर खेल रही थी।

तभी मैंने उसकी एक टांग को अपने कमर के ऊपर चढ़ाया और अपनी एक उंगली को उसकी गांड के अन्दर डालने का प्रयास करने लगा तो वह मेरा हाथ पकड़कर बाहर निकालते हुए बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, तुम्हारी गांड के छेद को ढीला कर रहा हूँ, ताकि लंड को उसके अन्दर डालूं।

तब वो कुछ नहीं बोली और मैं धीरे-धीरे उसकी गांड में उंगली डालने लगा और वो मुझसे कस कर चिपकी हुई थी। मैं पूरी स्वंतत्रता के साथ उसकी गांड में उंगली अन्दर डाले जा रहा था, बीच-बीच में वो अपने दर्द का अहसास मुझे कराती जाती थी लेकिन उसने मुझे अपनी गांड में उंगली करने से नहीं रोका, हालांकि वो भी मेरे गांड में उंगली करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसका हाथ मेरे कूल्हे तक ही आ पा रहा था।

इस तरह से काफी देर तक लगातार प्रयास करते रहने से मेरी दो उंगलियाँ उसकी गांड के अन्दर आसानी से आने जाने लगी। इधर मेरा लंड भी तैयार हो गया था, मैंने प्रिया को पट लेटने को कहा और बोला- हो सकता है कि जितना दर्द तुम्हारी बुर को हुआ था, उससे ज्यादा गांड में हो, लेकिन एक बार दर्द सहने के बाद जैसे तुम बुर का मजा पा रही हो, गांड का भी मजा पाओगी.

फिर मैंने प्रिया से उसकी गांड फैलाने को बोला, उसने अपने कूल्हे को पकड़कर गांड को फैला दिया, मैंने अच्छे से थूक उड़ेल कर उसकी गांड को गीला किया और लंड को उसकी गांड में डालने का प्रयास किया। करीब सात आठ बार टच करके निकालना और फिर अन्दर डालने की कोशिश में सुपारा भर अन्दर जा पाया था कि प्रिया बोली- काफी दर्द हो रहा है.

मेरे भी सुपारे में जलन हो रही थी तो भी मैं प्रिया को ढांढस बंधाते हुए थोड़ा बर्दाश्त करने की सलाह दे रहा था। मैं सुपारे को बाहर नहीं निकालना चाह रहा था तो थोड़ा और जोर लगाते मेरा लंड करीब एक सेंटीमीटर और अन्दर गया.
प्रिया बोली- शक्ति निकाल लो!
‘बस हो गया!’ मैं भी उसको ढांढस बंधाते हुए बोला.

अब जितना लंड अन्दर गया था उसी को मैं थोड़ा-थोड़ अन्दर बाहर करने लगा, इसी बीच उसने अपना हाथ कूल्हे से हटा लिया.
चूंकि वो विवश थी, पर थोड़ा और प्रयास करने पर लंड आधा जा चुका था और लंड ने बड़े प्यार से गांड के अन्दर अपनी जगह बना ली थी। इस तरह करते-करते मेरा पूरा लंड प्रिया की गांड के अन्दर धंस चुका था।

मैं प्रिया की पीठ पर लेट गया और उससे बोला- कैसा लग रहा है?
वो बोली- अगर निकाल लो तो मेरा दर्द खत्म हो जायेगा।
‘जान चिन्ता मत करो, जिस तरह तुम्हें बुर की चुदाई का मजा मिला है, उसी तरह तुम्हें गांड चुदाई का मजा मिलेगा।

और वास्तव में जब लंड ने पूरे गांड में जगह बना ली और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा, तो प्रिया को भी मजा आने लगा। अब वो दर्द से चिल्लाने के बजाये आह-ओह, आह-ओह करने लगी और तब तक करती रही जब तक कि मैं उसकी गांड में झड़ नहीं गया।

उसके बाद प्रिया मुझसे चिपक गई, उसकी गांड मेरे लंड से टच कर रही थी, उसकी पीठ मेरे सीने से और मेरे दोनों हथेलियां उसकी चूचियों पर थी.

पता नहीं कब नींद आ गई, लेकिन आधी रात को प्रिया की सिसकी और रोने की आवाज से मेरी नींद टूट गई, देखा कि प्रिया अपने घुटने को अपनी छाती से चिपकाये हुए कराह रही थी और बार बार अपनी गांड को सहला रही थी।
मैंने प्रिया को अपनी तरफ करते हुए कहा- क्या हुआ?
‘मेरे पीछे बहुत जलन हो रही है।’

मैं समझ चुका था कि मामला क्या है, मैं नीचे गया, सोफ्रामाईसिन की ट्यूब और हल्का कुनकुना पानी और सेवीलॉन तथा कुछ कॉटन लाकर प्रिया की गांड को सेविलॉन और कुनकुने पानी से साफ किया और फिर सोफ्रामाईसिन लगाकर उसको अपने सीने से चिपका लिया।
थोड़ी देर तक तो वो सुबकती रही, फिर वो नींद के आगोश में समा गई और मैं भी सो गया।

बुर की चुदाई की यह मजेदार कहानी जारी रहेगी.
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