मामी की गांड चोद कर सुहागरात मनायी-3

(Mami Ki Gand Chod Kar Suhagrat Manayi- Part 3)

किरण कुमार 2019-02-19 Comments

नमस्कार दोस्तो, मैं राहुल … भूल तो नहीं गए? दरअसल कुछ निजी कारणों के चलते थोड़ा व्यस्त था, इसलिए कहानी का अगला भाग लिखने में देरी हुई, इसके लिये मैं माफी चाहता हूँ.

आज में आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ, यह कहानी मेरी पिछली कहानी
मामी की गांड चुदाकर सुहागरात मनाई
के दूसरे भाग से आगे का भाग है.

सुबह के पांच बज गए थे, रात का अँधेरा छंटने लगा था. जब मेरी नींद खुली, तो देखा कि मामी जी उसी तरह नंगी मेरी बगल में सो रही थीं. उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था. उनके नंगे बदन को देख कर रात की घटना अब मेरे दिमाग में आने लगी थी और मेरा ध्यान मामी जी की चिकनी चमकती हुई गुलाबी चूत पर केंद्रित हो गया. उनकी चूत ऐसी लग रही थी, जैसे एक छोटा करेला किसी ने छील कर बीच में से चीर दिया हो. चूत के होंठ सूजकर एकदम फूली हुई पॉव रोटी जैसे हो गए थे … बिल्कुल लाल गुलाबी.

तभी मामी जी ने मेरी ओर करवट ली और उनके बड़े बड़े स्तन मेरे हाथों से टकराने लगे. मैं अपना हाथ सीधा किया और हल्के हाथ से मामी जी के स्तनों को दबाने लगा. इतने मक्खन से मुलायम उनके स्तनों को थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने अपना बांया हाथ उनकी मख़मली चूत पे रख दिया. चूत पर हाथ के स्पर्श से मामी जी की आंख खुल गई और उन्होंने मेरी तरफ देखा.
हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए.

मैंने उनकी चुत को सहलाते हुए कहा- गुड मॉर्निंग जानू..
मामी जी भी बोलीं- गुड मॉर्निंग मेरे सैंया.

तभी उनकी नजर मेरे लंड पर गई, मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था. यह देख कर मामी मुस्कुरा दीं और लंड को अपने हाथ में लेकर हल्के हाथों से हिलाने लगीं.
मामी जी- क्या ये अभी भी भूखा है? सारी रात तो मुझे चोदता रहा और अब फिर से अकड़ गया.
मैं- अब ऐसी प्यारी चूत और गांड मिले, तो ये रात दिन खड़ा ही रहेगा मामी जी.
मामी जी- राहुल, आपकी चुदाई और आपका लंड तो इतना मस्त शानदार है कि जी चाहता है कि आप मुझे चोदते जाओ और मैं आपसे चुदवाती रहूँ.
मैं- मामी जी, मेरी भावनाएं भी कुछ ऐसी ही हैं. मुझे आपकी गांड मारने में बहुत मज़ा आया. ऐसा मज़ा आज तक मुझे कभी नहीं मिला था.

यह सुनकर मामी जी मुस्कराने लगीं. मामी जी ने मुस्कुराते हुए अपनी चूत की तरफ इशारा किया और कहा- देखो तो इस मूसल ने मेरी कोमल सी चूत का क्या हाल बना दिया है?

सच में दोस्तों मामी जी की चुत एकदम फूली हुई नजर आ रही थी. मामी जी ने थोड़ी करवट ली और अपनी चुदी हुई गांड को देखने लगीं और बोली- राहुल, देखिए क्या हालत कर दी आपने मेरी गांड की, कितनी छोटे से छेद वाली गांड थी.
मैं मामी की गांड देखने लगा.

मामी अपनी गांड के छेद को छूते हुए कहने लगीं- गांड का छेद कितना बड़ा हो गया है. मेरी तीन उंगलियां भी एक साथ अन्दर चली जा रही हैं.
मैंने देखा मामी जी की गांड का छेद पहले से वाकयी बहुत बड़ा हो गया था. मैंने उन्हें होंठों पर एक किस किया और कहा- बधाई हो मामी जी, आखिर आपकी गांड का उद्घाटन हो ही गया.
मामी जी- आपको भी बधाई हो राहुल … आखिर आपकी ही तो मेहनत का फल है. आपकी भी सुहागरात आज पूरी हुई है.

हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

मामी- राहुल मेरे शरीर में हल्की सी थकान महसूस हो रही है और गांड में भी दर्द हो रहा है.
मैं- ह्म्म्म मेरे पास इसका इलाज है, चलो मामी जी बाथरूम में हल्का सा शावर लेते हैं, वहां आपका दर्द में भगा दूँगा.

वो गांड में दर्द के मारे उठ नहीं पा रही थीं, तो मैंने उन्हें अपनी गोदी में उठाया और नीचे उतर कर दरवाजा बंद करके बाथरूम में ले गया. बाथरूम में हैंड शावर से हम दोनों ने अच्छे से एक दूसरे को नहलाया. मामी जी को अब काफी अच्छा लग रहा था.

मुझे एक बार और मामी जी की गांड मारनी थी. मैंने सोचा क्यों ना शावर में चुदाई हो जाए. यह सोच कर मैंने हैंड शावर चालू कर दिया. जैसे ही शावर का ठंडा पानी मामी जी के ऊपर पड़ा, उनकी जोर से सिसकारी निकल गई और वे मुझसे कसके लिपट गईं. पानी हल्का सा ठंडा और सेक्सी सा कम्पन दे रहा था.
मैंने भी मामी को बांहों में भर लिया. कुछ देर में हम दोनों का पूरा बदन भीग गया और हम दोनों फ़िर से गर्म हो गए. मैं उनके गाल, माथे, और गले पर चुम्बन करने लगा और दोनों हाथों से धीरे धीरे से उनकी पीठ को मैं सहलाता जा रहा था.

मैं- मामी जी क्यों ना मॉर्निंग वाली चुदाई हो जाए.
मामी जी- राहुल, आपके लंड के लिए मैं हमेशा तैयार रहती हूं.

यह सुनकर मैंने मामी जी को शावर की दीवार के साथ सटा कर खड़ा किया और उनके होंठों को अपने होंठों में भर लिया. साथ ही मामी जी के बड़े बड़े मुलायम स्तनों को मसलते हुए, उनके होंठों का मैं रसपान करने लगा. मामी जी के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गयी और कामुकता के कारण वो भी मेरे होंठों को जोर से चूसने लगीं और मेरे मुँह के अन्दर अपनी जीभ डालने लगीं. हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.

मामी जी के रसीले होंठ चूसने के बाद मैं उनके बड़े बड़े मुलायम स्तनों की तरफ बढ़ा. मैंने प्यार से उनके एक स्तन को अपने मुँह में लिया और जीभ फिरा फिरा कर चूसने लगा. कभी एक तो कभी दूसरा, मैंने लगातार मामी के दोनों मम्मों के निप्पलों को बारी बारी से चूस रहा था और उन्हें हल्के से बाइट भी कर रहा था.

जब मैं उन्हें बाइट करता, तो मामी जी जोर से ‘आहह … धीरे..’ की आवाज़ निकाल देतीं.

अब मैं मामी जी के स्तनों को चूमते हुए उनकी नाभि की तरफ बढ़ रहा था. फिर मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और मामी जी के पेट पर प्यार से हाथ घुमाने लगा. फिर मैं उनकी नाभि में जीभ फिराते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैं जैसे ही नीचे जांघों के पास पहुंचा, मामी जी ने दीवार के सहारे खड़े खड़े ही अपने पैर खोल दिए. जिससे उनकी भरी हुई चूत पूरी तरह से मेरे सामने आ गई.

मामी जी एक टांग को उठा कर मैंने अपने कंधे के ऊपर रखा, इससे मामी जी की चुत की दोनों फांकें खुल गईं. मैंने अपने होंठों को उनकी चूत पर लगाया और चूत चूसने लगा. मै जैसे ही अपनी जीभ से उनकी चूत के दाने को सहलाने लगा, उनके अन्दर की औरत की वासना का सैलाब निकल पड़ा- अह्ह्ह्ह अहह्स्स राहुल … अह्ह्हह अह्ह्ह आह्ह्ह मजा आ रहा है … अह्ह्ह्ह अह्ह्ह.

मेरे सिर को अपनी चूत पर कस के दबा कर मामी सिसकारियां लेने लगीं, उनकी मादक सिसकारियां सुनकर मेरा जोश और बढ़ने लगा. मैं उनकी चूत को और जोर से चाटने लगा. थोड़ी देर बाद उनका पूरा बदन अकड़ने लगा और उन्होंने फिर से मेरे सिर को अपने चूत पर और कस के दबा लिया, वो झड़ गईं. मैंने उनका सारा कामरस चाट लिया और उनकी चूत को चाटकर साफ़ कर दिया.

उसके बाद मैं उठ कर खड़ा हुआ और मैंने मामी जी को पलट कर दीवार पर सटा दिया और उनको पीछे से अपनी बांहों में भर कर अपने होंठों को उनकी नंगी पीठ पर टिका दिया. मामी की नंगी पीठ को चूमते हुए मैं फिर से घुटनों के बल नीचे बैठ गया. अब मामी जी की मस्त मोटी गांड मेरे सामने थी, जिसका मैंने कल रात को उद्धाटन किया था.

ठंडे पानी की फ़ुहार मामी जी की गोरी कमर से फ़िसलते हुए चूतड़ों से जांघों पर बह रही थी. बड़ा ही कामुक दृश्य था. मैं मामी के दोनों मांसल चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में ले कर मसलते हुए चूमते हुए चाटने लगा. मामी जी का उत्तेजित बदन एक बार और सिहर उठा. बिना कुछ बोले ही उन्होंने अपनी टांगें और फैला दीं.

फिर मैंने मामी जी के चूतड़ अपने दोनों हाथों से पकड़कर फैलाए, जिससे उनकी गांड का छेद दिखने लगा. मैंने गांड के छेद के ठीक पास में दोनों तरफ अपने दोनों अंगूठे लगाए और छेद को चौड़ा कर जीभ नुकीली कर अन्दर घुसा दी.
मामी जी की सिसकारी निकल गई- अह्ह्ह्ह ओह राहुल … तुम मुझे मार ही दोगे.

मैं जीभ अन्दर बाहर करके जीभ से ही उनकी गांड छेद को चोदने लगा. मामी जी भी जोर-जोर से सीत्कारते हुए मेरी जीभ के मज़े ले रही थीं. इधर मेरा लंड भी अब ऐसा तन गया था कि उसमें तकलीफ़ होने लगी थी.

मुझसे अब सब्र नहीं हो सकता था. मैं खड़ा हो गया और उनको पीछे से पकड़ कर उनकी पीठ पर एक चुम्बन जड़ दिया. मेरा तना हुआ लंड मामी जी की गांड की दरार में रगड़ खा रहा था. मामी जी भी पीछे की ओर अपनी गांड मेरे लंड पर दबा कर अपने चूतड़ों की दरार में लंड महसूस करके मस्त हो रही थीं.

मैंने अपने लंड को पकड़ कर अपने घुटनों को थोड़ा सा मोड़ लिया और मामी जी के चूतड़ों को फैलाकर अपने लंड के सुपारे को उनकी गांड के छेद पर टिका दिया. मामी जी ने भी मस्ती में आकर अपनी जांघों को थोड़ा सा खोल कर दीवार पर अपनी हथेलियों को जमा दिया. इसके बाद मामी ने पीछे से अपनी गांड को थोड़ा सा बाहर निकाल लिया … जिससे मेरा लंड का सुपारा उनकी गांड के छेद में घुस गया.

‘सीईईई …’ सिसकते हुए मामी जी ने अपने पैर और पसार दिए.
मैंने मामी जी की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा. मेरा आधा लंड मामी जी की गांड को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
मामी जी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- ह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… सीईई ईईईई अहह..

उन्होंने अपने होंठों को दाँतों में भींच लिए. अब मैंने अपने हाथ आगे करके पीछे से मामी जी के दोनों स्तनों को कस के पकड़ लिया और फिर से एक जोरदार धक्का दे मारा. इस बार मेरा आधे से ज्यादा लंड मामी जी की गांड को चीरता हुआ अन्दर जा घुसा.

मामी जी- आहह … उईईईई, मज़ा आ गया … और जोर से डालो … अपना लंड. … मेरी गांड में … अह्ह्ह फाड़ डालो … ऊऊहह … आआहह … अन्दर … और अन्दर आज्ज्जाआ … आअहह … मेरी गांड.
मैंने अपनी पोजीशन बनाते हुए कहा- मेरी प्यारी मामी … आह. … मेरी जान … आहह ले ना मेरी रानी.. … उम्म्म्मम आहहहाहा..
इस बार मैंने सुपारे तक धीरे धीरे लंड को बाहर निकाला और मामी जी के दोनों स्तनों को कसके पकड़ के फिर से एक जोरदार धक्का देकर एक बार में ही पूरा अन्दर तक पेल दिया.

मामी जी- अहहह … अय्य्यीईई … मरर गयी … धीरे धीरे से … अह्ह्ह … ऊऊऊ … ईईई ऊऊ. … धीरे सेसीईई … मेरे राजा.
मैं- ओऊऊऊ क्या हुआ मेरी जानू… अभी तो बोल रही थी ज़ोर से … और अभी चिल्ला रही हो … मेरी रानी मामी.
मामी जी- राहुल आपका लंड. … सीईई हिह … इतना मोटा और लंबा है, बिल्कुल घोड़े जैसा है … ऊफ्फफऊ भूल गई थी … रात को तेल के कारण तकलीफ़ नहीं हुई.

मैं धीरे धीरे से अपने लंड को अन्दर बाहर करते हुए कहने लगा- तो क्या हुआ पहली बार थोड़ी ही ले रही हो मेरी जान … कल रात से ही तीसरी बार गांड में घुसवा रही हो मामी जी … ह्हम्म फिर भी आपकी गांड थोड़ी अभी भी कसी हुई ही लग रही है.
मामी जी- आह मेरे लंडधारी पतिईईई … सीईईई … ओ मेरे राजज्जा कल रात को ही तो आपने मेरी कुंवारी गांड की सील अपने विशालकाय लंड से तोड़ी है.
मैं- ह्हम्म क्या मस्त गांड है आपकी … ऊऊऊ कल रात की चुदाई कैसे भूल सकता हूँ. … रात को तो बहुत मजा आया अहहहहाआ…
मामी जी- जानू धीरे से उईईई … अभी भी आपके लंड से मेरी गांड की दोस्ती थोड़ी कम ही हुई है.
मैं- तो आज दोस्ती पक्की हो चुकी समझो मेरी जान.
मामी- हम्म..

मैंने अपने धक्कों को स्पीड़ थोड़ा बढ़ाते हुए कहा- अभी भी गांड क्या कसी हुई ईईई है … मेरे रानी!
मेरी बातें सुनकर मामी जी ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और अपने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आईं. उन्होंने मेरे कान पर चुम्मा दिया और यह करते वक़्त वो धीरे धीरे पीछे होके और अपनी कमर हिला कर, मेरे लंड को अपनी गांड के अन्दर बाहर करने की कोशिश कर रही थीं.

इसके साथ ही मामी मेरे कान में फुसफुसा कर बोलीं- अहहहह … हम्म्म्म ऐसे ही मेरी जानू उहूहूहू धीरे धीरे … सब्र करो ऐसे दो तीन बार गांड चुदाई होने के बाद मेरी गांड की आपके लंड से दोस्ती हो जाएगी … फिर आराम से अन्दर बाहर होने लगेगा.
मैं अपने लंड को धीरे धीरे मामी जी की गांड में धक्के देकर अन्दर बाहर करते हुए बोला- फिक्र मत करो मामी जी, आज तो आपकी गांड से दोस्ती हो गई समझो … ओह … सीईई…

अब मैं लंड को उनकी गांड में थोड़ा जोर से अन्दर बाहर कर रहा था. मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सुपारा अन्दर रहता, तो एक ही धक्के में अपना लंड उनकी गांड में पेल देता.
मामी जी भी अपनी कमर को पीछे की और धकेल कर मज़ा ले रही थीं. इसी बीच मेरे अण्डकोष मामी जी की गांड पर लगते और थप थप की आवाज़ आती.

मुझे भी जोश आता जा रहा था, इस समय मामी जी की गर्दन को पकड़ कर उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमाया और उनके गुलाबी रसीले होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया. मामी जी भी कामुक सिस्कारियां लेते हुए मेरे होंठों को चूसने लगीं.

इधर शावर का ठंडा पानी हम दोनों पर गिर रहा था. लेकिन फिर भी हम दोनों के बदन बहुत गर्म महसूस हो रहे थे. शावर से गिरता पानी मामी जी के स्तनों से होता हुआ चूतड़ों तक ओर फिर नीचे चुदाई के साथ लंड से होता हुआ गांड के अन्दर बाहर निकल रहा था, जिससे पच पच पच की आवाजें बाथरूम में गूंज रही थीं.

मैं मामी जी के होंठों को चूसते हुए, नीचे जोर जोर से अपने लंड को उनकी की गांड के अन्दर बाहर कर रहा था. मेरे लंड की रगड़ को अपनी गांड के अन्दर महसूस करके, मामी जी भी अब पूरी मदहोश हो चुकी थीं. मामी ने अब पूरे जोश में आते हुए तेज़ी से अपनी गांड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.

मामी जी मेरे के होंठों से अपने होंठ अलग करती हुई सीत्कारने लगीं- सीईईई … बहुत अच्छा लग रहा है … सीईईईई … हाय राजा … मारो धक्का … जोर जोर से चोदो अपनी मामी की गांड को … … हाय मेरे सैयां … हाय मेरी चुत भी पानी छोड़ने लगी है.
मैं पूरा जोर लगा कर धक्का मारते हुए चिल्लाया- हाय सीईईई … क्या कसी है मामी तुम्हारी गांड … मजा आ गया …
मामी जी- अह्ह्ह फाड़ डालो. … आज इसे … अपने मोटे लंड से. … अह्ह्ह्ह्ह्ह. … सच में बहुत मजा आ रहा है … हां…ऐसे ही … ओह्ह्ह सैयां जी … मैं आज से आपकी पत्नी बन गयी.
मैं- हां मेरे रानी अब तो ये पति तुम्हारी दिल से सेवा करेगा.
मामी जी- अह्ह्ह्ह … ऐसे ही मन लगा कर बीबी की सेवा करना … हाय … सीईईईई … उफ्फ्फ … मेरे राज्जाअ … राहुल … और तेज़ … अओउरर्रर तेज. … सीईई …

मैं मामी जी के स्तनों को मसलते हुए उन्हें कस-कसकर चोद रहा था, जिससे बाथरूम में जोर जोर से पच पच पच की आवाजें हो रही थीं. मामी जी भी जोर जोर से सिस्कारियां लेते हुए उतनी तेजी से गांड आगे पीछे करके मेरा पूरा साथ दे रही थीं. पूरे बाथरूम में चुदाई का मधुर संगीत गूंजने लगा था.

मामी जी और मैं वासना के सागर में इस कदर डूबे हुए थे कि हम को अंदाज़ा तक भी नहीं था कि शावर का पानी बंद हो गया था. अब हम दोनों भी अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुके थे. आखिर में मैंने एक बहुत ही ज़ोरदार झटका मारा, तो मामी जी के मुँह से फिर से चीख निकल गई- अहहहहाआ … मररर्रर गईई.

तभी मेरे लंड से गर्म गर्म वीर्य की मोटी मोटी पिचकारियां निकलने लगीं. इतना अधिक माल निकला कि मामी जी की पूरी गांड भर गयी. लेकिन मैं मामी जी की गांड में अभी भी दीवानों की तरह अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था. मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियां मामी जी की गांड में निकल कर गिरने लगी थीं. अपनी गांड में वीर्य की गर्माहट महसूस करती मामी जी एक बार फिर जोर से चीखते हुए झड़ने लगीं- औअहह हहहहहहा … मैं भी गयी … अहम्म्म्म ममम.

इस चीख से पूरा बाथरूम फिर शांत हो गया. हम दोनों पूरी तरह से हांफ रहे थे. मैंने पूरा शांत हो कर मामी जी के कंधे पर अपना सर टिका कर उनको कस के पकड़ लिया. जब हम दोनों की साँसें दुरुस्त हुईं, तो अपना लंड मामी जी की गांड से धीरे धीरे बाहर निकाल लिया. जैसे ही मेरा लंड मामी जी की गांड से बाहर आया … तो मामी जी सीधी हुईं और उन्होंने घूम कर मुझे चूम लिया. उनके सीधे खड़े होते ही, उनकी गांड से वीर्य की धार बह कर बाहर निकलते हुए, उनकी जांघों से होते हुए नीचे फर्श पर गिरने लगी थी.

हमें बहुत देर हो गई थी. लगभग सवा घण्टे से हमारी कामलीला चल रही थी. हम कुछ देर बाद अलग हुए और बाथरूम से निकल कर अपने बेडरूम में चले गए. मैंने और मामी जी ने अपने आपको टॉवल से साफ़ किया. फिर हम कपड़े पहनने की सोच ही रहे थे कि तभी याद आया कि हमारे कपड़े तो ऊपर छत पर ही हैं.

मैंने अपने कपड़ों के बैग में से नए कपड़े निकाल कर पहन लिए और एक दूसरे से चिपक कर सो गए.

इसके बाद क्या हुआ, वो अगले भाग में पेश करूँगा. आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा.
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
कहानी जारी है.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top