मेरे भैया मेरी चूत के सैय्याँ-5

(Mere Bhaiya Meri Chut ke Saiyya-5)

This story is part of a series:

दोस्तो, मैं जैस्मिन साहू आप लोगों के लिए अपनी पिछली कहानी को आगे बढ़ा रही हूं. मेरी कहानी
मेरे भैया मेरी चूत के सैय्यां
को आप लोगों ने पसंद किया उसके लिए आप सभी का धन्यवाद.

उसी कहानी को अब मैं आगे लेकर जा रही हूं. काफी लोगों के मेल मुझे मिले जिसमें उन्होंने कहानी को आगे बताने के लिए कहा था.

इससे पहले की कहानियों में मैंने आपको बताया था कि कैसे हम तीनों भाई-बहन गंगरेल डैम पर घूमने के लिए निकले थे. वहां पर रास्ते में जाते हुए मेरी चूत में पेशाब लगी तो मैंने भैया को रुकने के लिए कहा था और वहां पर मेरे भैया ने मेरी और दिव्या की चूत चोदी थी.

खुले में चुदाई करके हम तीनों की हालत खराब हो गई थी. हम लोगों में चलने की भी हिम्मत नहीं थी मगर किसी तरह से हम लोग मेन रोड पर पहुंचे. भैया ने भी दो गर्म चूतों को संतुष्ट किया था इसलिए उनकी हालत भी बाइक चलाने की नहीं रह गई थी.

हम लोगों ने मेन रोड पर पहुंच कर कुछ देर तक आराम किया और फिर हम लोग गंगरेल डैम के लिए निकल पड़े. रास्ते में हम लोगों ने सफर का खूब मजा लिया. अब तक हमारा जोश फिर से वापस आ गया था.

डैम पर पहुंचने में हम लोगों को आधे घंटे का समय लगा. वहां पर एक गार्डन था तो हम वहां पर आराम करने लगे. कुछ देर आराम करते हुए हम बातें में मशगूल रहे.

फिर मैंने दिव्या और भैया से कहा कि मेरे पास उन दोनों के लिए एक सरप्राइज़ है.
वो दोनों मेरी तरफ हैरानी से देखते हुए बोले- अब और कौन सा सरप्राइज़ रह गया है?
मैंने कहा- उसके लिए तुम दोनों को पहले अपनी आंखें बंद करनी होंगी.
मेरे कहने पर उन दोनों ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

उन दोनों के आंखें बंद कर लेने के बाद मैंने अपने बैग से बीयर की बोतलें निकाल लीं और उन दोनों को आंखें खोलने के लिए कहा.
जैसे ही उन दोनों ने बोतलें देखीं तो वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराने लगे.
भैया बोले- तू तो बहुत ही चालबाज है जैस्मिन. यहां पर भी मस्ती के लिए पूरा इंतजाम करके ले आई है.

इतने में ही दिव्या ने भी अपने बैग से बोतल निकालते हुए हम दोनों को दिखाई. इस पर हम तीनों ही हंस पड़े. हमने पीने के लिए एक बोतल खोल ली और उसी में से पीने लगे. एक बोतल में से हमने एक-एक पैग बना लिया और पीने लगे. दूसरी बोतल को हमने कुछ देर बाद पीने के लिए ऐसे ही रख दिया.

फिर हम लोग खाना खाने लगे. उसके बाद साथ में बैठ कर गेम भी खेलने लगे. कुछ देर गेम खेलने के बाद फिर हमने डैम की ओर जाने का फैसला किया. उस समय डैम खुला हुआ था. सब तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा था.

पानी में उतरने के बाद हम तीनों ही एक दूसरे के साथ खेलने लगे. पानी में उतर कर हम लोग पूरा मजा ले रहे थे. मैंने इतने में ही भाई को पकड़ लिया और दिव्या ने भैया को पूरा का पूरा पानी में भिगो दिया. भैया ऊपर से नीचे तक पानी में नहा गये. यह सब देखने में काफी रोमांचक लग रहा था.

वहां पर मस्ती करने के बाद फिर हम लोग गार्डन की तरफ वापस आ गये. गार्डन में एक जगह पर काफी झाड़ियां थीं और हमने उसी तरफ जाने का फैसला किया क्योंकि वहां पर काफी सुनसान सा एरिया नजर आ रहा था. सब जगह पत्थर ही पत्थर दिखाई दे रहे थे.

मैं अपने भैया के आगे आगे चल रही थी और इसी बीच भैया के मन में पता नहीं क्या आया कि उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया. मैं भैया को मना करने लगी लेकिन तब तक भैया का लंड खड़ा हो चुका था और मेरी गांड की दरार में चुभना शुरू हो गया था.

भैया से मैंने कहा- थोड़ा अंदर की तरफ जाने दो उसके बाद जो करना है कर लेना, क्योंकि यहां पर कोई देख लेगा.
मगर भैया जिद करने लगे, कहने लगे- मेरे खड़े हुए लंड को यहीं पर चूसो, मेरा बहुत मन करने लगा है.

बीच रास्ते में ही मैंने भैया के लंड को उनकी पैंट की जिप खोल कर बाहर निकाल लिया और उसको मुंह में लेकर चूसने लगी. मैं भैया का लंड चूस रही थी और वो दोनों आपस में किस करने लगे.

दो मिनट ही हुए थे कि भैया ने मेरे मुंह से लंड को निकाल दिया और दिव्या को झुकाने लगे. दिव्या वहीं पर झुक गई. उसने नीचे से पैंटी नहीं पहनी हुई थी. इसलिए दिव्या की जीन्स उतारते ही उसकी चूत दिखने लगी.

भैया ने दिव्या की चूत में लंड पेलना शुरू कर दिया और वहीं पर उसकी चूत को चोदने लगे. वो पीछे से उसकी चूत में लंड को पेलने लगे. अब मैंने भाई को और ज्यादा उत्तेजित करने के लिए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

यह कहानी सुनें.

अब भैया ने मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाल दिया. मैंने भी अंदर से पैंटी नहीं पहनी हुई थी. भैया का हाथ मेरी चूत को सहलाने लगा. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. भैया का लंड खूब जोर से दिव्या की चूत चोदने में लगा हुआ था.

चुदाई में हम लोग पूरी तरह खो गए थे. अचानक झाड़ियों से हमें किसी के आने की आवाज सुनाई दी. हम लोगों ने तुरंत अपने कपड़े ठीक करने शुरू कर दिये और दुरुस्त होकर वहां से चल दिये.

फिर हम लोग बोटिंग साइट पर चले गये. भाई ने बोटिंग करने का प्लान किया. दिव्या भी बोटिंग को लेकर खूब उत्साहित थी. भाई ने तीनों के लिये टिकट करवा लिये.

सबसे पहले हम सभी एक साथ बड़ी वाली मोटर में बैठे. हम तीनों उस समय काफ़ी मस्ती कर रहे थे और पानी का भी खूब मज़ा ले रहे थे.

उसके बाद भाई ने हम तीनों के लिये अलग-अलग मोटर बाइक वाला टिकट किया क्योंकि और भी बहुत लोगों को उसमें एन्जॉय करते देखने से हम लोग भी काफ़ी उत्साहित हो गये थे.

सबसे पहले भाई गए. उन्हें देख कर हमें खूब मज़ा आ रहा था. बाइक वाली बोटिंग में वो हीरो जैसे दिखाई दे रहे थे.

दिव्या भी भाई को देख रही थी. उसकी आधी चुदाई से उसकी चूत अभी भी प्यासी ही थी. उसने अपनी चूत को मसलते हुए कहा- मेरी चूत में खुजली हो रही है, मैं क्या करूं?
मैंने उससे कहा- अभी तो भाई बोट पर हैं और उनको देख कर ही तेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी है. मगर जब तक वो वापस नहीं आ जाते तब को तेरी चूत को लंड नहीं मिलेगा.

मेरे समझाने पर दिव्या ने किसी तरह खुद को कंट्रोल किया. अब भाई वापस आ गये थे. अब दिव्या और मेरी बारी थी. हम दोनों अलग अलग मोटर बोट में बैठ गईं.

जैसे ही मैं मोटर वाली बोट में बैठी उसमें एक लड़का जो पीछे ड्राइव करने वाला था, उसने मुझे थोड़ा पकड़ने की कोशिश की. मैंने अपना हाथ दे दिया ताकि बोट में बैठते हुए सन्तुलन बना रहे.

फिर बोट को स्टार्ट कर दिया उसने और वो बाइक चला रहा था. मैं सामने बैठी हुई बोटिंग का मज़ा लेने लगी. धीरे धीरे वो लड़का मेरे करीब आ गया और मेरे बदन से चिपकने की कोशिश करने लगा. वो मेरे बदन पर पानी फेंक रहा था.

कभी पानी की बूंदें मेरे चेहरे पर फेंक रहा था. मोटर बोट की स्पीड काफी तेज थी और मेरे बाल उड़ कर उसके चेहरे पर लग रहे थे. उसने मेरे बालों को पकड़ कर सामने किया और मोटर बोट को अच्छे से चलाने लगा.

अब वो मेरे बदन से बिल्कुल ही चिपक गया था और उसकी कोहनी मेरे बूब्स को टच कर रही थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इस राइड का मजा लूं या जो हरकत वो लड़का मेरे बदन के साथ कर रहा था उस पर ध्यान दूं.

मगर फिर भी मैं जैसे तैसे करके मोटर बोटिंग का लुत्फ उठाने में लगी हुई थी. मैं सच में बहुत इन्जॉय कर रही थी. मैंने महसूस किया कि उसका लंड उसकी पैंट में तन चुका था.

चूंकि मैंने नीचे से पैंटी नहीं पहनी थी तो उसका लंड मुझे अपनी गांड की दरार में लगता हुआ महसूस हो रहा था. उसका लंड तन कर सख्त हो चुका था. शायद उसको भी अहसास हो गया था कि मैंने नीचे से पैंटी नहीं पहनी है.

वो मेरी इसी बात का फायदा उठा रहा था. कुछ ही देर में मोटर बाइक नदी के किनारे से काफी दूर आ गई थी. मुझे इसके बारे में तब पता चला जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा. अब तक मैं अपनी ही मस्ती में थी.

वहां पहुंचने के बाद दूर दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. चारों तरफ केवल पानी ही पानी था. अब उसने बोट की रफ्तार भी कम कर दी थी. मुझे उसकी नीयत पर कुछ शक हुआ तो मैंने उससे कहा कि अब बोट को वापस ले चले.

मगर वो मेरी बात पर कहने लगा- मुझे सब पता है कि तू यहां पर क्या करने के लिए आई है. मुझे ये भी पता है कि मेरा लंड तुझे तेरी गांड पर अच्छे से महसूस हो रहा है. लेकिन फिर भी तू आराम से मजा ले रही है.

मैंने उस लड़के से कहा- ये आप क्या बकवास बातें कर रहे हो!
इतना कहते ही उसने मेरे बूब्स को दबाना शुरू कर दिया.

मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मेरे मुंह से विरोध की जगह कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह …अम्म … ओह्ह … भैया … ये क्या कर रहो हो, ओह्ह … ऐसे मत करो.
मगर वो मेरी बात पर ध्यान न देते हुए मेरी चूचियों को दबाने में लग गया और मेरी चूचियों के निप्पल भी खड़े हो गये.

फिर उसने अपनी लोअर को नीचे कर दिया. उसने नीचे से कुछ भी नहीं पहना हुआ था. उसने मेरी चूचियों को किस करते हुए अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

मैं उठ गई तो उसने मेरी जीन्स को भी नीचे कर दिया. अब वो एकदम से अपने खड़े लंड के साथ मेरी गांड के पीछे वाले हिस्से की तरफ आ गया. मेरी गांड पर लंड को लगाने लगा. मुझे मजा आने लगा.

मैं भी गांड चुदाई की भूखी थी इसलिए मैंने अपनी गांड के छेद को फैला दिया और उसके लंड पर बैठ गई. उसका लंड मेरी गांड में चला गया.

फिर वो जोर से सिसकारियां लेते हुए मेरी गांड में लंड को धकेलने लगा. आह्ह … इस्स … ओह्हह साली चुदक्कड़. तुझे देखते ही मैं समझ गया था कि तू कितनी चालू आइटम है. इस तरह से वो मेरी गांड को चोदने लगा.

उसका खड़ा हुआ लंड मेरी गांड में जा रहा था तो मुझे अपनी गांड में कसावट महसूस होने लगी थी. उसका लंड बहुत सख्त था.

अब मैं भी उसके लंड पर कूदने लगी. आह्ह … और डालो, मजा आ रहा है. उफ्फ … पूरा डालो मेरी गांड में. बहुत मजा आ रहा है. इस तरह से कहते हुए मैं उसके लंड से गांड को चुदवाने लगी.

वो बोला- साली तू कौन है, इससे पहले मैंने इतने सेक्सी अंदाज में किसी लड़की की गांड नहीं चोदी है.
मुझे कुछ होश नहीं था कि क्या हो रहा है. मैं उसके लंड पर कूद रही थी और नदी के बीचों बीच हम सेक्स का मजा ले रहे थे. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसे नदी के बीच में मेरी गांड की चुदाई होगी.

अब मैं और जोर से उसके लंड पर अपनी गांड को धकेलने लगी और उसके साथ ही अपने बूब्स को भी दबाने लगी. उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेजी से … उफ्फ बहुत मजा आ रहा है, ऐसे कहते हुए मैं उस गैर मर्द से अपनी गांड को चुदवा रही थी.

वो भी पूरे जोश में मेरी गांड को चोद रहा था. अचानक ही वो जोर से चीखते हुए मेरे चूचों को कस कर दबाने लगा और उसका पानी मेरी गांड में ही गिरने लगा.

अपनी गांड में मैं उसका पानी महसूस कर पा रही थी. मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. उसके बाद उसने अपनी लोअर को ऊपर कर लिया और मैंने भी अपनी जीन्स को ऊपर कर लिया.

उसके बाद काफी देर तक वो मुझे मोटर बोट में वहीं पर अच्छे से सैर करवाने लगा और मेरे बदन से एकदम से चिपक कर बोट को चला रहा था. वो मेरे बदन से एकदम चिपका हुआ था. मुझे भी मजा आ रहा था और मैं भी इन्जॉय कर रही थी.

थोड़ी देर के बाद हम वापस आ गये. अब तक दिव्या भी लौट आई थी और वो दोनों मेरी राह देख रहे थे. मैं नदी के किनारे पर पहुंच गई जहां पर भाई और दिव्या मेरा इंतजार कर रहे थे. जब मैं बोट से उतरने लगी तो उसने मेरी गांड को सहला दिया. मैं अंदर ही अंदर मुस्कराने लगी.

दिव्या बोली- तुझे इतना टाइम कैसे लग गया? मैं तो कब से यहां पर पहुंच गई हूं.
मैं बोली- वो लड़का बातों ही बातों में मुझे काफी दूर तक ले गया था. इसलिए आने में देर हो गई.

फिर दिव्या ने बताया कि जिस बोट पर वो गई थी उस बोट वाला लड़का भी उसके साथ गंदी हरकत कर रहा था. मगर दिव्या ने कुछ इन्जॉय नहीं किया और वो ऐसे ही बिना मजे लिए ही लौट आई थी.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपनी राय देने के लिए मेरे मेल में मुझे मैसेज करें. कहानी पर कमेंट करके भी बतायें कि आपको कहानी में मजा आ रहा है या नहीं.
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